ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव को कम करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। शनिवार को दोनों देशों ने सीजफायर की घोषणा की थी और इसी क्रम में सोमवार, 12 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स) के बीच बातचीत हुई। पाकिस्तानी रक्षा सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के डीजीएमओ मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला और भारत के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने हॉटलाइन के जरिए आपसी संवाद स्थापित किया। यह बातचीत दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव कम करने की दिशा में पहला औपचारिक प्रयास था। इस संवाद में दोनों पक्षों ने इस प्रतिबद्धता पर जोर दिया कि सीमा पर एक भी गोली नहीं चलेगी और कोई भी आक्रामक या शत्रुतापूर्ण कदम नहीं उठाया जाएगा। साथ ही, सीमा और अग्रिम चौकियों से सैनिकों की संख्या में कमी लाने पर भी गंभीरता से विचार किया गया। निवार को ही जमीन, हवा और समुद्र – तीनों मोर्चों पर सभी तरह की सैन्य गतिविधियों और गोलीबारी को तुरंत रोकने पर सहमति बनी थी। इसके बाद यह डीजीएमओ स्तर की पहली बातचीत थी, जो उसी समझौते की पुष्टि और विस्तार का हिस्सा थी।
पाकिस्तान ने कहा- अब हम टकराव नहीं बढ़ाएंगे
इस वार्ता में पाकिस्तानी पक्ष ने स्पष्ट किया कि वह अब इस टकराव को आगे नहीं बढ़ाएगा और संघर्ष विराम का उल्लंघन नहीं करेगा। दोनों देशों ने यह भी दोहराया कि वे नियंत्रण रेखा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए 2021 में हुए संघर्ष विराम समझौते को दोबारा सशक्त करेंगे।
भारतीय सेना की प्रेस ब्रीफिंग: ‘आतंकियों की लड़ाई अब पाक सेना की बन गई’
सोमवार को भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर एक प्रेस ब्रीफिंग की। डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने बताया कि आतंकियों की गतिविधियों के जवाब में भारत ने LOC और IB को पार किए बिना सटीक हमले किए। उन्होंने कहा कि हमें पहले से आशंका थी कि पाकिस्तान की ओर से वायुसेना का हमला हो सकता है, इसलिए एयर डिफेंस सिस्टम पहले ही मजबूत किया गया था। 9-10 मई को जब पाकिस्तान की वायुसेना ने भारत के एयरफील्ड पर हमला करने की कोशिश की, तो उसे भारतीय एयर डिफेंस के सामने विफलता हाथ लगी। इस प्रेस ब्रीफिंग में एयर मार्शल ए.के. भारती ने कहा कि शुरुआत में हमें लगा कि हम केवल आतंकियों से लड़ रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान की सेना ने खुद को बीच में डालकर इस लड़ाई को सीधे तौर पर अपनी लड़ाई बना लिया। भारतीय सेना का यह भी कहना है कि पहलगाम में हुए आतंकी हमलों के बाद स्थितियां बेहद गंभीर हो चुकी थीं और ऑपरेशन सिंदूर उसी का निर्णायक जवाब था।
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