हमास ने ग़ज़ा में रखे इसराइली और विदेशी बंधकों को फ़लस्तीनी क़ैदियों और बंदियों के बदले छोड़ना शुरू कर दिया है. यह डोनाल्ड ट्रंप की ग़ज़ा शांति योजना के पहले चरण का हिस्सा है.
समझौते के तहत पिछले शुक्रवार से संघर्ष विराम लागू हुआ और हफ़्ते के आख़िर में ग़ज़ा में राहत सामग्री की आपूर्ति बढ़ी.
पहला चरण पूरा होने के बाद आगे के चरणों की बातचीत शुरू होने की उम्मीद है.
इस बारे में अब तक सार्वजनिक रूप से यह जानकारी उपलब्ध है.
शुक्रवार से लागू हुए संघर्ष विराम समझौते के तहत हमास को उन सभी 48 इसराइली और विदेशी बंधकों को रिहा करना है जिन्हें वह दो साल के युद्ध के बाद भी ग़ज़ा में रखे हुए है. इनमें से सिर्फ 20 लोगों के ज़िंदा होने की पुष्टि हुई है.
इनमें से लगभग सभी 7 अक्तूबर 2023 को इसराइल के दक्षिणी इलाक़ों पर फ़लस्तीनी समूह हमास के हमले के दौरान अगवा किए गए 251 लोगों में शामिल थे.
उस हमले में करीब 1,200 लोग मारे गए थे. इसके जवाब में इसराइल ने ग़ज़ा में 'सैन्य अभियान' शुरू किया, जिसमें ग़ज़ा के हमास शासित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक 67 हज़ार से ज़्यादा लोग मारे गए हैं.
रिहा किए जा रहे बंधक कौन हैं?सोमवार सुबह हमास ने दो समूहों में 20 जीवित बंधकों को अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति (आईसीआरसी) को सौंपा.
इसराइली अधिकारियों के अनुसार, पहले समूह में शामिल थे – एतान मोर, गाली बर्मन, ज़िव बर्मन, ओमरी मिरान, अलोन ओहेल, गाइ गिल्बोआ-दलाल और मतान एंग्रेस्ट.
दूसरे समूह में थे – बार कूपरस्टीन, एव्यातर डेविड, योसेफ हाइम ओहाना, सेगेव काल्फ़ोन, अविनतन ओर, एल्काना बोहबोट, मैक्सिम हरकिन, निमरोड कोहेन, मतान ज़ानगाउकर, डेविड क्यूनियो, एतान हॉर्न, रोम ब्रासलाब्स्की और एरियल क्यूनियो.
इसराइली मीडिया में प्रकाशित संघर्ष विराम समझौते की एक प्रति के अनुसार, सोमवार दोपहर 2:30 बजे (भारतीय समयानुसार) तक सभी मृत बंधकों के शव भी सौंपे जाने हैं. हालांकि, समझौते में यह भी स्वीकार किया गया है कि हमास और अन्य फ़लस्तीनी समूह उस समय सीमा के भीतर सभी शवों का पता नहीं लगा पाएंगे.
एक इसराइली अधिकारी ने बताया कि जो शव नहीं लौटाए जा सकेंगे, उनकी तलाश के लिए एक अंतरराष्ट्रीय टास्क फ़ोर्स काम शुरू करेगी.
रिहा किए जा रहे फ़लस्तीनी कै़दी कौन हैं?
बंधकों की रिहाई के बदले इसराइल ने अपनी जेलों में उम्रकै़द की सज़ा काट रहे 250 फ़लस्तीनी क़ैदियों और ग़ज़ा से 1,718 बंदियों को छोड़ने पर सहमति जताई है, जिनमें 15 नाबालिग भी शामिल हैं.
सोमवार सुबह हमास-नियंत्रित 'प्रिज़नर्स मीडिया ऑफिस' ने क़ैदियों और बंदियों की ताज़ा सूची जारी की.
इस सूची में उन बड़े नामों को शामिल नहीं किया गया है जो इसराइलियों पर घातक हमलों के मामलों में कई उम्रकै़द की सज़ा काट रहे हैं. इनमें मरवान बरग़ूती और अहमद सादात शामिल हैं, जिनकी रिहाई की मांग हमास ने की थी.
इसराइली मीडिया के अनुसार, पिछले हफ़्ते आई रिपोर्टों में बताया गया था कि 250 में से लगभग 100 क़ैदियों को क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक में, 15 को क़ब्ज़े वाले पूर्वी यरूशलम में और 135 को ग़ज़ा पट्टी या अन्य स्थानों पर भेजा जाएगा.
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि मृत बंधकों की रिहाई में देरी होने पर क्या फ़लस्तीनी क़ैदियों की रिहाई भी टल सकती है.
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ग़ज़ा में युद्ध विराम भारतीय समयानुसार दोपहर 2:30 बजे लागू हुआ. इसके बाद ग़ज़ा में सहायता की मात्रा में इज़ाफ़ा होने लगा.
इसराइल के प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता के अनुसार, इसराइली सेना ने कहा कि उसके सैनिक समझौते में तय सरहद तक वापस चले गए हैं. अब ग़ज़ा के 53 फ़ीसदी हिस्से पर सेना का कब्ज़ा है.
पिछले हफ़्ते व्हाइट हाउस ने एक नक़्शा शेयर किया था. उससे संकेत मिलता है कि यह इसराइल की वापसी के तीन चरणों में से पहला चरण है और अन्य चरण ट्रंप की शांति योजना के अंतिम चरणों के दौरान होने हैं.
एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी के अनुसार, अमेरिकी सेना की देखरेख में लगभग 200 सैनिकों का एक बहुराष्ट्रीय बल युद्ध विराम की निगरानी करेगा. ऐसा माना जाता है कि इस फ़ोर्स में मिस्र, क़तर, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात के सैनिक शामिल हैं.
अधिकारी ने कहा कि इस फ़ोर्स की भूमिका युद्ध विराम की निगरानी के साथ निरीक्षण करना और 'यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई उल्लंघन या घुसपैठ न हो.'
एक अन्य वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि कोई भी अमेरिकी सैनिक ग़ज़ा के भीतर तैनात नहीं होगा.
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अगर बंधकों और क़ैदियों की सफलतापूर्वक अदला-बदली हो जाती है, तो ऐसा माना जा रहा है कि ट्रंप की 20 सूत्री योजना के अंतिम चरणों पर बातचीत होगी.
लेकिन कई बिंदुओं पर सहमति बनना कठिन हो सकता है.
योजना के मुताबिक़, अगर दोनों पक्ष इन बिंदुओं पर सहमत हो जाएं तो युद्ध 'तुरंत समाप्त' हो जाएगा.
योजना के मुताबिक़, ग़ज़ा का विसैन्यीकरण किया जाएगा और सारे 'सैन्य, आतंकवादी और आक्रामक बुनियादी ढांचे' को नष्ट कर दिया जाएगा.
इसमें यह भी कहा गया है कि ग़ज़ा का शासन शुरू में फ़लस्तीनी टेक्नोक्रेट्स की एक अस्थायी समिति चलाएगी. इसकी देखरेख 'पीस बोर्ड' (शांति बोर्ड) करेगा. इस पीस बोर्ड के अध्यक्ष ट्रंप होंगे और इसमें ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर भी शामिल होंगे.
सुधारों के बाद, ग़ज़ा पट्टी का शासन फ़लस्तीनी प्राधिकरण (पीए) को सौंप दिया जाएगा. यह प्राधिकरण पहले ही वेस्ट बैंक का प्रशासन करता है.
योजना के अनुसार साल 2007 से ग़ज़ा पर शासन करने वाले हमास का भविष्य में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ग़ज़ा पर शासन में कोई भूमिका नहीं होगी.
अगर हमास के सदस्य 'शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए प्रतिबद्ध' होंगे तो उन्हें माफ़ दिया जाएगा. उन्हें किसी अन्य देश में सुरक्षित जाने की अनुमति भी दी जा सकती है.
किसी भी फ़लस्तीनी को ग़ज़ा छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा और जो लोग जाना चाहते हैं वे वापस लौटने के लिए स्वतंत्र होंगे.
विशेषज्ञों का एक पैनल 'ग़ज़ा के पुनर्निर्माण के लिए ट्रंप की आर्थिक विकास योजना' तैयार करेगा.
अड़चनें क्या हैं?
समझौते के बाद के चरणों पर बातचीत के दौरान विवाद के कई बिंदु हो सकते हैं.
हमास ने पहले भी अपने हथियार डालने से इनकार कर दिया था और कहा था कि वह ऐसा तभी करेगा जब एक स्वतंत्र फ़लस्तीनी देश की स्थापना हो जाएगी.
समूह ने पिछले हफ़्ते योजना पर अपनी शुरुआती प्रतिक्रिया में हथियार के पूरी तरह से इस्तेमाल न करने का कोई उल्लेख नहीं किया. इसके बाद ये अटकलें लगाई जाने लगीं कि हमास के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है.
हालांकि, इसराइल ने ट्रंप की योजना पर पूर्ण सहमति दे दी है, फिर भी प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने युद्ध के बाद ग़ज़ा में फ़लस्तीनी प्राधिकरण (पीए) के शामिल होने पर विरोध जताया.
हमास ने यह भी कहा है कि वह भविष्य में 'एक संयुक्त फ़लस्तीनी आंदोलन' के हिस्से के रूप में ग़ज़ा में कुछ भूमिका निभाने की उम्मीद रखता है.
एक और पेचीदा मुद्दा इसराइली सैनिकों की वापसी की सीमा है.
इसराइल का कहना है कि उसकी फौज फ़िलहाल ग़ज़ा पट्टी के 53 फ़ीसदी हिस्से पर उसका नियंत्रण बनाकर रखेगी. व्हाइट हाउस की योजना में अगले चरण में सेना और पीछे हटेगी.
अंत में इसराइली सेना ग़ज़ा की सीमा के पास रहेगी और 'तब तक बनी रहेगी जब तक ग़ज़ा किसी भी उभरते आतंकवादी ख़तरे से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो जाता.'
समझौते की शब्दावली अस्पष्ट है और इसमें इसराइली सेना की पूरी वापसी के लिए कोई स्पष्ट समय-सीमा नहीं दी गई है. ज़ाहिर है कि हमास पर स्पष्टता चाहेगा.
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