बिहार विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग द्वारा राज्यभर में SIR यानी विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण अभियान चलाया गया है। इसका उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन करना था, लेकिन इस प्रक्रिया को लेकर विपक्ष लगातार गंभीर आरोप लगा रहा है। दावा है कि कई जगहों पर गड़बड़ियाँ हुई हैं — और मामला अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुँच चुका है।
इसी क्रम में भोजपुर जिले के आरा विधानसभा क्षेत्र के एक मतदाता मिंटू पासवान (पिता – उदय पासवान, उम्र 41 वर्ष) ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। उनका कहना है कि पुनरीक्षण के दौरान बीएलओ ने उन्हें "मृत" दर्ज कर मतदाता सूची से नाम हटा दिया। सुनवाई के दौरान मिंटू पासवान स्वयं अदालत में पेश होकर बोले — "मैं जीवित हूँ, लेकिन वोटर लिस्ट में मुझे मरा हुआ बताया गया है।" उनका पुराना EPIC नंबर 0701235 है, और वे आरा नगर निगम के वार्ड नंबर 1, सिंगही कला के मतदान केंद्र 92 (पुराना) एवं 100 (नया) से मतदान करते आए हैं।
मिंटू पासवान, जो मैट्रिक पास हैं और पेशे से मज़दूर हैं, ने बताया कि विशेष पुनरीक्षण के दौरान बीएलओ कभी सत्यापन के लिए उनके घर नहीं पहुँचे। बल्कि, उन्होंने वार्ड पार्षद से बातचीत कर ही रिपोर्ट तैयार कर दी। जबकि नियम के अनुसार बीएलओ को घर-घर जाकर पहचान और स्थिति की पुष्टि करनी होती है। मतदाता सूची का प्रारूप प्रकाशित होने पर उन्हें पता चला कि उनका नाम "मृत" श्रेणी में डालकर हटा दिया गया है। शिकायत करने पर 10 दिन बाद बीएलओ उनके पास पहुँचे और नाम वापस जोड़ने के लिए ढेरों दस्तावेज़ जमा करने को कहा।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह केवल उनके साथ नहीं हुआ, बल्कि वार्ड के कई जीवित मतदाताओं को "मृत" घोषित कर सूची से बाहर कर दिया गया। मिंटू के अनुसार, 69 वर्षीय फुलझारो देवी (पति – कमला यादव, EPIC नंबर 2457935) का नाम भी मृत घोषित कर हटा दिया गया है, जबकि वे भी वर्षों से मतदान कर रही हैं। दोनों ने समय रहते दावा-आपत्ति के फॉर्म भरकर प्रक्रिया पूरी की है।
शहर के अन्य वार्डों में भी ऐसे मामले सामने आए हैं। उदाहरण के तौर पर, वार्ड नंबर 35, धरहरा निवासी शंकर चौहान (पिता – शिवजी चौहान, उम्र 64 वर्ष, EPIC नंबर 903331), मदन चौहान (पिता – यदुनंदन चौहान, उम्र 73 वर्ष, EPIC नंबर 1309913) और सुधा देवी (पति – शशिकांत चौहान, उम्र 34 वर्ष, EPIC नंबर 1520642) — इन तीनों को भी मृत श्रेणी में डालकर सूची से हटा दिया गया। इन सभी ने भी दावा-आपत्ति दर्ज कराई है।
अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर गंभीरता से विचार कर रहा है, क्योंकि यह केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि मतदाता अधिकार और चुनावी पारदर्शिता की व्यापक समस्या को दर्शाता है।
You may also like
ये हैं भारत की 5 सबसे खतरनाक सड़कें, इनपर से गुजरना हो तो कांप जायेगी रुह – देखिए
Mumbai: घर के बाहर खेल रहे मासूम पर चढ़ा दी कार; ड्राइवर के खिलाफ मामला दर्ज
क्या आपकी कमर पर भी पड़ते हैं ऐसे डिंपल? तो इसके फायदे भी जान लीजिए
क्या मुंबई में बिल्लियों का राज है? जानिए आवारा कुत्तों की कहानी!
Marty Supreme: Timothée Chalamet की नई फिल्म का ट्रेलर रिलीज़