राजस्थान सरकार ने लंबी प्रतीक्षा के बाद 62 आईएएस अधिकारियों के तबादले किए हैं, जिसमें हनुमान मल ढाका का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। पहले रिश्वत मामले में एपीओ (Additional Post of Officer) कर दिया गया था, लेकिन अब उन्हें निदेशक, विभागीय जांच के पद पर तैनात किया गया है।
यह फैसला कई सवाल खड़े करता है, जैसे कि रिश्वत मामले में नाम आने के बाद भी उन्हें इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी कैसे दी गई। क्या यह सरकार की रणनीति है या फिर विभागीय जांच में सुधार लाने के लिए उनका चयन किया गया है?
अगर आप चाहें तो इस खबर के लिए मैं एक रिपोर्ट या विश्लेषण भी तैयार कर सकता हूँ, या फिर इस मामले पर और जानकारी जुटाने में मदद कर सकता हूँ। आप बताइए!
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