बेंगलुरु, 21 अप्रैल . विश्व शांति के दूत और कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनके निधन से पूरी दुनिया में शोक की लहर है. बेंगलुरु में आर्कडायोसिस कम्युनिकेशन सेंटर, आर्कडायोसिस ऑफ बैंगलोर के निदेशक सिरिल विक्टर जोसेफ ने पोप फ्रांसिस के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया.
उन्होंने कहा कि यह चर्च के लिए बहुत बड़ी क्षति है, क्योंकि पोप फ्रांसिस एक सच्चे मार्गदर्शक और महान नेता थे. उन्होंने अपने कार्यकाल में कई अनूठी पहल शुरू कीं, जो दया और करुणा पर आधारित थीं.
सिरिल विक्टर ने से बात करते हुए कहा कि पोप फ्रांसिस ने चर्च को अधिक दयालु और करुणामय बनाने का सपना देखा था. वे चाहते थे कि चर्च जरूरतमंदों और समाज के हाशिए पर रहने वालों तक पहुंचे. उनकी नेतृत्व शैली न केवल कैथोलिक समुदाय तक सीमित थी, बल्कि वे वैश्विक स्तर पर एक प्रेरणादायक नेता थे. पर्यावरण और जलवायु संरक्षण के प्रति उनकी गहरी चिंता ने उन्हें दुनिया भर में सम्मान दिलाया. उन्होंने पर्यावरण संरक्षण पर पहला विश्व पत्र ‘लॉडाटो सी’ जारी किया, जिसमें पृथ्वी को साझा घर मानकर उसकी देखभाल की बात कही गई. सिरिल ने बताया कि रोम में अपनी डॉक्टरेट के दौरान उन्होंने पोप फ्रांसिस की अमेरिका यात्रा का अध्ययन किया, जहां उन्हें ‘ट्री हगर’ (पेड़ों से प्रेम करने वाला) कहा गया.
उन्होंने कहा कि पोप फ्रांसिस ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के नैतिक मुद्दों पर भी चिंता जताई थी. उन्होंने तकनीक के दुरुपयोग को लेकर दुनिया को आगाह किया. भारत में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीसीबीआई) के अध्यक्ष कार्डिनल फिलिप नेरी फराउ ने पोप के निधन पर शोक व्यक्त किया. उन्होंने एक सर्कुलर जारी कर भारत के चर्चों में शोक और प्रार्थना का ऐलान किया. सिरिल ने कहा कि भारत के सभी चर्चों में पोप फ्रांसिस की आत्मा की शांति के लिए विशेष प्रार्थनाएं आयोजित किए जाएंगे. उनके अंतिम संस्कार की तारीख की प्रतीक्षा की जा रही है.
उन्होंने कहा कि पोप फ्रांसिस का नेतृत्व विश्व शांति, पर्यावरण संरक्षण और मानवता के प्रति उनके समर्पण के लिए हमेशा याद किया जाएगा. भारत में उनके अनुयायी उनके दिखाए रास्ते पर चलने का संकल्प ले रहे हैं.
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पीएसएम/
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