पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अपने रुख को और कड़ा करते हुए एक के बाद एक सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इसी क्रम में भारत सरकार ने पाकिस्तान पर एक और बड़ी स्ट्राइक करते हुए उसके साथ होने वाले सभी प्रकार के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है। इस रोक के अंतर्गत अब पाकिस्तान से कोई भी वस्तु – चाहे वह प्रत्यक्ष रूप से आयात की जा रही हो या किसी तीसरे देश के माध्यम से – भारत में नहीं लाई जा सकेगी। इस निर्णय के बाद अब यह सवाल उठता है कि आखिर पाकिस्तान से भारत में कौन-कौन से सामान आया करते थे?
भारत में आने वाले प्रमुख पाकिस्तानी उत्पाद
भारत में पाकिस्तानी कुर्तियां, पेशावरी चप्पलें और सेंधा नमक बड़ी मात्रा में मंगवाए जाते थे। इनके अलावा भी पाकिस्तान कई अन्य वस्तुएं भारत को भेजता था, लेकिन अब भारत सरकार के इस सख्त निर्णय के चलते पाकिस्तानी मालवाहक जहाज भारतीय बंदरगाहों पर नहीं रुक सकेंगे।
सेंधा नमक (हिमालयन रॉक सॉल्ट):
भारत में उपवास और आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्रमुखता से उपयोग होने वाला सेंधा नमक पाकिस्तान के खेवड़ा क्षेत्र की खदानों से आता था। इसे 'हिमालयन रॉक सॉल्ट' के नाम से जाना जाता है और यह भारत में सबसे अधिक आयात किए जाने वाले पाकिस्तानी उत्पादों में से एक था।
ड्राई फ्रूट्स (सूखे मेवे):
पाकिस्तान के बलूचिस्तान और पेशावर क्षेत्रों से सूखे मेवे जैसे बादाम, अखरोट, किशमिश और अंजीर भारत में आते थे। खासतौर पर त्योहारों और सर्दियों के मौसम में इनकी मांग काफी बढ़ जाती थी।
पेशावरी चप्पल:
उत्तर भारत में विशेष रूप से पसंद की जाने वाली पेशावरी चप्पलें अपनी मजबूत बनावट और पारंपरिक डिजाइन के लिए जानी जाती हैं। यह पुरुषों के पारंपरिक पहनावे का अहम हिस्सा बन चुकी थीं।
लाहौरी कुर्ते और वस्त्र:
लाहौर की पारंपरिक कढ़ाई और डिजाइन वाले कुर्ते, सलवार-सूट तथा अन्य परिधान भारत में काफी लोकप्रिय हो गए थे। कई फैशन ब्रांड इन्हें एक्सक्लूसिव डिजाइनों के रूप में पेश कर रहे थे।
कपास और अन्य उत्पाद:
भारत पाकिस्तान से कपास, कार्बनिक रसायन, कन्फेक्शनरी उत्पाद, चश्मों के लिए इस्तेमाल होने वाले ऑप्टिकल्स, स्टील और सीमेंट भी आयात करता था। इन उत्पादों की भारत में एक खास मांग बनी हुई थी।
आयात बंद होने का असर
भारत सरकार के इस निर्णय के बाद अब इन सभी पाकिस्तानी उत्पादों का आयात पूरी तरह से बंद हो गया है। इससे न केवल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगेगा, बल्कि भारतीय बाजार में कुछ विशिष्ट वस्तुओं की उपलब्धता पर भी असर पड़ सकता है। हालांकि, भारत तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है और यह उम्मीद की जा रही है कि इन वस्तुओं के विकल्प जल्द ही भारतीय बाजार में उपलब्ध हो जाएंगे।
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