लखनऊ, 13 जुलाई . उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने Sunday को सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक कर प्रदेश में उर्वरकों की उपलब्धता, वृक्षारोपण की देखभाल और स्कूल पेयरिंग जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए.
मुख्य सचिव ने निर्देश देते हुए कहा कि अगले 15 दिनों तक प्रतिदिन सुबह 10 बजे सभी जिलाधिकारी कृषि, सहकारिता एवं अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक करें और यह सुनिश्चित करें कि सभी उर्वरक वितरण केंद्रों पर यूरिया और डीएपी की समुचित उपलब्धता बनी रहे.
उन्होंने चेतावनी दी कि एक भी केंद्र खाद से खाली नहीं होना चाहिए. जैसे ही किसी केंद्र पर स्टॉक 80-90 फीसद तक समाप्त हो, तुरंत नया स्टॉक पहुंचाया जाए. उर्वरकों की बिक्री पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए. दुकानदारों को प्रत्येक किसान को खरीद की रसीद देना अनिवार्य होगा और किसी भी हालत में उर्वरक की बिक्री निर्धारित विक्रय मूल्य से अधिक पर न हो. ऐसी शिकायत मिलने पर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी.
निजी दुकानों द्वारा ओवरचार्जिंग और गैरकानूनी टैगिंग पर भी सख्त निगरानी रखने के निर्देश दिए गए. साथ ही, सीमावर्ती जनपदों में विशेष सतर्कता बरतने को कहा गया. मुख्य सचिव ने कहा कि उर्वरक वितरण में कालाबाजारी और जमाखोरी की सूचना मिलने पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जाए और आमजन से प्राप्त शिकायतों को गंभीरता से लिया जाए.
9 जुलाई को प्रदेश भर में हुए वृहद वृक्षारोपण अभियान के मद्देनजर मुख्य सचिव ने सभी जिलों में रोपित पौधों की देखभाल और सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने को कहा. जिन जनपदों में वर्षा कम हुई है, वहां सिंचाई की वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, जिससे पौधों को नुकसान न पहुंचे. खेतों की सिंचाई के लिए भी पर्याप्त जल उपलब्धता बनाए रखने पर जोर दिया गया.
बैठक के दौरान विद्यालय पेयरिंग नीति को लेकर भी चर्चा हुई. मुख्य सचिव ने कहा कि यह कदम संसाधनों के बेहतर उपयोग और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के उद्देश्य से उठाया गया है, जिसे माननीय न्यायालय ने भी जनहित में और संवैधानिक करार दिया है. इस बारे में फैलाई जा रही भ्रामक जानकारियों का खंडन किया जाए.
उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि खाली भवनों के उपयोग पर समिति विचार करे और यदि भवन आंगनवाड़ी केंद्र के रूप में उपयोग किए जाएं, तो यह सुनिश्चित किया जाए कि वहां 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए अनुकूल और सुरक्षित बुनियादी ढांचा हो. ऐसे केंद्रों को बाल वाटिका के मानकों पर विकसित किया जाएगा.
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विकेटी/एएस
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