तिब्बती बौद्ध धर्म के सबसे बड़े आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने बुधवार को कहा कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी.
इस बात का सीधा मतलब यह है कि मौजूदा दलाई लामा की मृत्यु के बाद भी उनका उत्तराधिकारी होगा.
हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला के मैक्लोडगंज में तिब्बती बौद्ध धर्म के वरिष्ठ लामाओं की एक धार्मिक बैठक हुई. इसमें दलाई लामा ने यह बात एक रिकॉर्डेड वीडियो संदेश के ज़रिए कही.
पिछले कुछ दिनों से यह संभावना जताई जा रही थी कि अपने 90वें जन्मदिन से कुछ ही दिन पहले दलाई लामा अपने उत्तराधिकारी के बारे में कोई बड़ा एलान कर सकते हैं.
अब उनके संदेश से उन कयासों पर रोक तो लग गई कि क्या भविष्य में दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी या नहीं.
लेकिन अभी भी यह सवाल बना हुआ है कि क्या मौजूदा दलाई लामा जीवित रहते हुए अपने पुनर्जन्म के बारे में कोई संकेत देंगे?
इस सवाल के जवाब में दलाई लामा के दफ़्तर के तहत चलने वाले गादेन फोडरंग ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सैमधोंग रिनपोचे ने कहा, "दलाई लामा की संस्था चलती रहेगी. 14वें दलाई लामा के बाद 15वें दलाई लामा होंगे, 16वें दलाई लामा होंगे. यह सहमति बनी है. वो कब आएंगे, कैसे मान्यता मिलेगी, ये बिल्कुल अलग सवाल हैं. जब समय आएगा, तो वह (दलाई लामा) निर्देश देंगे."
साल 2011 में दलाई लामा ने कहा था कि तिब्बती लोगों को यह फ़ैसला करना चाहिए कि भविष्य में दलाई लामा के पुनर्जन्म को जारी रहना चाहिए या नहीं. इस बात को लेकर तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों में लगातार चिंता बनी हुई थी.
अपने संदेश में दलाई लामा ने कहा, "हालांकि, मैंने इस मुद्दे पर कोई सार्वजनिक चर्चा नहीं की है, लेकिन पिछले 14 वर्षों में तिब्बत की आध्यात्मिक परंपराओं के नेताओं, निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्यों, विशेष आम सभा की बैठक में भाग लेने वालों, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सदस्यों, ग़ैर-सरकारी संगठनों, हिमालय क्षेत्र, मंगोलिया, रूसी संघ के बौद्ध गणराज्यों और चीन सहित एशिया के बौद्धों ने मुझे कारणों के साथ पत्र लिखकर आग्रह किया है कि दलाई लामा की संस्था जारी रहे."
दलाई लामा ने ये भी कहा कि उन्हें तिब्बत में रहने वाले तिब्बतियों से अलग-अलग माध्यमों से संदेश मिले हैं जिनमें यही अपील की गई है.
दलाई लामा ने कहा, "इन सभी अनुरोधों के मुताबिक़, मैं पुष्टि कर रहा हूं कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी."
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दलाई लामा ने यह भी कहा कि अगले दलाई लामा को मान्यता देने की ज़िम्मेदारी उस गादेन फोडरंग ट्रस्ट को होगी, जो उन्हीं के दफ़्तर का एक हिस्सा है.
अपने संदेश में दलाई लामा ने कहा, "उन्हें (गादेन फोडरंग ट्रस्ट के सदस्यों को) तिब्बती बौद्ध परंपराओं के विभिन्न प्रमुखों और दलाई लामाओं की वंशावली से अविभाज्य रूप से जुड़े विश्वसनीय शपथबद्ध धर्म रक्षकों से परामर्श करना चाहिए. उन्हें पिछली परंपरा के अनुसार खोज और पहचान की प्रक्रियाओं को पूरा करना चाहिए."
दलाई लामा ने ज़ोर देकर कहा कि गादेन फोडरंग ट्रस्ट को ही अगले दलाई लामा के पुनर्जन्म को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार है और किसी अन्य को इस मसले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है.
माना जा रहा है कि इस बयान के ज़रिए दलाई लामा अप्रत्यक्ष तरीक़े से चीन की तरफ इशारा कर रहे हैं जिसका कहना है कि अगला दलाई लामा चीनी क़ानून के मुताबिक़ ही बनेगा.
निर्वासित तिब्बती सरकार या सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन के राष्ट्रपति पेन्पा सेरिंग ने भी चीन को एक सीधा संदेश दिया है.
सेरिंग ने कहा, "परम पावन दलाई लामा के पुनर्जन्म को मान्यता देने की मूल प्रक्रिया अद्वितीय तिब्बती बौद्ध परंपरा के अनुरूप है. इसलिए हम न केवल पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना द्वारा अपने राजनीतिक लाभ के लिए पुनर्जन्म विषय के उपयोग की कड़ी निंदा करते हैं, बल्कि इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे."
दलाई लामा के संदेश को ख़ारिज करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उनके पुनर्जन्म को चीनी सरकार की मंज़ूरी की ज़रूरत है.
साथ ही चीन ने कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकार की प्रक्रिया में चीन के क़ानूनों और नियमों के साथ-साथ 'धार्मिक अनुष्ठानों और ऐतिहासिक परंपराओं' का पालन होना चाहिए.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी की पहचान केवल लॉटरी सिस्टम के माध्यम से की जा सकती है - जहां नाम एक सुनहरे कलश से निकाले जाते हैं.
यह प्रथा 1792 में शुरू की गई थी और इसका उपयोग पिछले लामाओं को चुनने के लिए किया गया था, लेकिन आलोचकों का कहना है कि चीनी अधिकारियों ने इसमें हेराफेरी की है.
चीन इस आरोप का खंडन करता है. उसका कहना है कि यह प्रथा तिब्बती बौद्ध धर्म का एक 'अद्वितीय रूप' है और चीनी सरकार की 'धार्मिक विश्वासों की स्वतंत्रता' की प्रथा के अनुरूप है.
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अपने उत्तराधिकारी को लेकर दलाई लामा ने जो कहा उसके बाद मैक्लोडगंज में मौजूद सैकड़ों तिब्बती मूल के लोगों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई.
तिब्बती बौद्ध धर्म अनुयायी तेनजिन छेमे ने कहा, "मैं बहुत ख़ुश हूं आज. हिज़ होलीनेस का जो मैसेज आया है, उन्होंने बताया है कि जो दलाई लामा की संस्था है वो जारी रहेगी. इस फै़सले के लिए हम सारे तिब्बती और बौद्ध लोग प्रार्थना कर रहे थे और वो पूरी हो गई है. इसकी (अगले दलाई लामा की खोज की) कोई जल्दी नहीं है कि ये कौन होगा, कहां होगा, कैसे होगा. इससे यह इशारा भी मिलता है कि हिज़ होलीनेस अभी बहुत साल हमारे साथ रहेंगे."
सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन के प्रवक्ता तेनजिन लेकशेय ने कहा, "अभी हमारे पास समय है. परम पावन जी जीवित हैं. सबको विश्वास है कि परम पावन जी के पुनर्जन्म का हक़ परम पावन जी के पास ही है. सबकी इच्छा है कि परम पावन जी की संस्था जारी रहनी चाहिए और परम पावन जी ने आश्वासन दिया कि वो संस्था जारी रहेगी. इससे ज़्यादा अच्छी बात क्या हो सकती है."
तिब्बती बौद्ध भिक्षु लोबसांग वांगदू ने कहा, "बहुत अच्छा लगा. ख़़ुशी हुई. दलाई लामा का पुनर्जन्म होगा या नहीं हमें उसकी चिंता थी. आज दलाई लामा ने घोषणा कर दी इसलिए सब लोग बहुत खुश हो गए हैं."
कौन होगा अगला दलाई लामा?अगला दलाई लामा कौन होगा, यह तय करने के लिए एक लंबी प्रक्रिया का पालन किया जाता है.
तिब्बती बौद्ध धर्म में दलाई लामा को चुना नहीं, बल्कि ढूंढ़ा जाता है. ऐसा माना जाता है कि मृत्यु के बाद दलाई लामा एक नए शरीर में जन्म लेते हैं.
उनके निधन के बाद वरिष्ठ भिक्षु एक ऐसे विशेष बालक की खोज करते हैं, जो दलाई लामा का अगला अवतार हो. लेकिन यह खोज यूं ही नहीं होती.
सबसे पहले बौद्ध भिक्षु कुछ आध्यात्मिक संकेतों का गहराई से अध्ययन करते हैं. जैसे इस दौरान वरिष्ठ भिक्षु जो सपने देखते हैं, उनमें आई छवियों का विश्लेषण किया जाता है.
यह देखा जाता है कि मृत्यु के समय दलाई लामा का शव किस दिशा की ओर था या उसकी मुद्रा क्या थी. दाह-संस्कार के दौरान धुएं की दिशा को भी एक संकेत माना जाता है.
इन सबका मक़सद यह जानना होता है कि दलाई लामा का अगला जन्म किस दिशा या इलाक़े में हुआ होगा.
एक विशेष झील है- ल्हामो लात्सो. यह तिब्बत की राजधानी ल्हासा से क़रीब 150 किलोमीटर दूर है. भिक्षु यहाँ भी ध्यान करते हैं और मानते हैं कि झील के पानी में भी भविष्य के दलाई लामा के संकेत दिखाई देते हैं.
इन तमाम संकेतों के आधार पर भिक्षुओं और अधिकारियों का एक दल तिब्बत और हिमालय क्षेत्रों की यात्रा करता है.
वे ऐसे बच्चों की तलाश करते हैं, जिनका जन्म दलाई लामा की मृत्यु के समय के आस-पास हुआ हो, जिनमें असाधारण बुद्धि और असामान्य गुण हों या वे कुछ महत्वपूर्ण बातें याद कर पा रहे हों.
जब कुछ बच्चों की पहचान हो जाती है, तो इनका परीक्षण शुरू होता है. इन बच्चों को कुछ चीज़ें दी जाती हैं.
इनमें कुछ पिछले दलाई लामा की प्रिय चीज़ें होती हैं और कुछ दूसरी होती हैं. जो बच्चा सही चीज़ें पहचान लेता है, उसे दलाई लामा का संभावित पुनर्जन्म माना जाता है.
अगर वह बच्चा पिछले दलाई लामा के किसी नज़दीकी व्यक्ति, स्थान या वस्तु को पहचान लेता है तो इन्हें और भी मज़बूत संकेत माना जाता है.
इन परीक्षणों के बाद ज्योतिषीय गणनाएं और गहन आध्यात्मिक चर्चाएं होती हैं. जब सबकुछ मेल खा जाए, तो उस बच्चे को आधिकारिक रूप से नया दलाई लामा घोषित किया जाता है.
इसके बाद उस बच्चे को एक मठ में ले जाया जाता है. यहां उसे बौद्ध शिक्षा और आध्यात्मिक प्रशिक्षण दिया जाता है. सालों की साधना के बाद वह दलाई लामा के रूप में भूमिका निभाने लगता है.
दिलचस्प बात ये है कि जब मौजूदा दलाई लामा अभी जीवित हैं तो उनके पुनर्जन्म की खोज की बात कैसे आई?
मौजूदा दलाई लामा पहले ही कह चुके हैं कि वे अपनी ज़िंदगी में ही अपने उत्तराधिकारी के नाम का एलान कर सकते हैं.
तो माना यह जा रहा था कि अपने 90वें जन्मदिन के आस-पास वे कुछ ऐसे संकेत या निर्देश दे सकते हैं जिससे उनके उत्तराधिकारी को चुनने में सहूलियत हो और इस परंपरा को सरल रखा जा सके.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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