एक समय था जब लोग बिना किसी प्रमाणित चिकित्सा ज्ञान वाले झोलाछाप डॉक्टरों के पास इलाज के लिए जाते थे। ये लोग अक्सर अफवाहों और सुनने में आई बातों के आधार पर प्रसिद्ध हो जाते थे, जिससे लोग बिना सोचे-समझे इन पर भरोसा कर लेते थे।
ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों और पाखंडी बाबाओं की दुकानें तेजी से बढ़ती गईं, क्योंकि लोगों में जागरूकता की कमी थी।
हालांकि, जैसे-जैसे शिक्षा का स्तर बढ़ा, लोगों को इन धोखेबाजों की असलियत का पता चलने लगा। अब शहरी क्षेत्रों में अधिकांश लोग डॉक्टर के पास जाने से पहले उनकी डिग्री और अनुभव की जांच करते हैं। लेकिन ग्रामीण इलाकों में आज भी ऐसे कई झोलाछाप डॉक्टर और पाखंडी बाबा सक्रिय हैं, जो भोले-भाले लोगों को ठगते हैं। हाल ही में एक ऐसा मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसने सभी को चौंका दिया।
पेट दर्द से परेशान बेटी का अंधविश्वास में फंसना
पेट दर्द से पीड़ित बेटी बनी अंधविश्वास का शिकार
वायरल वीडियो में एक माता-पिता अपनी बेटी के पेट दर्द का इलाज करवाने के लिए किसी योग्य डॉक्टर के पास ले जाने के बजाय एक पाखंडी बाबा के पास ले जाते हैं। लड़की को लंबे समय से पेट दर्द की समस्या थी और जब दवाओं से राहत नहीं मिली, तो अंधविश्वास के चलते वे उसे इस ढोंगी के पास ले आए।
चौंकाने वाली बात यह है कि बाबा इलाज के नाम पर लड़की के शरीर को गलत तरीके से छूता नजर आया। उसके माता-पिता के सामने ही वह उसकी छाती और पेट पर हाथ फेर रहा था, जिससे लड़की बेहद असहज महसूस कर रही थी। वीडियो में लड़की के चेहरे पर डर साफ देखा जा सकता है। लेकिन अंधविश्वास में डूबे माता-पिता इस पूरे घटनाक्रम को देखकर भी कोई विरोध नहीं कर रहे थे।
सख्त कार्रवाई की मांग
लोगों ने की सख्त कार्रवाई की मांग
सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल होने के बाद लोगों में आक्रोश फैल गया। कई लोगों ने इस बाबा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। साथ ही, लड़की के माता-पिता को भी जमकर लताड़ लगाई गई, जो अपनी बेटी की पीड़ा और असहजता को नजरअंदाज कर इस ढोंगी बाबा के झांसे में आ गए थे।
यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि आज भी समाज के कुछ हिस्सों में अंधविश्वास किस कदर लोगों की सोच पर हावी है। हालांकि, जागरूकता और शिक्षा के बढ़ते स्तर के चलते अब लोग पहले से ज्यादा सतर्क हो रहे हैं, लेकिन फिर भी इस तरह की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि अभी भी बहुत कुछ बदले जाने की जरूरत है। ऐसे फर्जी बाबाओं और झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना और लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है, ताकि भविष्य में इस तरह के मामले दोबारा न हों।
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