राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने न्यूयार्क के पूर्व सांसद, कनेक्टिकट के एक गवर्नर, ‘एनबीए यंगबॉय’ के नाम से मशहूर रैपर, एक मजदूर नेता और कोरोना महामारी के दौरान सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ाने वाले एक पूर्व सैन्य अधिकारी को बुधवार को अलग-अलग मामलों में माफी दे दी।
ट्रंप ने कोलोराडो की सुपरमैक्स जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे शिकागो के एक पूर्व गैंग लीडर लैरी हूवर की सजा कम कर दी। हूवर को पहली बार 1973 में एक हत्या के सिलसिले में कैद किया गया था और 1998 में एक आपराधिक गिरोह चलाने का दोषी ठहराया गया था, लेकिन बाद में उसने अपने आपराधिक अतीत को त्याग दिया और सजा करने के लिए याचिका दायर की। वह अब भी जेल में बंद है।
एनबीए यंगबॉय के नाम से मशहूर लुइसिsयाना के रैप कलाकार केंट्रेल गॉल्डेन को भी ट्रंप ने माफी दी।
उसे बंदूक से संबंधित आरोपों में 2024 में लगभग दो साल की जेल की सज़ा सुनाई गई थी। उसने दोषसिद्धि के बावजूद हथियार रखने की बात स्वीकार की थी।
गॉल्डेन और अन्य लोगों को क्षमादान की पुष्टि बुधवार शाम को व्हाइट हाउस के दो अधिकारियों ने की, जिन्होंने नाम न बताने की शर्त पर उन कार्रवाइयों का विवरण दिया, जिन्हें अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया था।
ऑनलाइन पोस्ट के जरिये दिये गये एक बयान में गॉल्डेन ने कहा, ‘‘मैं राष्ट्रपति ट्रंप को मुझे क्षमादान देने और एक व्यक्ति, एक पिता और एक कलाकार के तौर पर रचनात्मक कार्य जारी रखने का अवसर देने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।’’
ट्रम्प ने न्यूयॉर्क के मजदूर नेता जेम्स कैलाहन को भी माफ़ कर दिया, जिन्हें एक विज्ञापन फर्म से 315,000 अमरीकी डॉलर के उपहारों की रिपोर्ट करने में विफल रहने का दोषी पाया गया था और उन्हें सजा सुनाई जाने वाली थी।
राष्ट्रपति ने कनेक्टिकट के पूर्व गवर्नर रिपब्लिकन जॉन रोलैंड को भी माफ़ कर दिया। वह दो संघीय चुनाव अभियानों में अपनी भागीदारी छिपाने से संबंधित आरोपों के लिए 30 महीने जेल की सजा सुनाई गई थी।
उन्होंने न्यूयॉर्क के रिपब्लिकन माइकल ग्रिम को भी क्षमादान दिया, जिन्होंने कर धोखाधड़ी के दोषी पाए जाने के बाद कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। ग्रिम ने 2014 में फिर से चुनाव जीता, जबकि उनपर अपने एक रेस्तरां में वेतन और राजस्व को कम करके दिखाने के आरोप थे।
सेना के लेफ्टिनेंट मार्क ब्रैडशॉ को भी क्षमादान दिया गया। उनपर 2022 में कोविड-19 की जांच कराये बिना काम पर आने का आरोप सिद्ध हुआ था।
दक्षिण अफ्रीका के दल ने सीमा पार आतंकवाद पर भारत की कतई न सहन करने की नीति का समर्थन दियादक्षिण अफ्रीका ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के पीड़ितों के साथ बृहस्पतिवार को एकजुटता व्यक्त की तथा सीमापार आतंकवाद से लड़ने के भारत के संकल्प का समर्थन किया।
सर्वदलीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद से निपटने पर भारत का रुख सामने रखने के लिए 27-29 मई तक दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर है। प्रतिनिधिमंडल ने बृहस्पतिवार को केपटाउन में दक्षिण अफ्रीकी वार्ताकारों के साथ कई बैठकें कीं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) सांसद सुप्रिया सुले के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (एएनसी) के नेताओं से मुलाकात की और आतंकवाद के प्रति भारत की कतई न सहन करने की नीति तथा वैश्विक खतरे के खिलाफ नए सामान्य दृष्टिकोण को रेखांकित किया था।
बुधवार को प्रतिनिधिमंडल ने डेमोक्रेटिक अलायंस के नेता और दक्षिण अफ्रीका के कृषि मंत्री जॉन स्टीनहुइसन तथा डेमोक्रेटिक अलायंस (डीए) के अन्य सदस्यों के साथ गहन चर्चा की।
भारतीय उच्चायोग ने यहां ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि महासचिव फिकिले मबालुला के नेतृत्व में एएनसी नेताओं ने ‘‘प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया और उसकी सराहना की तथा भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की तथा सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद की निंदा की।’’
एएनसी के महासचिव मबालुला ने ‘एक्स’ पर कहा कि बैठक में आतंकवाद का मुकाबला करने और शांति एवं सुरक्षा को बढ़ावा देने में वैश्विक एकता के महत्व को रेखांकित किया गया।
इसमें कहा गया है, ‘‘एएनसी ने इस कठिन समय में भारत के लोगों के साथ एकजुटता से खड़े रहने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की तथा इस बात पर बल दिया कि आतंकवाद की सभी रूपों में निंदा की जानी चाहिए, चाहे वह कहीं भी घटित हो।’’
प्रिटोरिया स्थित भारतीय दूतावास की ओर से बृहस्पतिवार को जारी एक बयान में कहा गया, “डीए ने पहलगाम में आतंकवादी हमले के पीड़ितों के साथ एकजुटता व्यक्त की और सीमा पार आतंकवाद से लड़ने के भारत के संकल्प का समर्थन किया।”
प्रतिनिधिमंडल ने दक्षिण अफ्रीका गणराज्य की प्रेसिडेंसी के उप मंत्री केनेथ मोरोलोंग के साथ भी बातचीत की तथा उन्हें भारत के आतंकवाद-रोधी रुख से अवगत कराया, जो त्वरित और दृढ़ कार्रवाई पर आधारित है तथा जिसके तहत आतंकवादियों और उनके समर्थकों दोनों को समान रूप से जिम्मेदार ठहराया जाता है।
बयान में कहा गया, “उप मंत्री ने कहा कि उन्होंने इस मामले पर ध्यान दिया है तथा इसे दक्षिण अफ्रीकी प्रेसीडेंसी के ध्यान में लाया जाएगा।”
इससे पहले प्रतिनिधिमंडल ने केपटाउन में दक्षिण अफ्रीकी वार्ताकारों के साथ कई बार बातचीत की। प्रतिनिधिमंडल ने दक्षिण अफ्रीकी सांसदों से भी मुलाकात की और आतंकवाद के प्रति भारत की कतई न सहन करने और वैश्विक खतरे के खिलाफ नए सामान्य दृष्टिकोण को रेखांकित किया।
पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था। पहलगाम हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने छह-सात मई की दरमियानी रात पाकिस्तान और इसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ढांचे पर सटीक हमले किए थे, जिसके बाद पाकिस्तान ने आठ, नौ और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने का प्रयास किया। भारतीय पक्ष ने पाकिस्तानी कार्रवाइयों का कड़ा जवाब दिया।
वॉशिंगटन में एक पार्क में सात लोगों को गोली मारी गई,तीन की हालत गंभीरवाशिंगटन में टैकोमा उपनगर के एक पार्क में बुधवार शाम सात लोगों को गोली मार दी गई, जिनमें से तीन की हालत गंभीर है। पुलिस ने यह जानकारी दी।
लेकवुड के पुलिस सार्जेंट चार्ल्स पोर्श ने ‘कोमो-टीवी’ को बताया कि अधिकारियों को रात करीब आठ बजे लेकवुड के हैरी टॉड पार्क में गोलीबारी की सूचना मिली
उन्होंने बताया कि तत्काल पुलिस वहां पहुंची और पांच लोगों को अस्पताल पहुंचाया जबकि दो अन्य खुद ही अस्पताल पहुंच गए।
‘सिएटल टाइम्स’ ने अपनी खबर में पोर्श के हवाले से बताया कि तीन लोगों की हालत गंभीर है।
उन्होंने कहा कि अभी यह पता नहीं चल पाया है कि गोलीबारी में कितने लोग शामिल थे ओर गोलियां किस वजह से चलाई गईं। घटना के संबंध में बुधवार तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई थी।
पोर्शे ने बताया कि गोलीबारी के वक्त पार्क में 100 से अधिक लोग मौजूद थे।
गोलीबारी की यह घटना फिलाडेल्फिया पार्क में मेमोरियल डे पर हुई गोलीबारी के कुछ दिनों बाद हुई है जिसमें दो लोग मारे गए थे और नौ लोग घायल हो गए थे।
चीनी छात्रों के वीजा रद्द करेगा अमेरिका,चीनी छात्र चिंतित और क्रोधितअमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने बुधवार को घोषणा की कि चीन के कुछ छात्रों के वीजा रद्द कर दिए जाएंगे, जिसके बाद अमेरिका में अध्ययन कर रहे चीनी छात्र अपने भविष्य को लेकर असमंजस में हैं।
दरअसल रूबियो ने बुधवार को घोषणा की है कि अमेरिका चीन के उन छात्रों के वीजा रद्द करना शुरू करेगा जो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े हैं या संवेदनशील क्षेत्रों में पढ़ रहे हैं।
अमेरिका में आने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों में चीन के छात्र दूसरे नंबर पर आते हैं वहीं सर्वाधिक विदेशी छात्र भारत से होते हैं। शैक्षणिक वर्ष 2023-2024 में यहां चीन के छात्रों की संख्या 270,000 से अधिक थी, जो अमेरिका में सभी विदेशी छात्रों का लगभग एक चौथाई हिस्सा है।
जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे चीन के छात्र लिनकिन ने कहा कि यह "चीनी बहिष्कार अधिनियम का नया संस्करण" है। छात्र ने प्रतिशोध के डर से केवल अपने पहले नाम से पहचाने जाने का अनुरोध किया था।
लिनकिन का आशय 19वीं सदी के उस कानून से था जो चीनी नागरिकों को अमेरिका में प्रवास करने से रोकता था और अमेरिका में पहले से रह रहे चीनी लोगों को नागरिकता मिलने पर प्रतिबंध लगाता था।
जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के छात्र ने कहा कि अपनी जिंदगी का एक तिहाई हिस्सा यहीं बिताने के बाद बुधवार को पहली बार उनके मन में अमेरिका छोड़ने का विचार आया।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने अमेरिका के फैसले को अनुचित बताया।
उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘ इस तरह की राजनीतिक और भेदभावपूर्ण कार्रवाई अमेरिका के इस झूठ को उजागर करती है कि वह तथाकथित स्वतंत्रता और खुलेपन को कायम रखता है।"
उन्होंने कहा कि चीन ने अमेरिका के समक्ष विरोध दर्ज कराया है।
विदेश में पढ़ने वाले चीनी छात्रों का मुद्दा लंबे समय से द्विपक्षीय संबंधों में तनाव का विषय रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान 2019 में चीन के शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों को अमेरिका में वीजा मुद्दों के बारे में आगाह किया था।
शिकागो विश्वविद्यालय में सार्वजनिक नीति में स्नातकोत्तर की 27 वर्षीय छात्रा ज़ू रेंगे ने कहा कि इस वर्ष के अंत में स्नातक होने के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए छुट्टी लेकर विदेश में मानवीय सहायता कार्यक्रमों में काम करने की योजना बनाई थी।
रेंगे ने कहा कि लेकिन अब वह अमेरिका छोड़ने से परहेज करेंगी और इस बीच नौकरी की तलाश करेंगी। उन्होंने कहा, "अनिश्चितता के माहौल में, मैं अपने लिए कोई समाधान खोजने की पूरी कोशिश करूंगी।"
अनिश्चितता के बीच हांगकांग प्रतिभाओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है
हांगकांग के नेता जॉन ली ने बृहस्पतिवार को सांसदों से कहा कि शहर उन सभी छात्रों का स्वागत करेगा, जिनके साथ अमेरिकी नीतियों के कारण भेदभाव किया गया है।
हाल में ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का नामांकन रोकने की कोशिश की थी, जिसे फिलहाल अदालत ने रोका है।
ट्रंप ने कहा कि हार्वर्ड में विदेशी छात्रों की संख्या 15 प्रतिशत तक सीमित होनी चाहिए जहां वर्तमान में विदेशी छात्रों की संख्या एक चौथाई से ज्यादा है।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मुठभेड़ में चार आतंकवादी मारे गए, दो पुलिसकर्मियों की भी मौतपाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में रातभर हुई मुठभेड़ में चार तालिबान आतंकवादी मारे गए वहीं दो पुलिस अधिकारियों की भी मौत हो गई। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
सुरक्षा बलों को आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी जिसके बाद उन्होंने रावलकोट जिले के हुसैन कोट वन क्षेत्र में तलाश अभियान शुरू किया था।
रावलकोट के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) रियाज मुगल ने मीडिया को बताया कि पुलिस ने इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद तलाश अभियान प्रारंभ किया।
उन्होंने बताया कि आतंकवादी एक गुफा में छिपे हुए थे और उन्हें घेर लिया गया था लेकिन जब पुलिस ने उन्हें पकड़ने का प्रयास किया तो एक आतंकवादी ने अधिकारियों पर ग्रेनेड फेंका, जिसके बाद जवाबी गोलीबारी की गई।
उन्होंने कहा कि मुठभेड़ में सभी चार आतंकवादी मारे गए जिनमें से तीन की पहचान जरनोश नसीम, उसके भाई जिब्रान नसीम और उल्फत के रूप में हुई है, जबकि चौथे की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है।
मुगल ने पुष्टि की कि मुठभेड़ में दो पुलिस अधिकारी गुलजार और तारिक बशीर मारे गए।
उन्होंने बताया कि घटनास्थल से तीन कलाश्निकोव राइफलें, हथगोले, गोला-बारूद और चार आत्मघाती जैकेट बरामद किए गए।
क्षेत्रीय पुलिस प्रमुख अब्दुल जब्बार ने कहा कि मारे गए आतंकवादी प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से जुड़े थे।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पुलिस द्वारा टीटीपी आतंकवादियों को ढेर किए जाने की घटनाएं आमतौर पर काफी कम होती हैं। टीटीपी को पाकिस्तान तालिबान के रूप में भी जाना जाता है और इसकी स्थापना 2007 में कई आतंकवादी संगठनों ने मिल की थी। इस समूह की अफगानिस्तान की सीमा से लगे खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कबायली क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति है।
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