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फर्जी दस्तावेजों से रोहिंग्या-बांग्लादेशियों के आधार बनवाने वाले गिरोह का खुलासा, आठ गिरफ्तार!

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लखनऊ। यूपी, पश्चिम बंगाल, बिहार व दिल्ली के कई इलाकों में जनसेवा केन्द्रों के संचालकों की मिलीभगत से रोहिंग्या, बांग्लादेशियों व नेपाल के लोगों के फर्जी दस्तावेज से आधार कार्ड बनवाने वाले गिरोह को पकड़ा है। इस तरह से देश की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे गिरोह के सरगना समेत आठ सदस्यों को एटीएस ने गुरुवार को विभिन्न इलाकों में दबिश देकर गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए लोगों में मऊ, आजमगढ़, औरैया, गाजियाबाद और गोरखपुर के आरोपी हैं।

एटीएस ने इन आरोपितों को कोर्ट में पेश किया, जहां से इन्हें जेल भेज दिया गया। एटीएस ने गिरोह का पूरा ब्योरा जुटाने के लिए आरोपितों की रिमाण्ड अर्जी भी कोर्ट में दी है। उधर, एटीएस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में विभिन्न इलाकों में देर रात तक छापेमारी कर रही थी। एटीएस के मुताबिक पकड़े गए लोगों में सरगना आजमगढ़ के मंदे निवासी मो. नसीम, मो. शाबिक, मऊ के छपरा निवासी हिमांशु राय, गाजियाबाद के इंदिरा बिहार निवासी सलमान अंसारी, औरैया के बिधुना निवासी गौरव कुमार, गोरखपुर के चौरी-चौरा निवासी राजीव तिवारी, आजमगढ़ के बिलरियागंज विशाल कुमार और मऊ के घोसी निवासी मृत्युंजय गुप्ता हैं।

जनसेवा केन्द्र का संचालन करने के साथ फर्जीवाड़ा
एटीएस ने बताया कि पकड़े गए अभियुक्त आजमगढ़, गोरखपुर, सहारनपुर, मऊ, औरैया, पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद, कोलकाता और बिहार के लखीसराय, कटिहार व दिल्ली एनसीआर समेत कई क्षेत्रों में जन सेवा केन्द्र के संचालन की आंड़ में यह फर्जीवाड़ा कर रहे थे। इनमें से कुछ ने परिवार के नाम पर जनसेवा केन्द्र भी खोल रखा है। ये लोग जो आधार कार्ड बनाने के लिए अधिकृत हैं।

गिरोह के कहने पर ये लोग फर्जी दस्तावेजों से बांग्लादेशी, रोहिग्याओं और अन्य अपात्र लोगों के वीपीएन का इस्तेमाल कर या सिस्टम को रिमोट पर लेकर फर्जी आधार कार्ड बना लेते थे। इसके अलावा कई बार आधार कार्ड में फर्जी तरीके से गलत संशोधन भी कर लेते थे। फिर इस तरह से तैयार आधार कार्ड से कई घुसपैठियों के पासपोर्ट भी बनवा चुके हैं। इसके लिए संबंधित व्यक्ति से काफी रकम ले रहे थे।

कई सरकारी योजनाओं का लाभ भी लिया
एटीएस ने बताया कि बांग्लादेशी, रोहिंग्या व नेपाल के लोगों ने इन फर्जी दस्तावेज के आधार पर ही देश की कई सरकारी योजनाओं का फायदा उठाया। इस वजह से कई बार वास्तव में इन योजनाओं के लिए पात्र लोगों को लाभ नहीं मिल सका। एटीएस ने बताया कि यह गिरोह रुपयों के लालच में दलालों के माध्यम से ऐसे लोगों से सम्पर्क करता रहता था, जिनके पास कोई भी भारतीय दस्तावेज नहीं है।

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