राजस्थान सरकार ने दूध उत्पादन बढ़ाने और डेयरी क्षेत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से ब्राजील से शुद्ध नस्ल के गिर बैल के वीर्य की 2,680 खुराकें मंगवाई हैं। इस वीर्य का उपयोग राज्य के 23 जिलों में देशी गायों के कृत्रिम गर्भाधान के लिए किया जाएगा। यह पहल राष्ट्रीय गोकुल मिशन के नस्ल सुधार कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य स्थानीय मवेशियों की नस्ल सुधारना और उनकी उत्पादकता बढ़ाना है। अधिकारियों के अनुसार, ब्राजील से मंगवाए गए गिर बैल, खासकर एस्पेटाकुलो एफआईवी और आईवीए एफआईवी डी ब्रास नस्ल के बैल दूध उत्पादन के लिए काफी प्रसिद्ध हैं। इनकी संतान देशी गायों की तुलना में 5 से 8 गुना अधिक दूध दे सकती है। राज्य के पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि वर्तमान में राजस्थान की देशी गायें औसतन 10 से 20 लीटर प्रतिदिन दूध देती हैं। उन्होंने कहा, "इस नई पहल से दूध उत्पादन 40 से 50 लीटर प्रतिदिन तक पहुंच सकता है।"
यह परियोजना अप्रैल से शुरू हो गई है और अब तक विभिन्न जिलों में वीर्य वितरित किया जा चुका है:
• अजमेर – 830 खुराकें
• जयपुर – 600 खुराकें
• कोटा - 400 खुराक
• उदयपुर - 500 खुराक
• पाली - 150 खुराक
• भरतपुर- 200 खुराकें
केंद्र सरकार से 10 हजार डोज और मांगीं
जिन जिलों में कृत्रिम गर्भाधान के लिए गायों का चयन चल रहा है उनमें अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, जयपुर, सीकर, अलवर, दौसा, झुंझुनू, कोटा, बूंदी, झालावाड़, बारां, पाली, भरतपुर, करौली, सवाई माधोपुर और धौलपुर शामिल हैं। 2019 पशुधन जनगणना के अनुसार, राजस्थान में 10.43 लाख से अधिक गिर नस्ल की गायें हैं।
कृत्रिम गर्भाधान से बढ़ाई जाएगी मादा बछड़ों की संख्या
मंत्री कुमावत ने कहा, "यह कार्यक्रम दूध उत्पादन बढ़ाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।" इसके साथ ही सरकार ने एक और पहल शुरू की है, जिसके तहत सेक्स सॉर्टेड सीमन से कृत्रिम गर्भाधान करके मादा बछड़ों की संख्या बढ़ाई जाएगी।यह सीमन चेन्नई की एक लैब से मंगवाया गया है और इससे 80-90 प्रतिशत मादा बछड़े पैदा होने की उम्मीद है। एक लाख खुराक में से 60,000 खुराकें प्राप्त हो चुकी हैं और इनका वितरण गुरुवार से शुरू हो गया है। शेष 40,000 खुराकें जून तक आने की उम्मीद है।
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