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अपने पे आ जाएं तो छह पाकिस्तान बना देंगी हमारे घर की औरतें, जानें भारत के घरों में रखा है कितना सोना

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नई दिल्ली: भारतीय घरों में सोने का अथाह भंडार है। यह पाकिस्तान की पूरी अर्थव्यवस्था से भी कई गुना बड़ा है। भारत की सांस्कृतिक विरासत और आर्थिक आदतों का यह एक अनूठा पहलू है। भारत में सोने का शौक सिर्फ संस्कृति से जुड़ा नहीं है। यह दुनिया भर में घरों की संपत्ति दिखाने का एक तरीका है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के अनुसार, भारतीय घरों और मंदिरों के पास लगभग 25,000 टन सोना है। इसकी कीमत लगभग 2.4 ट्रिलियन डॉलर है। यह वित्त वर्ष 2025-26 की भारत की अनुमानित जीडीपी का लगभग 56% है। पाकिस्तान की पूरी अर्थव्यवस्था लगभग 411 अरब डॉलर है। इस तरह, भारत के निजी सोने का भंडार पाकिस्तान की जीडीपी से लगभग छह गुना ज्यादा है। भारतीय घरों में रखे सोने की कीमत इटली (2.4 ट्रिलियन डॉलर) और कनाडा (2.33 ट्रिलियन डॉलर) जैसे विकसित देशों की जीडीपी से भी ज्यादा है।



यूबीएस के अनुसार, वित्त वर्ष 2019-20 से सोने की कीमतें दोगुनी हो गई हैं। इससे भारतीय घरों की संपत्ति में काफी बढ़ोतरी हुई है। बैंक का अनुमान है कि 2026 तक कीमतें बढ़कर 3,500 डॉलर प्रति औंस हो जाएंगी। इसकी वजह व्यापार तनाव, महंगाई और भू-राजनीतिक जोखिम जैसी वैश्विक अनिश्चितताएं हैं। यूबीएस का मानना है कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत में सोने की मांग कम होगी। लेकिन, ऊंची कीमतों के कारण नेट इम्पोर्ट 55-60 अरब डॉलर पर बना रहेगा। यह जीडीपी का लगभग 1.2% है।



यह क्यों महत्वपूर्ण है?

बचत और सुरक्षा: भारतीय परिवारों के लिए सोना एक पारंपरिक और विश्वसनीय बचत का साधन रहा है। यह महंगाई और आर्थिक अनिश्चितता के खिलाफ एक सुरक्षा कवच का काम करता है।



सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व: शादियों, त्योहारों और अन्य शुभ अवसरों पर सोने का लेन-देन महत्वपूर्ण सामाजिक परंपरा है। इसे समृद्धि और प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है।



आर्थिक क्षमता: यह विशाल निजी सोने का भंडार भारत की छिपी हुई आर्थिक क्षमता को दर्शाता है। अगर इस सोने को किसी तरह से औपचारिक अर्थव्यवस्था में लाया जा सके (जैसे गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के जरिए) तो यह देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।



वैश्विक महत्व: भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता देशों में से एक है। यह विशाल निजी भंडार वैश्विक सोने के बाजार पर भी असर डालता है।



बनी हुई है भारत में सोने की मांग

भारत में सोने की मांग वित्त वर्ष 2024-25 में अच्छी रही। यह 782 टन रही, जो महामारी से पहले के औसत से 15% ज्यादा है। ज्वेलरी की मांग थोड़ी कम हुई। लेकिन, सोने के बार (गोल्ड बार) और सिक्कों में खुदरा निवेश 25% बढ़ा। इसकी वजह 2024 के मध्य में कस्टम ड्यूटी को 15% से घटाकर 6% करना था।



यूबीएस का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 में सोने की मांग 725 टन तक कम हो जाएगी। फिर वित्त वर्ष 2026-27 में यह 800 टन तक बढ़ जाएगी। इसका कारण घरों की खपत का स्थिर होना है। 8वें सेंट्रल पे कमीशन से 55 अरब डॉलर का वेतन बढ़ने की उम्मीद है। इससे फिजिकल सेविंग बढ़ेगी। खासकर रियल एस्टेट और सोने में। भारत के पास सोने का भंडार बहुत ज्यादा है। लेकिन, इस संपत्ति का इस्तेमाल करने के प्रयास सफल नहीं हो पाए हैं।



यूबीएस का कहना है कि बैंकों और एनबीएफसी के प्रयासों के बावजूद घरों में रखे सोने का 2% से भी कम हिस्सा लोन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बजाज फाइनेंस, श्रीराम फाइनेंस और चोला जैसी वित्तीय कंपनियां गोल्ड-बैक्ड लेंडिंग में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रही हैं। लेकिन, भावनात्मक लगाव जैसी वजहों से गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम (GMS) और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGBs) जैसी योजनाएं सफल नहीं हो पाई हैं। यूबीएस का यह भी कहना है कि एसजीबी को फरवरी 2024 में बंद कर दिया गया। इसका कारण सोने की बढ़ती कीमतें और सरकार के लिए बढ़ती देनदारियां थीं।



सोने पर भरोसा फायदेमंद साबित हुआ

सोने के भारी इम्पोर्ट के बावजूद भारत का करंट अकाउंट डेफिसिट अभी भी नियंत्रण में है। यूबीएस का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद मजबूत सर्विस ट्रेड सरप्लस और रेमिटेंस फ्लो जैसे बफर बने हैं। इससे सोने से जुड़े आउटफ्लो को कम करने में मदद मिलती है। भारत दुनिया के निजी सोने के स्टॉक का 14% हिस्सा रखता है। इस तरह यह दुनिया में सोने का सबसे बड़ा निजी धारक बना हुआ है। यूबीएस का कहना है कि भारतीय घरों को सोने से सिर्फ लगाव ही नहीं है। बल्कि वे इसकी वजह से अमीर भी हो रहे हैं। अनिश्चितता की दुनिया में भारत का सोने पर भरोसा फायदेमंद साबित हो रहा है।



भारतीय घरों में सोना रखने की परंपरा बहुत पुरानी है। लोग इसे अपनी संपत्ति मानते हैं। यह सिर्फ एक निवेश नहीं है, बल्कि यह उनकी संस्कृति का हिस्सा है। शादियों और त्योहारों में सोने का खास महत्व होता है। लोग इसे शुभ मानते हैं और इसे खुशी से खरीदते हैं।



सोने की बढ़ती कीमतों ने लोगों को और भी ज्यादा आकर्षित किया है। जिन लोगों ने पहले से सोना खरीद रखा है, वे अब और अमीर हो गए हैं। यूबीएस का अनुमान है कि आने वाले सालों में सोने की कीमतें और बढ़ेंगी। इससे लोगों को और भी फायदा होगा।



भारत में सोने की मांग हमेशा बनी रहती है। लोग इसे सुरक्षित निवेश मानते हैं। जब दुनिया में अनिश्चितता होती है तो लोग सोने में निवेश करना पसंद करते हैं। इससे सोने की कीमतें बढ़ जाती हैं। भारत सरकार को सोने के इम्पोर्ट को कम करने की जरूरत है। इससे देश का व्यापार घाटा बढ़ता है। सरकार सोने पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ा सकती है। इससे सोने की मांग कम हो जाएगी।



भारत में सोने का बाजार बहुत बड़ा है। इसमें कई तरह के लोग शामिल हैं। जैसे कि ज्वेलर्स, बैंक और निवेशक। यह बाजार देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सोने के अलावा, भारत में रियल एस्टेट भी एक लोकप्रिय निवेश है। लोग जमीन और मकान खरीदते हैं। कारण है कि उन्हें लगता है कि इनकी कीमतें हमेशा बढ़ेंगी।

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