New Delhi, 12 अक्टूबर . Union Minister शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पीएम धन-धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन से देश में कुल उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी और साथ ही इन योजनाओं से कम उत्पादकता वाले, पिछड़े और सिंचाई की सुविधाओं से वंचित जिलों को फायदा होगा.
समाचार एजेंसी से बातचीत करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा,”ये योजनाएं किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. देश के कुछ जिले हैं जहां प्रति हेक्टेयर उत्पादन काफी अच्छा है, लेकिन कई जिले ऐसे भी हैं जहां उत्पादन बहुत कम है. हमने उन्हीं कम उत्पादकता वाले, पिछड़े और सिंचाई की सुविधाओं से वंचित जिलों को चुना है. वहां पर 11 विभागों की 36 योजनाएं मिलकर काम करेंगी. इससे न केवल किसानों की उत्पादकता बढ़ेगी, बल्कि देश का कुल उत्पादन भी बढ़ेगा.”
Prime Minister Narendra Modi ने Saturday को 24,000 करोड़ रुपए की लागत वाली पीएम धन धान्य कृषि योजना की शुरुआत की थी. इस योजना का उद्देश्य देश के हर खेत तक सिंचाई सुविधा पहुंचाना, फसल उत्पादकता को बढ़ावा देना और किसानों के लिए आसान लोन एवं भंडारण सुविधाएं प्रदान करना और नई कृषि पद्धतियों के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना है.
इस योजना के तहत Government ने India के 100 सबसे कम उत्पादकता वाले जिलों को चुना है, जिनका बड़े स्तर पर विकास किया जाएगा.
केंद्रीय कृषि मंत्री ने आगे कहा, “इसके अलावा, दलहन के मामले में भी हम आत्मनिर्भरता चाहते हैं. आज India गेहूं और चावल में आत्मनिर्भर है, लेकिन दालों में अभी भी विदेशों पर निर्भरता है. दलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए Prime Minister ने एक विशेष अभियान शुरू किया है. 2030-31 तक हम दलहन में पूर्ण आत्मनिर्भरता हासिल करना चाहते हैं, जिससे किसान और देश दोनों को लाभ होगा.”
Union Minister के मुताबिक, दलहन आत्मनिर्भरता मिशन का एक मुख्य कारण देश की बड़ी आबादी का शाकाहारी होना है और प्रोटीन के लिए दालों पर निर्भरता है. दूसरी बात यह है कि India में समृद्धि बढ़ रही है, तो दालों की खपत भी बढ़ रही है. लोग दाल के बिना भोजन नहीं करते. तीसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि कृषि में विविधता (डाइवर्सिफिकेशन) जरूरी है. अगर हम लगातार गेहूं और चावल की खेती करेंगे तो मिट्टी की उर्वरता कम हो जाएगी, लेकिन दालें नाइट्रोजन फिक्स करती हैं और मिट्टी को स्वस्थ रखती हैं. इसलिए दलहन की खेती बढ़ाना जरूरी है.
दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता मिशन की घोषणा केंद्रीय बजट 2025-26 में की गई थी और 1 अक्टूबर 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा इसे मंजूरी दी गई थी. इसे 2025-26 से 2030-31 के दौरान क्रियान्वित किया जाएगा. इसका उद्देश्य घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना, आयात पर निर्भरता कम करना और दालों के उत्पादन में “आत्मनिर्भर भारत” का मार्ग प्रशस्त करना है.
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एबीएस/
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