स्वामी विवेकानंद का नाम लेते ही हमारी आंखों के सामने एक महान और ओजस्वी आध्यात्मिक व्यक्तित्व की छवि आ जाती है। लेकिन शायद बहुत कम लोग जानते हों कि विवेकानंद क्रिकेट के शौकीन थे. और अपने शुरुआती जीवन में उन्होंने इस खेल में अपने हुनर भी दिखाए थे। वो कितने अच्छे गेंदबाज थे इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक कठिन मैच के दौरान समाने वाली टीम के आधे से ज्यादा खिलाड़ियों को पवैलियन भेज दिया था। स्वामी विवेकानंद के क्रिकेट से जुड़ी और बातें आपको आगे बताते हैं।
कोलकाता में दिखाया क्रिकेट का जौहर
1880 के दशक में स्वामी विवेकानंद क्रिकेट खेलते थे। तब वे नरेंद्रनाथ दत्त के नाम से जाने जाते थे। उस वक्त कोलकाता के ऐतिहासिक ईडन गार्डन मैदान पर खेलते हुए उन्होंने सात विकेट झटके थे। ये मुकाबला साल 1884 में कोलकाता क्रिकेट क्लब और टाउन क्लब के बीच में खेला गया था। स्वामी विवेकानंद यानि नरेंद्रनाथ दत्त उस वक्त टाउन क्लब की ओर से खेलते थे।
उन्होंने टाउन क्लब की ओर से शानदार गेंदबाजी करते हुए कोलकाता क्रिकेट क्लब के 7 बल्लेबाजों को पवैलियन का रास्ता दिखा दिया था। आपको बता दें कि उस वक्त अंग्रेजों का गढ़ माने जाने वाले कोलकाता में यह खेल काफी प्रचलित हो गया था।
ईडन गार्डन से जुड़ी किताबों में उल्लेख
कोलकाता के ईडन गार्डन मैदान से जुड़ी कुछ किताबों में भी स्वामी विवेकानंद के इस क्रिकेट मैच का ज़िक्र किया गया है। ईडन गार्डन को भारत में क्रिकेट का मक्का माना जाता है। अंग्रेज़ों के शासन के दौरान इसे ब्रिटेन के बाहर सबसे बड़ा क्रिकेट डेस्टिनेशन माना जाता था। ब्रिटिश राज के दौरान ही यहां पर कोलकाता क्रिकेट क्लब की शुरुआत हुई, जिसके जवाब में बंगाली समुदाय के लोगों ने वहां पर टाउन क्लब की शुरुआत की।
सत्यजीत रे के दादा(चाचा) ने टाउन क्लब बनाया
स्वामी विवेकानंद जिस टाउन क्लब की ओर से क्रिकेट खेलते थे उसकी शुरुआत शारदारंजन रे ने की थी, जो भारत के प्रसिद्ध फिल्म डायरेक्टर सत्यजीत रे के दादा (चाचा) थे। मौजूदा वक्त में भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा मोहम्मद शमी भी कोलकाता के टाउन क्लब से खेल चुके हैं।
हालांकि, नरेंद्रनाथ दत्त ने क्रिकेट फील्ड में अपना करियर नहीं बनाया। अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस की प्रेरणा से उन्होंने आध्यात्मिक जगत में प्रवेश लिया। नरेंद्र नाथ ने स्वामी विवेकानंद बनकर पूरी दुनिया में भारत की संस्कृति और ज्ञान का परचम लहराया और इतिहास में अमर हो गये।
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