सर्दियों के मौसम में सर्दी-खांसी जैसी परेशानियां आम हो जाती हैं। न केवल बड़ों बल्कि बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी यह समस्या असहज और तकलीफदेह हो सकती है। इसके चलते लोग अक्सर दवाइयों का सहारा लेते हैं, लेकिन आयुर्वेदिक चिकित्सा शताब्दियों से प्राकृतिक उपायों के माध्यम से रोगों से लड़ने की सलाह देती है। ऐसी ही एक प्रभावशाली आयुर्वेदिक चाय है, जो सर्दी-खांसी से बचाव और उपचार दोनों में मददगार साबित हो रही है।
आयुर्वेदिक चाय के फायदे
यह चाय मुख्य रूप से तुलसी, अदरक, काली मिर्च, और मधु जैसे प्राकृतिक तत्वों से बनाई जाती है। ये सभी जड़ी-बूटियाँ सर्दी-खांसी की समस्या से निपटने में सहायक मानी जाती हैं।
तुलसी: इसे आयुर्वेद में ‘सर्व रोगों की औषधि’ कहा जाता है। तुलसी में एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो गले की खराश और कफ को कम करते हैं।
अदरक: यह श्वास नली को साफ करने और बलगम निकालने में मदद करता है। अदरक में सूजनरोधी गुण होते हैं, जो गले की सूजन को कम करते हैं।
काली मिर्च: काली मिर्च का तिक्त गुण सर्दी-खांसी के लक्षणों को कम करता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।
मधु: प्राकृतिक मधु गले को नरम करता है और खांसी को शांत करता है।
विशेषज्ञों की राय
आयुर्वेद विशेषज्ञ, कहती हैं:
“सर्दी-खांसी से बचाव के लिए यह आयुर्वेदिक चाय बेहद प्रभावशाली है। इसके नियमित सेवन से न केवल खांसी में राहत मिलती है, बल्कि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है। खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह सुरक्षित विकल्प है।”
चाय बनाने की विधि
एक कप आयुर्वेदिक चाय बनाने के लिए निम्न सामग्री चाहिए:
1 कप पानी
1 इंच ताजा अदरक (कद्दूकस किया हुआ)
5-6 तुलसी के पत्ते
2-3 काली मिर्च के दाने
1 चम्मच शहद (मधु)
विधि:
पानी को उबालें।
इसमें अदरक, तुलसी और काली मिर्च डालें और 5-7 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं।
फिर इसे छानकर कप में निकालें।
ठंडा होने पर शहद मिलाएं।
यह चाय दिन में एक से दो बार पीना लाभकारी रहता है।
कब करें डॉक्टर से सलाह?
यदि सर्दी-खांसी के लक्षण लंबे समय तक बने रहें, या खांसी के साथ बुखार, सांस लेने में दिक्कत, गले में तेज दर्द हो तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। आयुर्वेदिक उपचार को दवाओं के विकल्प के रूप में नहीं, बल्कि सहायक उपाय के रूप में अपनाएं।
घरेलू सुझाव
सर्दी-खांसी से बचने के लिए नियमित हवादार स्थान पर रहना चाहिए।
गुनगुने पानी से गरारे करना भी गले की जलन कम करता है।
पर्याप्त नींद और पौष्टिक आहार का सेवन जरूरी है।
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