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अमेरिकी हमलों के बाद ईरान के लोग क्या कह रहे हैं?

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EPA ईरानियों ने रविवार को तेहरान में इसराइल और अमेरिका के हमलों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में हिस्सा लिया

"मेरे दिन और रात एक जैसे हो गए हैं. मैं ख़ुद को बेबस महसूस करती हूं. मैं दिन और रात बस छत को देखती रहती हूं. मैं सोचती रहती हूं कि अब आगे क्या होगा और हम हमेशा हैरान हो जाते हैं."

शहला (बदला हुआ नाम) उन ईरानी लोगों में से हैं जिन्होंने अपने डर और ग़ुस्से का इज़हार करने के लिए बीबीसी फ़ारसी सेवा से संपर्क किया है. ईरानी लोगों में यह ग़ुस्सा ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों के बाद उपजा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि इस्फ़हान, नतांज़ और फ़ोर्दो के परमाणु ठिकाने 'पूरी तरह नष्ट' कर दिए गए हैं और ईरान से कहा कि अब उसके सामने 'शांति या त्रासदी' में से किसी एक को चुनने का विकल्प है.

लेकिन ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराग़ची ने कहा कि अमेरिका ने हमला करके 'एक बड़ी लाल रेखा' पार कर ली है और चेतावनी दी कि इसका अंजाम 'लंबे समय तक रहने वाला असर' होगा.

image BBC ईरानी नागरिक क्या कह रहे हैं?

अमेरिका ने ईरान पर स्ट्राइक इसराइल के बड़े पैमाने पर किए गए हमलों के ठीक एक हफ्ते बाद की है.

इसराइल ने कहा था कि उसका मक़सद ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों से पैदा होने वाले अस्तित्व संबंधी ख़तरों को खत्म करना है.

ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक अब तक संघर्ष में 430 लोग मारे गए हैं. हालांकि, एक मानवाधिकार संगठन ने दावा किया है कि मरने वालों की संख्या इससे दोगुनी है.

ईरान ने मिसाइलें दागकर इसराइल पर जवाबी कार्रवाई की है. इसराइल के मुताबिक इन हमलों में 24 लोग मारे गए हैं.

ईरान सरकार ने इस दौरान आम लोगों के लिए इंटरनेट की पहुंच पर सख़्त पाबंदी लगा दी है. इसके चलते ईरान के भीतर हो रही घटनाओं की जानकारी बाहर तक पहुंचना मुश्किल हो गया है और परिवारों के लिए अपनों से संपर्क करना भी कठिन हो गया है.

महरी (बदला हुआ नाम) ने आपबीती बताते हुए बीबीसी फ़ारसी सेवा को एक ऑडियो मैसेज भेजा है. उन्होंने बताया कि अमेरिकी हमलों से वह कितनी निराश और नाराज़ हुई हैं.

महरी कहती हैं, "मैं नहीं सोचती कि मैंने अपने जीवन में इस स्तर पर कभी दुख और रोष महसूस किया है. लेकिन एक तरह से इस घटना ने मुझे अजीब सी स्पष्टता महसूस कराई है. यह मुझे याद दिलाती है कि मैं अपने आप से परे किसी बड़ी चीज़ से जुड़ी हूं."

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई, इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू और डोनाल्ड ट्रंप की ओर इशारा करते हुए वह कहती हैं, "ईरान का युद्ध असल में तीन देशों के नेताओं के बीच एक वैचारिक संघर्ष है."

"जब मैं उन्हें इस्फ़हान जैसे नामों का ज़िक्र करते सुनता हूं या यह घोषणा करते सुनता हूं कि उन्होंने ईरान के आसमान पर नियंत्रण कर लिया है, तब मुझे ग़ुस्सा आता है."

यह कहना है हुमायूं का, जो ईरान के उत्तर-पश्चिमी शहर माकू से हैं और ट्रंप की इस चेतावनी के बावजूद डटे रहे कि अगर ईरान ने शांति पर सहमति नहीं दी तो उस पर और हमले किए जाएंगे.

हुमायूं बताते हैं, "निश्चित तौर पर हम एक कठिन समय से गुज़र रहे हैं लेकिन हम अंत तक अपने देश के साथ खड़े रहेंगे. अगर ज़रूरत पड़ी तो हम अपनी मातृभूमि के लिए जान देने को भी तैयार हैं. हम अमेरिका और उसके प्यादों को अपने देश में कोई ग़लत कदम नहीं उठाने देंगे."

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image Getty Images आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई खुलकर इसराइल के अस्तित्व को मिटाने की बात करते रहे हैं अमेरिका के बेस ताक़त नहीं कमजोरी: आईआरजीसी

शनिवार को ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दी कि अमेरिका के ख़िलाफ़ कोई भी जवाबी कार्रवाई 'आज रात हुए हमले से बड़े हमले के लिए मजबूर करेगी.'

लेकिन रविवार को तुर्की में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अराग़ची ने कहा कि ईरान अपनी सुरक्षा, हितों और जनता की रक्षा के लिए हर विकल्प सुरक्षित रखता है.

उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका को अपने हमलों के नतीजों की पूरी ज़िम्मेदारी लेनी होगी.

इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड कोर (आईआरजीसी) ने अमेरिका के मध्य पूर्व में मौजूद बेस को ताक़त नहीं बल्कि कमजोरी बताया.

इसराइल के हवाई हमले शुरू होने से पहले ईरान के रक्षा मंत्री ने चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर किसी हमले में हिस्सा लिया तो वह अमेरिका के सभी बेस को निशाना बनाएगा जो उसकी पहुंच में हैं.

कुछ कट्टरपंथियों ने खाड़ी में अमेरिकी नौसेना के जहाज़ों को निशाना बनाने और दुनिया के सबसे अहम समुद्री रास्तों में से एक, होर्मुज़ स्ट्रेट को बंद करने की मांग की.

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'इन लोगों ने सालों तक देश की हालत ख़राब की' image BBC

एक ईरानी शख़्स ने बीबीसी फ़ारसी से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह युद्ध के तनाव का चरम है और अब से हालात धीरे-धीरे शांत होने लगेंगे.

उन्होंने कहा, "ईरान यह जानता है कि अगर उसने अमेरिका को निशाना बनाया तो यह पूरी तरह आत्महत्या करने जैसा होगा."

उनका कहना है, "मेरे बच्चे का जन्म कुछ दिनों में होने वाला है और मैं चाहता हूं कि उसके जन्म के साथ ही एक नए ईरान का भी जन्म हो, जो अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और अपने आंतरिक मामलों को लेकर नया नज़रिया अपनाए."

उन्होंने आगे कहा, "मैं चाहता हूं कि मेरा बच्चा यह जाने कि सीसीटीवी कैमरे और सुरक्षाकर्मी असली ख़तरों पर नजर रखें, न कि हिजाब संबंधी सख़्त नियम लागू करवाने पर."

उनका इशारा ईरान में हिजाब को लेकर सख़्त क़ानून की ओर है, जिसकी वजह से 2022 में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शन और कड़ी कार्रवाई हुई थी.

एक और व्यक्ति ने ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं की लागत पर सवाल उठाया.

उन्होंने लिखा, "फ़ोर्दो, नतांज़ और ईरान का परमाणु कार्यक्रम, मेरे लिए आंखों के आंसू और तुम्हारे दिल का ख़ून थे. इन लोगों ने सालों तक देश की हालत ख़राब की और इन ठिकानों को बनाने के लिए परमाणु बजट बढ़ाते रहे."

ईरान और आर्मीनिया की सीमा पर मौजूद एक क्रॉसिंग पर, तेहरान से परिवार के साथ भागी एक महिला ने बीबीसी से कहा कि वह विदेशी ताक़तों के जरिए शासन परिवर्तन का समर्थन नहीं करती.

महिला ने कहा, "हम ख़ुद अपने देश के अंदर बदलाव की कोशिश कर रहे थे और मुझे नहीं लगता कि अमेरिका या इसराइल से आने वाला कोई भी बदलाव अच्छा होगा."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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