बिहार के मोकामा विधानसभा क्षेत्र में शुक्रवार को तनाव पसरा रहा. मोकामा से बाढ़ अनुमंडल अस्पताल जाने वाली सड़क पर धीरे-धीरे चल रही ट्रैक्टर ट्रॉली पर एक शव रखा था.
इस ट्रैक्टर ट्रॉली पर कभी आरजेडी उम्मीदवार वीणा देवी चढ़तीं, तो कभी जनसुराज उम्मीदवार प्रियदर्शी पीयूष (प्रचलित नाम पीयूष प्रियदर्शी). अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल करते लोगों का समूह अस्पताल की तरफ़ जिस शव को लेकर गया, वो दुलारचंद यादव का था.
1980 और 1990 के दशक के बाहुबली दुलारचंद यादव की बीती 30 अक्तूबर की दोपहर मोकामा में हत्या कर दी गई. इसके बाद से मोकामा विधानसभा क्षेत्र राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गया है.
साल 1990 से सिर्फ़ एक विधानसभा काल यानी पांच साल को छोड़कर इस सीट पर बाहुबली अनंत सिंह के परिवार को कब्जा रहा है. इलाक़े में अनंत सिंह को 'छोटे सरकार' भी कहा जाता है.
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दुलारचंद यादव की हत्या से एक दिन पहले यानी बुधवार देर शाम को गया ज़िले के टिकारी विधानसभा क्षेत्र से हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रत्याशी अनिल कुमार पर भी चुनाव प्रचार के दौरान हमला हुआ था.
इसी चुनावी सरगर्मी के बीच सिवान ज़िले में दरौंदा थाना क्षेत्र में अनिरुद्ध कुमार नाम के एएसआई की हत्या कर दी गई.
चुनाव के दौरान हो रही हिंसा की ये घटनाएं बिहार में अतीत में चुनाव के दौरान होने वाली हिंसा की याद दिलाती हैं.
हिंसा की इन घटनाओं को लेकर सोशल मीडिया पर काफ़ी हलचल है, ख़ासतौर पर दुलारचंद यादव की हत्या को लेकर. दुलारचंद बिहार की राजनीति के दो प्रमुख नेता नीतीश कुमार और लालू यादव दोनों के ही कभी क़रीबी रहे थे.
ABHISHEK दुलारचंद यादव की शव यात्रा वरिष्ठ पत्रकार विकास कुमार झा ने अपनी किताब 'बिहार: क्रिमिनलाइजेशन ऑफ़ पॉलिटिक्स' में लिखा है, "मुंगेर से लेकर बेगूसराय के दियारा इलाके में क्रिमिनल गैंग खुलेआम ऑपरेट करते थे. दुलारचंद यादव भी इस इलाके में बहुत सक्रिय था. साल 1991 में बाढ़ में हुए लोकसभा उपचुनाव में लालू यादव ने दुलारचंद को सार्वजनिक तौर पर सम्मानित किया था."
एसोसिएशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स के बिहार कोआर्डिनेटर राजीव कुमार कहते हैं, "इस बार सभी उम्मीदवारों का विश्लेषण होना बाक़ी है, लेकिन जिन विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं, साल 2015 में उनकी तादाद 40 फ़ीसदी और 2020 में 51 फ़ीसदी थी. इस बार ज़ाहिर तौर पर ये बढ़ेगा."
"बाहुबली उम्मीदवारों की जीतने की संभावना ज़्यादा होती है क्योंकि उनके पास पैसा, पावर और पूरी व्यवस्था में एक तरीके की सामाजिक स्वीकार्यता भी होती है. पहले पॉलिटिकल पार्टी इन बाहुबली उम्मीदवारों को चुनती है और फिर जनता. मोकामा में हुई घटना इसी प्रक्रिया का विस्तार है."
दुलारचंद यादव की हत्या जिस मोकामा विधानसभा क्षेत्र में हुई है, वह बिहार की हॉट सीटों में से एक है.
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गंगा के दक्षिणी छोर पर बसे पटना ज़िले के 14 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है मोकामा विधानसभा सीट.
इस सीट से अनंत सिंह जीतते रहे हैं. पटना की सड़कों पर बग्घी दौड़ाने वाले बाहुबली अनंत सिंह के इंटरव्यू और मीम्स सोशल मीडिया का बहुत वायरल कॉन्टेंट हैं.
जेडीयू ने उन्हें मोकामा से उम्मीदवार बनाया है तो आरजेडी ने बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को टिकट दिया है. जनसुराज ने इस सीट से पीयूष प्रियदर्शी को अपना उम्मीदवार बनाया है.
दुलारचंद यादव जनसुराज के पीयूष प्रियदर्शी के समर्थन में प्रचार कर रहे थे. 30 अक्तूबर की दोपहर तकरीबन तीन बजे तारतर गांव और बसावनचक नाम की जगह के बीच जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह के काफ़िले और पीयूष प्रियदर्शी के समर्थकों के बीच झड़प हुई.
पटना एसएसपी कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, "साढ़े तीन बजे भदौर थानाध्यक्ष को सूचना मिली कि अनंत सिंह के काफ़िले पर हमला हुआ है. अनंत सिंह के काफ़िले के पास पहुंचने पर ये सूचना मिली कि जनसुराज के समर्थकों ने उन पर हमला कर दिया है."
"इसी बीच घोसवरी थानाध्यक्ष को भी सूचना मिली कि तारतर गांव के पास दो पक्षों में मारपीट हुई है. पुलिस जब वहां पहुंची तो दो-तीन चार चक्का वाहनों का शीशा टूटा हुआ था और एक व्यक्ति का शव वाहन में था. इस व्यक्ति की पहचान दुलारचंद यादव के तौर पर की गई है."
"पुलिस आसपास के सीसीटीवी कैमरे खंगाल रही है, एफ़एसएल टीम घटना स्थल की जांच कर रही है. मृतक की मौत संदेहास्पद है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, सीसीटीवी कैमरा फ़ुटेज, अनुसंधान में एकत्रित साक्ष्य के विश्लेषण के बाद ही कारण स्पष्ट हो पाएगा."
इस मामले में घोसवरी थाने में अनंत सिंह सहित पांच पर नामज़द एफ़आईआर दर्ज हुई है.
अनंत सिंह ने कहा- सूरजभान की साजिश
BBC घोसवरी थाने में दर्ज एफ़आईआर में लिखा है, "रास्ते में अनंत सिंह मिले और दादा (दुलारचंद यादव) को गाली देने लगे. दादा ने गाली देने से मना किया जिस पर राजवीर सिंह और कर्मवीर सिंह ने दादा को गाड़ी से बाहर खींच लिया. दादा के बाहर आते ही अनंत सिंह ने पिस्तौल निकाली और दादा के बाएं पैर की एड़ी में मारी. दादा गिर गए. उसके बाद छोटन सिंह ने लोहे की रॉड से दादा को मारा और थार गाड़ी से उन्हें कुचल दिया."
इस घटना पर दुलारचंद यादव के पोते रविरंजन ने मीडिया से कहा, "अनंत सिंह को 24 घंटे में गिरफ़्तार किया जाए और हमारे घर वालों को सुरक्षा मिलनी चाहिए. हमारे दादा (दुलारचंद) को पांव में गोली मारकर उन पर गाड़ी चढ़ाकर मारा गया है. वो तो सिर्फ़ हंगामा शांत कराने गए थे लेकिन इन लोगों ने उन्हें मार दिया."
अनंत सिंह ने इस आरोप को ख़ारिज करते हुए इसे सूरजभान सिंह की साजिश बताया.
उन्होंने कहा, "हम टाल में वोट मांग रहे थे. एक जगह हमने देखा कि लोगों की भीड़ लगी है. हमको लगा विपक्षी लोग वोट मांग रहे हैं. हमारी तीस गाड़ियां आगे बढ़ गई थीं और पीछे दस गाड़ियां रह गई थीं, जिस पर लोगों ने हमला कर दिया. ये सब सूरजभान की साजिश है."
वहीं सूरजभान सिंह ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "इस घटना से पूरे देश की बदनामी हो रही है. चुनाव आयोग से आग्रह है कि इस पर जांच बैठाए. एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में इसकी जांच कमिटी बैठनी चाहिए."
मगर सूरजभान सिंह ने उन आरोपों पर जवाब देने से इनकार कर दिया जो अनंत सिंह उन पर लगा रहे हैं.
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FACEBOOK/Dularchand Yadav मोकामा टाल के इलाके में दुलारचंद यादव का बहुत प्रभाव था 75 साल के दुलारचंद यादव तारतर गांव के रहने वाले थे. मोकामा टाल के इलाके में उनका बहुत प्रभाव था. उन्होंने खुद भी कई बार विधानसभा चुनाव लड़ा.
वरिष्ठ पत्रकार सुरूर अहमद बताते हैं, "साल 1995 के चुनाव के वक़्त उन्होंने चुनाव लड़ा था जिसकी कवरेज करने हम गए थे. ये बृजनंदन यादव के ख़िलाफ़ चुनाव लड़े थे. उस वक़्त उन्होंने कहा था कि लालू यादव बिहार के चीफ़ मिनिस्टर होंगे लेकिन टाल का चीफ़ मिनिस्टर मैं हूं."
"उस चुनाव में बृजनंदन जीत गए थे लेकिन वो वक़्त दुलारचंद का प्राइम टाइम था. उनकी इमेज एक ऐसे डकैत की थी जो लाल झंडा लेकर डकैती करता था. अब इसका मतलब क्या था, ये बताया नहीं जा सकता."
पटना पुलिस ने भी प्रेस रिलीज़ जारी की, जिसके मुताबिक़ दुलारचंद पर हत्या और आर्म्स एक्ट के कई मामले दर्ज हैं.
आरजेडी के एक नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं, "नीतीश कुमार जब बाढ़ से 1990 में लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे तो उन्होंने दुलारचंद से मदद मांगी थी. इनका पिछड़ों और अति पिछड़ों पर बहुत प्रभाव था. ये पैसों से लोगों की मदद करते थे. तारतर में हुए एक कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने इन्हें बुलाया था और उसी कार्यक्रम से ये मोकामा की राजनीति में एक नए नाम के तौर पर जुड़ गए."
दुलारचंद इलाक़े में 'पहलवान जी' के नाम से मशहूर थे. उनके गांव तारतर में भी लालू यादव ने चरवाहा विद्यालय खुलवाया था.
पटना से निकलने वाली न्यूज़ब्रेक नाम की पत्रिका में पत्रकार कमल किशोर विनीत ने दुलारचंद यादव की राजनीति पर साल 2021 में एक लेख लिखा था.
कमल किशोर के इस लेख में लिखा था, "इस बाहुबली पर लालू की कृपा थी. विधायक न होते हुए भी इन्हें पटना में फ़्लैट, टेलीविज़न और गाड़ी मिली थी. सत्ता की ओट में कई नामी-गिरामी मार्केट से रंगदारी वसूलने का अधिकार भी मिल गया था."
हालांकि, बाद के दिनों में वो लालू प्रसाद यादव से दूर हुए, लेकिन फिर आरजेडी के नज़दीक भी आ गए.
दुलारचंद यादव हाल के दिनों तक आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव को ही मुख्यमंत्री बनाने की बात दोहराते रहे. ऐसे में सवाल उठता है कि उन्होंने जनसुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी का प्रचार क्यों किया?
बांका के रहने वाले 30 साल के पीयूष प्रियदर्शी का नाम पहली बार मोकामा टाल में साल 2022 में सुनाई दिया. जब उन्होंने मोकामा से विधानसभा उपचुनाव लड़ने की घोषणा की.
धानुक जाति से आने वाले पीयूष प्रियदर्शी ने लोकसभा चुनाव भी लड़ा था. दुलारचंद यादव चाहते थे कि इस बार आरजेडी पीयूष प्रियदर्शी को टिकट दे लेकिन आरजेडी ने वीणा देवी को टिकट दिया. पीयूष प्रियदर्शी ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज़ से मास्टर इन सोशल वर्क किया है.
मोकामा सीट: अनंत सिंह परिवार का राज
ANI अनंत सिंह की छवि भी एक बाहुबली की रही है साल 1990 से मोकामा सीट पर अनंत सिंह का परिवार ही जीतता रहा है.
सिर्फ़ साल 2000 में यहां से सूरजभान जीते थे, जो ख़ुद भी बाहुबली हैं. 1990 में अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह ने कांग्रेस के श्याम सुंदर सिंह धीरज को हराया था.
साल 1990 और 1995 में यहां से दिलीप सिंह की जीत के बाद साल 2000 के चुनाव में सूरजभान जीते. लेकिन साल 2005 में अनंत सिंह यहां से लगातार पांच चुनाव जीत चुके हैं.
अनंत सिंह के जेल जाने के बाद साल 2022 के उपचुनाव में अनंत सिंह ने अपनी पत्नी नीलम देवी को खड़ा किया, उन्होंने भी इस सीट पर जीत हासिल की.
64 साल के अनंत सिंह साक्षर हैं. उन पर 28 आपराधिक मामले लंबित हैं. वह बीते साल अगस्त महीने में ही आर्म्स एक्ट के एक मामले में बरी होकर जेल से बाहर आए थे.
कांग्रेस नेता श्याम सुंदर सिंह धीरज को साल 1990 के चुनाव में अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह ने हराया था.
मोकामा सीट से दो बार विधायक और तीन बार मंत्री रहे श्याम सुंदर सिंह धीरज बीबीसी से कहते हैं, "पूरे बिहार में और सभी पार्टियों ने मास लीडर को हराने का ये तरीका निकाला है कि बाहुबलियों को उस सीट पर खड़ा करो ताकि लीडर जो साफ़-सुथरी छवि का है वो जीत ही नहीं पाए."
"आप देखिए चुनाव से पहले हमारे पास जो लाइसेंसी हथियार है, उसकी गिनती होती है लेकिन यहां तो प्रचार- प्रसार में भी लोग बंदूक लेकर घूम रहे हैं."
इसी साल जनवरी में सोनू-मोनू नाम के दो भाइयों के साथ अनंत सिंह और उनके समर्थकों के बीच भी गोलीबारी हुई थी.
मोकामा: कभी इंडस्ट्रियल हब हुआ करता थापटना के फतुहा से लेकर लखीसराय विधानसभा क्षेत्र का इलाका 'टाल' कहलाता है. ये इलाका दलहन फ़सलों के लिए बहुत उपजाऊ माना जाता है.
इस इलाके में कभी मशहूर शिकारी और प्रकृति प्रेमी जिम कॉर्बेट की ट्रांस शिपमेंट के तौर पर नियुक्ति हुई थी. अपनी खास भौगोलिक स्थिति के चलते ये इलाका अंतर्देशीय नौवाहन और रेलवे का बड़ा केंद्र हुआ करता था.
यही वजह है कि आज़ादी के बाद यहां बड़ी फैक्ट्रियां लगाई गईं. यूनाइटेड स्प्रिट (मैकडॉवेल), नेशनल टेक्सटाइल कॉरपोरेशन, भारत वैगन एंड इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड और बाटा लेदर फैक्ट्री यहां थीं.
लेकिन ये सभी धीरे-धीरे बंद होती गईं और इस पूरे इलाके की पहचान सिर्फ़ बाहुबलियों से होने लगी.
दुलारचंद यादव की हत्या के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करते हुए लिखा, "मुद्दों के डर से जुमलेबाज़ी करने वाले प्रधानमंत्री मोदी को अपना गुंडाराज और महाजंगलराज नहीं दिखता."
वहीं जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि कानून अपना काम करेगा.
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए 'जंगलराज' को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में चुनाव के वक़्त हुई ये हिंसा नीतीश सरकार के 20 साल के शासनकाल और थ्री सी यानी क्राइम, करप्शन और कम्युनलिज़्म पर ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर सवाल उठाती है.
सवाल ये भी है कि क्या बिहार अपने पुराने दौर में लौट रहा है जहां एक समय पर जातीय हिंसा, चुनावी हिंसा और बाहुबल राज्य की एक पहचान बन गई थी.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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