Next Story
Newszop

अब विदेशी इंजनों की नहीं ज़रूरत, देश मांग रहा है KaveriEngine, 1980 में शुरू हुआ सपना, अब बन सकता है भारत की ताकत

Send Push
नई दिल्ली: कावेरी इंजन प्रोजेक्ट भारत का एक खास मिशन है, जो देश को लड़ाकू विमानों के लिए विदेशी इंजनों पर निर्भर होने से बचाने के लिए शुरू किया गया था. ये प्रोजेक्ट 1980 के दशक में शुरू हुआ और इसे DRDO की एक टीम ने बनाया है. इसका नाम है GTRE, यानी Gas Turbine Research Establishment. इस इंजन को तेजस जैसे फाइटर जेट के लिए डिजाइन किया गया था. यह करीब 80 किलो न्यूटन ताकत (थ्रस्ट) पैदा करता है और इसमें एक खास डिजिटल सिस्टम (FADEC) भी लगाया गया है, जिससे इंजन को ज्यादा अच्छे और सुरक्षित तरीके से कंट्रोल किया जा सके.हालांकि, 1998 में भारत के परमाणु परीक्षण के बाद विदेशी देशों ने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए, जिससे इस इंजन के बनने में कई रुकावटें आईं. थ्रस्ट की कमी, इंजन का भारी होना और तकनीकी समस्याएं इसकी बड़ी चुनौतियां थीं. इसलिए 2008 में इसे तेजस प्रोजेक्ट से हटा दिया गया.अब फिर से इस इंजन पर काम शुरू हुआ है, ताकि इसे स्टेल्थ ड्रोन जैसे एडवांस हथियारों में इस्तेमाल किया जा सके. हाल ही में कुछ उड़ान टेस्ट भी सफल हुए हैं. इसी वजह से आज 26 मई 2025 को सोशल मीडिया पर #FundKaveriEngine ट्रेंड करने लगा, जिसमें लोग और रक्षा विशेषज्ञ सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए पैसा और संसाधन दिए जाएं. इसका मकसद है कि भारत रक्षा के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर बन सके.
Loving Newspoint? Download the app now