New Delhi, 7 अगस्त . फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान व मेजर सोमनाथ शर्मा अब स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बन गए हैं. देश के छात्रों में देशभक्ति की भावना और भारत के सैन्य इतिहास की गहरी समझ विकसित करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है.
फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा के जीवन और बलिदान पर आधारित अध्याय इसी शैक्षणिक वर्ष से एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में जोड़े गए हैं.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, ये प्रेरणादायक कहानियां विभिन्न विषयों व कक्षाओं की किताबों में हैं. कक्षा 8वीं (उर्दू) में फील्ड मार्शल मानेकशॉ की सच्ची कहानी को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है. कक्षा 7वीं (उर्दू) में ब्रिगेडियर उस्मान की बहादुरी के किस्से और कक्षा 8वीं (अंग्रेजी) में मेजर शर्मा की वीर गाथाएं शामिल की गई हैं. इन अध्यायों के माध्यम से विद्यार्थियों को भारत के वीर सैनिकों के असाधारण साहस, नेतृत्व क्षमता और राष्ट्र के प्रति उनकी समर्पण भावना से परिचित कराया जाएगा.
फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, जो भारतीय सेना के पहले अधिकारी थे जिन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अपने रणनीतिक कौशल और नेतृत्व के लिए आज भी याद किए जाते हैं. वहीं, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान (मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित) और मेजर सोमनाथ शर्मा (भारत के पहले परमवीर चक्र विजेता) ने देश की सेवा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए और देशभक्ति तथा बलिदान के प्रतीक बन गए.
यह पहल रक्षा मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के बीच सहयोग का हिस्सा है, जिसके तहत राष्ट्रीय समर स्मारक की विरासत को स्कूली पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जा रहा है.
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन कहानियों को पाठ्यक्रम में शामिल करने से छात्रों को न सिर्फ भारत के रक्षा इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी मिलेगी, बल्कि वे संवेदनशीलता, सहानुभूति, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और राष्ट्र निर्माण की भावना जैसे महत्वपूर्ण जीवन मूल्यों को भी आत्मसात कर सकेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को New Delhi के सेंट्रल विस्टा ‘सी’ हेक्सागोन स्थित आइकॉनिक इंडिया गेट परिसर में राष्ट्रीय समर स्मारक को राष्ट्र को समर्पित किया था. यह स्मारक न सिर्फ हमारे वीर जवानों को सच्ची श्रद्धांजलि है, बल्कि देशवासियों में राष्ट्रभक्ति, उच्च नैतिक मूल्यों, बलिदान और राष्ट्रीय एकता की भावना को भी प्रोत्साहित करता है.
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जीसीबी/डीकेपी
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