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25 लाख के गबन मामले में कार्रवाई: महाराजा सूरजमल ब्रज विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. रमेश चंद्रा बर्खास्त, राज्यपाल ने जारी किया आदेश

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महाराजा सूरजमल ब्रज विश्वविद्यालय में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के बाद मचा प्रशासनिक भूचाल मंगलवार को चरम पर पहुंच गया। निलंबित चल रहे कुलगुरु प्रोफेसर रमेश चंद्रा को राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने बर्खास्त कर दिया। यह निर्णय विश्वविद्यालय में 25 लाख रुपये के गबन प्रकरण से जुड़े जांच निष्कर्षों के आधार पर लिया गया है।

🔹 पहले तीन वरिष्ठ अधिकारी हो चुके हैं निलंबित

राज्यपाल कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बर्खास्तगी से पहले विश्वविद्यालय के तीन सबसे प्रमुख प्रशासनिक अधिकारियों — कुलसचिव, वित्त अधिकारी और परीक्षा नियंत्रक — को भी निलंबित किया जा चुका है। इन अधिकारियों पर वित्तीय अनियमितताओं में मिलीभगत और रिकॉर्ड छिपाने के आरोप हैं।

सूत्रों के अनुसार, जांच समिति ने पाया कि विश्वविद्यालय के खातों से लगभग 25 लाख रुपये की राशि गलत तरीके से ट्रांसफर की गई थी। यह धनराशि विश्वविद्यालय के नाम से जुड़े एक ठेकेदार के खाते में भेजी गई, जिसके बाद कई संदिग्ध लेन-देन सामने आए।

🔹 राज्यपाल ने मांगी थी रिपोर्ट, जांच में पुष्टि

राज्यपाल कलराज मिश्र ने कुछ सप्ताह पहले उच्च शिक्षा विभाग से इस पूरे मामले पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। जांच में पाया गया कि न केवल वित्तीय अनियमितता हुई, बल्कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने दस्तावेज़ों और भुगतान विवरणों को भी सही तरीके से प्रस्तुत नहीं किया।

रिपोर्ट में कहा गया कि कुलगुरु प्रो. रमेश चंद्रा ने जांच के दौरान कई बार स्पष्टीकरण देने से बचने की कोशिश की और दस्तावेजों की उपलब्धता में देरी की। इन तथ्यों के आधार पर राज्यपाल ने उन्हें पद से तुरंत प्रभाव से बर्खास्त करने के आदेश जारी किए।

🔹 विश्वविद्यालय में हड़कंप, कर्मचारियों में चिंता

बर्खास्तगी के आदेश के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन में हड़कंप मच गया। कई कर्मचारी और अधिकारी इस कार्रवाई को लेकर चर्चा में हैं। विश्वविद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं संस्थान की साख को नुकसान पहुंचाती हैं और विद्यार्थियों के बीच गलत संदेश जाता है।

एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “यह कार्रवाई देर से सही, लेकिन ज़रूरी थी। उच्च शिक्षण संस्थानों में वित्तीय अनुशासन सर्वोपरि होना चाहिए।”

🔹 उच्च शिक्षा विभाग करेगा आगे की निगरानी

राज्य सरकार ने अब विश्वविद्यालय की वित्तीय और प्रशासनिक गतिविधियों की निगरानी के लिए विशेष पर्यवेक्षक अधिकारी की नियुक्ति करने का निर्णय लिया है। फिलहाल, विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलगुरु का जिम्मा वरिष्ठतम प्रोफेसर को सौंपा गया है।

🔹 विपक्ष ने की कार्रवाई की सराहना

विपक्षी दलों ने राज्यपाल और उच्च शिक्षा विभाग की कार्रवाई का स्वागत किया है। उनका कहना है कि शिक्षा संस्थानों में भ्रष्टाचार और मनमानी के खिलाफ यह निर्णय एक कड़ा संदेश देगा।

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