Next Story
Newszop

शुभ संयोग: एक ही दिन मासिक विनायकी चतुर्थी और अंदल जयंती, जानें पूजन विधि

Send Push

New Delhi, 27 जुलाई . श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायकी चतुर्थी और अंदल जयंती है. इस दिन सूर्य देव कर्क राशि में रहेंगे और चंद्रमा दोपहर के 12 बजे तक सिंह राशि में रहेंगे, इसके बाद कन्या राशि में गोचर करेगा. दृक पंचांग के अनुसार इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर के 12 बजे से शुरू होकर 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 07 बजकर 22 मिनट से शुरू होकर 09 बजकर 04 मिनट तक रहेगा.

अंदल जयंती को आदि पूरम के नाम से भी जाना जाता है. दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु, में यह एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह त्योहार देवी अंदल के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और भगवान रंगनाथ के साथ देवी अंदल के विवाह का उत्सव मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन कुंवारी लड़कियां यदि सच्चे मन से पूजा करती हैं, तो उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है.

इस साल अंदल जयंती 28 जुलाई, Monday को मनाई जाएगी. यह तमिल महीने ‘आदि’ में पूरम नक्षत्र के दिन पड़ती है.

यह त्योहार लगभग 10 दिनों तक चलता है और कई मंदिरों में देवी अंदल की मूर्तियों को पालकी या रथ में रखकर शोभायात्रा निकाली जाती है. इसी के साथ ही देवी को रंगीन कांच की चूड़ियों की मालाएं चढ़ाई जाती हैं और बाद में इन चूड़ियों को भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इन चूड़ियों को पहनने से समृद्धि और आशीर्वाद भी मिलता है.

इसके साथ ही इस दिन मासिक विनायकी चतुर्थी है. पुराणों के अनुसार, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायकी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. विनायकी व्रत की शुरुआत करने के लिए जातक ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करने के बाद पीले वस्त्र पहनकर, पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें.

इसके बाद भगवान गणेश की प्रतिमा के समक्ष दूर्वा, सिंदूर और लाल फूल अर्पित करने के बाद वह श्री गणपति को बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं, इनमें से 5 लड्डुओं का दान ब्राह्मणों को करें और 5 भगवान के चरणों में रख बाकी प्रसाद में वितरित करें.

पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, और संकटनाशक गणेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें. शाम के समय गाय को हरी दूर्वा या गुड़ खिलाना शुभ माना जाता है.

संकंटों से मुक्ति के लिए चतुर्थी की रात्रि को चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए “सिंहिका गर्भसंभूते चन्द्रमांडल सम्भवे. अर्घ्यं गृहाण शंखेन मम दोषं विनाशय॥” मंत्र बोलकर जल अर्पित करें. यदि संभव हो तो चतुर्थी का व्रत रखें, जिससे ग्रहबाधा और ऋण जैसे दोष शांत होते हैं.

एनएस/केआर

The post शुभ संयोग: एक ही दिन मासिक विनायकी चतुर्थी और अंदल जयंती, जानें पूजन विधि appeared first on indias news.

Loving Newspoint? Download the app now