अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर शंघाई कोऑपरेशन आर्गेनाइजेशन (एससीओ) के बहाने निशाना साधा है.
नवारो ने पत्रकारों से कहा, "यह शर्म की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन में एससीओ की बैठक में दुनिया के दो सबसे बड़े निरंकुश तानाशाहों के साथ मंच साझा किया."
और फिर उन्होंने वही बात दुहराई जो हाल के दिनों में कई बार कह चुके हैं.
उन्होंने कहा, "पीएम मोदी को आगे आना चाहिए और रूस से तेल ख़रीदना बंद करना चाहिए. उन्हें यूरोप और यूक्रेन के साथ खड़ा होने की ज़रूरत है."
दूसरी ओर राष्ट्रपति ट्रंप ने सोमवार को दावा किया कि भारत ने अमेरिकी सामानों पर 'आयात शुल्क घटाकर ज़ीरो' करने की पेशकश की है, लेकिन अब इसमें 'बहुत देरी' हो गई है.
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पीएम मोदी ने सोमवार को चीन में एससीओ की बैठक में हिस्सा लिया, जहाँ उनकी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाक़ात हुई.
तीनों नेताओं की तस्वीरों पर काफ़ी चर्चा है और पश्चिमी मीडिया में यह विश्लेषण किया जा रहा है कि ट्रंप के टैरिफ़ की वजह से भारत चीन और रूस के क़रीब जा रहा है.
रूस से तेल ख़रीदने को लेकर पीटर नवारो पहले भी कई बार टिप्पणी कर चुके हैं.
उन्होंने भारत को रूसी तेल का 'लॉन्ड्रोमैट' कहा और एक दिन पहले ही कहा था कि 'ब्राह्मण' भारतीय जनता की क़ीमत पर मुनाफ़ा कमा रहे हैं और इसे 'रोकने' की ज़रूरत है.
ट्रंप और नवारो ने भारत को 'टैक्स का महाराजा' बताया, लेकिन अमेरिका में ही ट्रंप की नीतियों को लेकर असहजता महसूस की जा रही है.
कुछ दिन पहले ही बाइडन सरकार में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे जेक सुलिवन ने भारत के प्रति ट्रंप की नीतियों को अमेरिका के लिए एक बड़ा 'रणनीतिक नुक़सान' बताया था और कहा था कि 'अमेरिका पाकिस्तान के लिए भारत को कुर्बान कर रहा है.'
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मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में पीटर नवारो ने कहा, "शांति का रास्ता आंशिक रूप से नई दिल्ली से होकर जाता है. अब समय आ गया है कि मोदी को आगे आना चाहिए. मैं मोदी का बहुत सम्मान करता हूँ. मैं भारत के लोगों से प्यार करता हूँ."
उन्होंने कहा, "दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता, मोदी को दुनिया के दो सबसे बड़े तानाशाहों, पुतिन और शी जिनपिंग के साथ मिलते देखना शर्मनाक था. इस बात का कोई तुक नहीं बनता."
नवारो ने भारत और चीन के बीच सैन्य संघर्ष और तनाव की ओर भी इशारा किया.
उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि वह क्या सोच रहे हैं, ख़ासकर इसलिए क्योंकि भारत दशकों से चीन के साथ कभी शीत युद्ध, तो कभी सीमा पर टकराव में उलझा हुआ है."
उन्होंने कहा, "इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय नेता यह समझेंगे कि उन्हें हमारे साथ, यूरोप और यूक्रेन के साथ रहना चाहिए, रूस के साथ नहीं. और उन्हें रूस से तेल ख़रीदना बंद करना होगा."
रूस से तेल ख़रीद को लेकर अमेरिका भारत पर लगातार दबाव बनाए हुए है और यही कारण बताते हुए ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ़ लगाया, जो कुल 50 प्रतिशत तक पहुँच गया है.
लेकिन भारत ने इसे 'अनुचित और अव्यावहारिक' बताया है.
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सोमवार को जब शी जिनपिंग और पुतिन से मोदी की मुलाक़ात हो रही थी, उसी समय ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक और बयान दिया.
उन्होंने लिखा, "बहुत कम लोग इस बात को समझते हैं. हम भारत के साथ बहुत कम बिज़नेस करते हैं, लेकिन वो (भारत) हमारे साथ बड़े पैमाने पर कारोबार करते हैं."
ट्रंप ने कहा, "दूसरे शब्दों में, भारत हमें बड़े पैमाने पर सामान बेचता है. हम उनके सबसे बड़े क्लाइंट हैं, लेकिन हम उन्हें बहुत कम सामान बेचते हैं. अभी तक यह पूरी तरह एकतरफ़ा रिश्ता रहा है और दशकों से ऐसा ही चलता आया है."
उन्होंने लिखा, "हमारे कारोबारी अभी तक भारत में सामान नहीं बेच पा रहे हैं. इसकी वजह है कि भारत ने दूसरे देशों के मुक़ाबले हम पर सबसे ज़्यादा टैरिफ़ लगाया है. यह अब तक एकतरफ़ा आपदा जैसा रहा है."
ट्रंप ने आगे कहा, "भारत सबसे ज़्यादा तेल और सैन्य उपकरण रूस से ख़रीदता है, अमेरिका से बहुत कम ख़रीदता है. अब भारत ने टैरिफ़ घटाकर ज़ीरो करने की पेशकश की है, लेकिन इसमें अब देरी हो गई है. उन्हें यह काम सालों पहले कर लेना चाहिए था."
ट्रंप पहले भी भारत के साथ अमेरिकी व्यापार घाटे का ज़िक्र कर चुके हैं.
पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष हुआ और फिर संघर्ष विराम को लेकर ट्रंप ने कई दावे किए.
हाल ही में उन्होंने संघर्ष रुकवाने के लिए 'भारत से कहा था कि इतना टैरिफ़ लगाऊँगा कि सिर चकरा जाएगा.'
'पाकिस्तान के लिए भारत की कुर्बानी'
भारत के साथ ट्रंप प्रशासन के कड़े रुख़ पर अमेरिका में भी असहजता है और रिपब्लिकन नेता निकी हेली ने कुछ दिन पहले ही मौजूदा स्थिति पर चिंता जताई थी.
अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री जॉन केरी ने भी चिंता ज़ाहिर की थी और कहा था कि ट्रंप अपनी नीतियों से अपने सहयोगियों को दूर कर रहे हैं.
बाइडन सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे जेक सुलिवन ने पिछले महीने ही चेतावना दी थी कि "भारत के साथ रिश्तों की क़ुर्बानी देना अमेरिका के लिए बड़ा रणनीतिक नुक़सान है."
20 अगस्त को एक यूट्यूब चैनल को दिए साक्षात्कार में सुलिवन ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति का भारत को छोड़कर पाकिस्तान से क़रीबी बढ़ाना, ट्रंप की विदेश नीति की सबसे कम चर्चित ख़बर रही है.
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने दशकों से "दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र" भारत के साथ अपने संबंधों को बनाने का काम किया है. चीन के रणनीतिक ख़तरे से निपटने के लिए अमेरिका को भारत के साथ टेक्नोलॉजी और आर्थिक मुद्दों पर गठबंधन करना चाहिए.
सुलिवन ने कहा कि अगर अमेरिका के दोस्त और दुनिया के दूसरे देश यह मानने लगें कि वे किसी भी तरह से अमेरिका पर भरोसा नहीं कर सकते, तो यह लंबे समय में अमेरिकी जनता के हित में नहीं होगा.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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