आगरा, 22 अक्टूबर (हि.स.)। पशुओं की खरीद फरोख्त के लिए उत्तर भारत में अपनी एक विशेष पहचान और प्रतिष्ठा रखने वाले आगरा के बटेश्वर पशु मेले का परंपरागत रूप से धनतेरस पर्व पर शुभारंभ हुआ। पिछले वर्षों की तरह इस बार भी बटेश्वर मेले में घोड़े के व्यापारियों के साथ-साथ घोड़ाें की नस्लों के पारखी, घोड़े के अस्तबलों के मालिक, कुछ परंपरागत खरीदार और घोड़े के शौकीन लोग बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं । यहां प्रमुख रूप से राजस्थान से भी बिक्री के लिए कई ऊँट लाये गए हैं। भेड़, बकरियां भी हैं, लेकिन बैलों और गधों की बिक्री के पंडाल सूने नजर आ रहे हैं। हालांकि इस बार पंडालों में कुछ संख्या में गधे, खच्चर आए हैं लेकिन बैलों की संख्या तो बहुत ही कम है।
मुंशी प्रेमचंद की कहानी पंच परमेश्वर में भी बटेश्वरमेले का जिक्र
मुंशी प्रेमचंद की कहानी पंच परमेश्वर में अलगू चौधरी द्वारा बटेश्वर मेले से बैलों की जोड़ी लाये जाने का जिक्र है जो बटेश्वर मेले की प्रतिष्ठा और उसकी ऐतिहासिक पहचान को बताता है। उन दिनों खेती में ट्रैक्टर और मशीनों का प्रचलन नहीं था अधिकांश खेती बैलों के जरिये की जाती थी और इसलिए मेलों से बैलों की जोड़ी खरीदना किसानों के लिए महत्वपूर्ण था। गधाें व ख़च्चराें का उपयोग कच्ची ईंटों की स्थानीय स्तर पर ढुलाई में किया जा रहा है, सामान्य तौर पर इनका प्रयोग बहुत कम दिख रहा है। इसलिए बटेश्वर मेले में भी इनके ग्राहक बहुत कम नजर आ रहे हैं।
मेले में आए शानदार घोड़े
मेले में नकुली,पंजाबी, मारवाड़ी, काठियावाड़ी अनवली नस्ल के घोड़े मेले में पहुंच चुके हैं। घोड़े की अधिकतम कीमत की बात करें तो नकुली नस्ल के घोड़े की कीमत एक करोड़ रुपए से ज्यादा बताई गई है। मेले में जो घोड़े पहुंचे हैं वह 45 किलोमीटर से लेकर 70 किलोमीटर रफ्तार की दौड़ में माहिर है, हालाँकि नकुली घोड़े अधिकतम कीमत में सबसे अव्वल है लेकिन 50 लाख से 90 लाख तक कीमत के पंजाबी काठियावाड़ी मारवाड़ी भी घोड़े भी मेले में मौजूद हैं। वहीं दूसरी ओर राजस्थान के ऊंट भी खरीदारों के लिए आकर्षण का बिंदु बने हुए हैं । 45 हजार से लेकर डेढ़ लाख तक ऊँट मेले में उपलब्ध है। बटेश्वर मेला क्षेत्र के नजदीक पर्यटन स्थल चंबल सेंचुरी देखने के लिए जाने वाले विदेशी भी बड़ी संख्या में बटेश्वर मेले में पहुंच रहे हैं । इनके लिए ऊंट घोड़ाें की नस्ल, बिक्री और व्यापार कोतूहल बना हुआ है।
मेले का समापन 9 नवंबर को
हर वर्ष यह राजकीय मेला आगरा जिला पंचायत की देखरेख में आयोजित किया जाता है। जिला पंचायत अध्यक्ष मंजू भदोरिया ने जानकारी दी कि मेले का समापन 9 नवंबर को होगा। इस दौरान क्रिकेट टूर्नामेंट, हॉकी, कबड्डी, वॉलीबॉल, कुश्ती जैसी कई स्पर्धाओं के लिए अलग-अलग अस्थाई स्टेडियम बनाए गए हैं। धार्मिक, सांस्कृतिक एवं अन्य मंचीय कार्यक्रम भी प्रतिदिन आयोजित किये जा रहे हैं। दीपावली पर्व के बाद मेले में व्यापारियों की संख्या बढ़ेगी और आवश्यकता के अनुसार और भी सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी।
हिन्दुस्थान समाचार / Vivek Upadhyay
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