New Delhi, 13 सितंबर . आयुर्वेद में नाग केसर केवल एक जड़ी-बूटी नहीं, बल्कि प्रकृति और विज्ञान का अद्भुत संगम है. यह त्वचा की हर जरूरत को पूरा करता है, चाहे वह मुंहासों से छुटकारा पाना हो, लालिमा कम करनी हो, दाग-धब्बे मिटाने हों या त्वचा को पर्यावरणीय क्षति से सुरक्षित रखना हो.
त्वचा की देखभाल केवल बाहरी चमक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अंदर से पोषण और संतुलन चाहती है. आयुर्वेद में वर्णित नाग केसर को विशेष रूप से त्वचा की सेहत और निखार के लिए अमृत समान माना गया है. आधुनिक विज्ञान भी इसके औषधीय और एंटीऑक्सीडेंट गुणों की पुष्टि करता है. यही कारण है कि इसे ‘प्रकृति-समर्थित और विज्ञान-अनुमोदित’ तत्व कहा जाता है.
आज की जीवनशैली में प्रदूषण, धूप और तनाव के कारण त्वचा पर फ्री रैडिकल्स का असर बढ़ जाता है. नाग केसर में मौजूद फ्लेवोनॉइड्स और एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को इन हानिकारक प्रभावों से बचाते हैं. यह न केवल समय से पहले उम्र बढ़ने के लक्षणों को रोकता है बल्कि त्वचा को स्वस्थ, दमकता और युवा बनाए रखता है.
नाग केसर में प्रबल एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जो प्रोपियोनिबैक्टीरियम एक्नेस जैसे हानिकारक जीवाणुओं से लड़ने में मदद करते हैं. नियमित उपयोग से यह त्वचा पर बैक्टीरिया की वृद्धि को रोकता है और मुंहासों को फैलने से बचाता है.
त्वचा पर अक्सर प्रदूषण, हार्मोनल असंतुलन या अन्य कारणों से लालिमा और सूजन की समस्या हो जाती है. नाग केसर की एंटी-इंफ्लेमेटरी क्षमता इन समस्याओं को प्राकृतिक रूप से शांत करती है. यह त्वचा की नमी संतुलित करता है और जलन को कम करता है, जिससे चेहरा आरामदायक और मुलायम महसूस होता है.
वहीं मुंहासों के बाद चेहरे पर काले धब्बे और दाग रह जाते हैं. नाग केसर में मौजूद प्राकृतिक सक्रिय तत्व त्वचा की टोन को संतुलित करते हैं और पिग्मेंटेशन को हल्का करने में सहायता करते हैं. इससे त्वचा धीरे-धीरे समान और चमकदार दिखाई देने लगती है.
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पीआईएम/जीकेटी
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