New Delhi, 11 जुलाई . अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने एक नोट में कहा कि भारत दुनिया में अन्य देशों की तुलना में अधिक तेजी से भुगतान कर रहा है. इसकी वजह देश में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) का बड़े स्तर पर इस्तेमाल होना है.
आईएमएफ के ‘बढ़ते खुदरा डिजिटल भुगतान: इंटरऑपरेबिलिटी का मूल्य’ शीर्षक वाले नोट के अनुसार, 2016 में अपनी शुरुआत के बाद से देश में यूपीआई तेजी से बढ़ा है, जबकि नकदी के इस्तेमाल में गिरावट शुरू हो गई है. यूपीआई अब प्रति माह 18 अरब से ज्यादा लेनदेन प्रोसेस करता है और भारत में अन्य इलेक्ट्रॉनिक खुदरा भुगतानों में अग्रणी है.
यूपीआई एक त्वरित भुगतान प्लेटफॉर्म है जो इमीडिएट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बना हुआ है.
नोट में आगे कहा गया कि यूपीआई ने भारत में डिजिटल भुगतान के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है. इस प्लेटफॉर्म से मिले सबूत बताते हैं कि इंटरऑपरेबिलिटी यूजर्स के डिजिटल भुगतान के अनुभव को बेहतर बना सकती है और इससे नई टेक्नोलॉजी को अपनाने की दर में इजाफा हो सकता है.
आईएमएफ ने नोट में कहा, “इंटरऑपरेबिलिटी सीधे तौर पर यूजर्स को अपना पसंदीदा ऐप चुनने की आजादी देती है, जिससे वे उपलब्ध ऐप्स की विविधता और गुणवत्ता का पूरा लाभ उठा पाते हैं. इंटरऑपरेबिलिटी नए प्रोवाइडर्स के प्रवेश को भी सुगम बना सकती है और मौजूदा प्रदाताओं को अपने ऐप्स अपग्रेड करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है, जिससे यूजर्स को अप्रत्यक्ष लाभ मिल सकता है.”
यूपीआई को बढ़ावा देने के लिए भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने 2016 के अंत में भारत इंटरफेस फॉर मनी (भीम) ऐप को लॉन्च किया था.
जून में यूपीआई लेनदेन की मात्रा सालाना आधार पर 32 प्रतिशत बढ़ी. पिछले साल जून की तुलना में लेनदेन मूल्य में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई. दैनिक यूपीआई लेनदेन की संख्या मई के 602 मिलियन से बढ़कर जून में 613 मिलियन हो गई.
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एबीएस/
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