बॉलीवुड अभिनेत्री भूमि पेडनेकर ने हाल ही में स्किन कंडीशन एक्ज़िमा और उससे होने वाली दिक्कतों का ज़िक्र किया.
दरअसल, भूमि पेडनेकर ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी में बताया कि उन्हें एक्ज़िमा की दिक्कत है, जो बहुत दर्दनाक होता है.
भूमि पेडनेकर ने लिखा, "जब भी मैं ट्रैवल करती हूं, या मेरा खानपान ठीक नहीं होता या मैं तनाव में रहती हूं, जो सभी समस्याओं की जड़ है, तो मेरा एक्ज़िमा बढ़ जाता है."
उन्होंने लिखा, "इससे (एक्ज़िमा से) बहुत परेशानी होती है क्योंकि इससे बहुत दर्द और असुविधा होती है. मैं जल्द ही इस बारे में और बात करूंगी."
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एक्ज़िमा क्या होता है? इसके लक्षण क्या हैं? इसे कैसे ठीक किया जा सकता है? ये समझते हैं.
एक्ज़िमा क्या है और कैसे होता है?यूके की नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) के मुताबिक़, एक्ज़िमा एक स्किन कंडीशन है, जिसके कारण स्किन रूखी हो जाती है और उस पर खुजली होती है.
स्किन एक्सपर्ट डॉ. अंजू सिंगला का कहना है कि एक्ज़िमा कई तरह का होता है और यह जेनेटिक वजहों या विटामिन की कमी के कारण हो सकता है.
पटियाला ज़िले के पूर्व सिविल सर्जन एवं त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. हरीश मल्होत्रा का कहना है कि एक्ज़िमा में स्किन रूखी हो सकती है और खून भी निकल सकता है.
उनका ये भी कहना है कि यह जेनेटिक वजहों या शरीर में किसी कमी के कारण हो सकता है. वो ये भी कहते हैं कि एक्ज़िमा कपड़े, चप्पल या किसी दूसरी चीज़ों के संपर्क से भी हो सकता है.
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एनएचएस, यूके के अनुसार, एक्ज़िमा कई तरह का होता है. जैसे एटोपिक एक्ज़िमा, वैरिकोज़ एक्ज़िमा, डिस्कॉइड एक्ज़िमा और कॉन्टैक्ट एक्ज़िमा.
एटोपिक एक्ज़िमा: एटोपिक एक्ज़िमा (एटोपिक डर्मटाइटिस) एक कॉमन स्किन कंडीशन है, जो खुजली, रूखी और फटी स्किन की वजह बनती है. ये किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है, लेकिन छोटे बच्चों में यह सबसे आम है. इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन इसके लक्षणों को दवाइओं से कंट्रोल किया जा सकता है.
वैरिकोज़ एक्ज़िमा: वैरिकोज़एक्ज़िमा, जिसे ग्रैविटेशनल या स्टैसिस एक्ज़िमा भी कहा जाता है. ये ज़्यादातर पैरों के निचले हिस्से में होती है और ये स्किन कंडीशन लंबे समय तक बनी रहती है.
इसमें स्किन पर रूखापन आ जाता है, पपड़ी सी पड़ जाती है, सूजन हो जाती है और खुजली होती है. इसमें त्वचा का रंग बदल सकता है.
यह वेरिकोज़ वेन्स वाले लोगों में आम है. वैरिकोज़ वेन्स बढ़ी हुई, मुड़ी हुई नसें होती हैं, जो आमतौर पर नीली या बैंगनी रंग की होती हैं और अक्सर पैरों पर दिखाई देती हैं.
डिस्कॉइड एक्ज़िमा: डिस्कॉइड एक्ज़िमा में गोल या ओवल शेप में स्किन फट जाती है, सूज जाती है और खुजली होती है. ये स्किन कंडीशन भी लंबे समय तक बनी रहती है.
कॉन्टैक्ट एक्ज़िमा: कॉन्टैक्ट डर्मटाइटिस किसी चीज़ के संपर्क में आने से होता है. इससे त्वचा में खुजली होती, स्किन रूखी हो जाती है, उस पर छाले और दरारें पड़ जाती हैं.
एक्ज़िमा के लक्षण क्या हैं?
एनएचएस के मुताबिक़, एक्ज़िमा के लक्षण किसी भी उम्र में शुरू हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर ये शिशुओं और छोटे बच्चों में शुरू होते हैं और उम्र के साथ ठीक हो जाते हैं.
आमतौर पर इस बीमारी में ऐसे भी समय आते हैं जब आपके लक्षण बदतर हो जाते हैं (जिन्हें फ्लेयर-अप्स कहा जाता है) और ऐसे समय भी आते हैं जब वे बेहतर हो जाते हैं.
इसके लक्षणों में खुजली, रूखापन, त्वचा का फटना, स्किन पर पपड़ी बनना, स्किन लाल, सफेद, बैंगनी या भूरे रंग की हो जाना शामिल हैं.
इसके साथ ही एक्ज़िमा के लक्षणों में छाले पड़ना या खून आना भी देखा जाता है.
एक्ज़िमा का इलाजडॉ. अंजू सिंगला का कहना है कि एक्ज़िमा का इलाज उसके प्रकार पर निर्भर करता है.
डॉ. सिंगला के अनुसार, "मरीज़ को ज़रूरत के हिसाब से स्टेरॉयड दिए जाते हैं, लेकिन इसके साथ ही लगातार मॉइस्चराइजेशन भी किया जाता है, जो इलाज का अहम हिस्सा है. अगर शरीर में कोई कमी पाई जाती है, तो उसे भी पूरा करना ज़रूरी है."
वहीं डॉ. हरीश मल्होत्रा का कहना है कि एक्ज़िमा का दायरा बहुत व्यापक है.
डॉ. मल्होत्रा के अनुसार, "एक बार यह बीमारी हो जाए तो इसका इलाज करवाना ज़रूरी है और आगे से इस बात का ध्यान रखना होगा कि इसकी जड़ क्या है और उससे दूरी बनानी होगी. साथ ही, यह भी देखना होगा कि मरीज़ को इस बीमारी के साथ कोई और गंभीर बीमारी तो नहीं है."
भूमि पेडनेकर का फ़िल्मी सफ़र
भूमि पेडनेकर ने अपने फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत आयुष्मान खुराना के साथ 2015 में फ़िल्म 'दम लगा के हईशा' से की थी. इस फ़िल्म के लिए उन्होंने अपना वज़न भी बढ़ाया था.
इसके अलावा उन्होंने 'टॉयलेट: एक प्रेम कथा', 'शुभ मंगल सावधान', 'लस्ट स्टोरीज़', 'सोनचिड़िया', 'सांड की आंख', 'भीड़', 'भक्षक' समेत कई फ़िल्मों में काम किया. हाल ही में वो नेटफ़्लिक्स पर प्रसारित 'द रॉयल्स' में नज़र आईं.
भूमि पेडनेकर ने एकइंटरव्यूके दौरान कहा था कि उनकी फ़िल्में सामाजिक मुद्दों, एथिकल जर्नलिज़्म और जेंडर वॉयलेंस के बारे में बात करती हैं.
इसी इंटरव्यू में उन्होंने अपने अब तक के करियर पर कहा, "मैं पिछले 10 साल के लिए काफी आभारी हूं. मैं हर सुबह इस एहसास के साथ उठती हूं कि मैं एक फ़िल्म के सेट पर जा रही हूं और यही एहसास मेरे लिए सब कुछ है. यह तो बस शुरुआत है, मैं अपनी आखिरी सांस तक काम करना चाहती हूं."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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