जैसा कि हम लोग जानते हैं दुनिया में हर तरह के इंसान रहते हैं। कुछ अच्छे होते हैं, तो कुछ बुरे भी होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इंसान के अंदर भगवान और शैतान दोनों ही मौजूद होता है। चाहे इंसान ऊंचा उठकर भगवान बन जाए, चाहे नीचे गिरकर शैतान बन जाए। वैसे तो इस घोर कलयुग में इंसान के शैतान बनने की मिसाल तो भरी पड़ी हुई है। लेकिन आज हम आपको इस लेख के माध्यम से इंसान से भगवान की तरफ बढ़ने की मिसाल बताने जा रहे हैं।
दरअसल, उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के एआरटीओ आरसी भारती का एक ऐसा मानवीय चेहरा सामने आया है जिसे देख कर उनमें लोग भगवान का रूप देख सकते हैं। जी हां, हल ही में एआरटीओ कार्यालय में कुछ ऐसा हुआ, जिसे, जिसने भी सुना वह द्रवित हो गया और एआरटीओ की प्रशंसा करते हुए नहीं थके।
पिता जी के ऑटो का हुआ था चलानामिली जानकारी के अनुसार, पुरंदरपुर थाना क्षेत्र के सिंहपुर ताल्ही गांव में विजय कुमार नाम का युवक रहता है। उसके पिताजी का नाम राजकुमार है, जो ऑटो चलाते हैं। कुछ दिनों पहले ही उनका ARTO ने 24,500 रुपए का चालान काट दिया था। लेकिन राजकुमार के पास इतने पैसे नहीं थे, कि वह चालान की राशि भर पाते। ऐसी स्थिति में उनका बेटा विजय कुमार अपने पिताजी के चालान के पैसे भरने के लिए एआरटीओ कार्यालय पहुंच गया।
मां का मंगलसूत्र बेचकर बेटा पहुंचा चालान भरनेआर्थिक रूप से कमजोर युवक के ऑटो चालक पिता का जब 24,500 रुपए का चालान कट गया था, तब उसने अपनी मां का मंगलसूत्र बेच दिया लेकिन इसके बावजूद भी विजय के पास रुपए कम पड़ रहे थे। एआरटीओ कार्यालय में सिंहपुर ताल्ही गांव के विजय पहुंचे तो उन्हें परेशान देख एआरटीओ ने पास बुलाकर परेशानी का कारण पूछने लगे।
ARTO ने खुद भरा जुर्मानाविजय कुमार ने पूछने पर यह बताया कि उसके पिता राजकुमार ऑटो चलाते हैं और उन्हें एक आंख से कम नजर आता है। विजय ने यह बताया कि 24,500 रुपए ऑटो का चालान जमा करना है। मां का मंगलसूत्र बेचने के बाद भी सिर्फ ₹13000 ही जमा हो पाए। उसने बताया कि परिवार में 6 बहने हैं। जब विजय की पूरी कहानी एआरटीओ ने सुनी तो उनका दिल पिघल गया और एआरटीओ आरसी भारती ने चालान की राशि खुद अपनी सैलरी से भर दी और पढ़ाई छोड़ चुके युवक को पढ़ाई की पेशकश भी की।
आपको बता दें कि विजय कुमार ने बताया कि वह मजदूरी करता है। फेल होने के बाद हाई स्कूल की पढ़ाई भी नहीं कर सका। जब एआरटीओ आरसी भारती ने उसकी पूरी कहानी सुनी तो उन्होंने खुद चालान की पूरी रकम स्वयं जमा करने के साथ ही टेंपो का इंश्योरेंस भी कराया। उन्होंने युवक की पढ़ाई का खर्च उठाने की भी पेशकश की। एआरटीओ की दरियादिली देखकर कार्यालय में मौजूद सभी कर्मी एवं अन्य लोगों ने उनकी सराहना की।
हालांकि, इस मामले में एआरटीओ आरसी भारती ने मीडिया से ज्यादा बातचीत नहीं की, सिर्फ उन्होंने इतना ही कहा है कि मैंने उसकी पीड़ा सुनी और वह मुझे वाजिब लगी। इस वजह से मैंने उसका जुर्माना खुद ही भर दिया है।
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