पहलगाम में जम्मू-कश्मीर कैबिनेट की विशेष बैठक विश्वास बहाली की दिशा में अहम प्रयास है। इससे देश के लोगों में तो भरोसा जगेगा ही, सीमापार तक भी यह संदेश पहुंचेगा कि आतंकी गतिविधियां जम्मू-कश्मीर की तरक्की को रोक नहीं सकतीं। पर्यटक बढ़े: सरकारी आंकड़े बताते हैं कि विशेष दर्जा खत्म होने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की आमद बढ़ी है। विधानसभा में पेश रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 से 2024 के बीच 7.49 करोड़ से ज्यादा टूरिस्ट यहां पहुंचे थे। इसमें से 99.93 लाख से अधिक पर्यटकों ने घाटी की सैर की। जम्मू के मुकाबले कश्मीर का डेटा भले कम हो, लेकिन इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अच्छी बात यह रही कि इस दरम्यान कश्मीर में विदेशी पर्यटक अधिक आए, 2024 में 65 हजार से भी ज्यादा। डराना था मकसद: ये आंकड़े केवल पर्यटन का हाल नहीं बताते, बल्कि साबित करते हैं कि जम्मू-कश्मीर, खासकर घाटी में चीजें सामान्य हो रही थीं। जो इलाका आतंकवाद का दंश दशकों से झेल रहा था, वह पूरे भारत के साथ कदमताल करने लगा था। आतंकी इसी पर चोट करना चाहते थे और पहलगाम हमले का मकसद यही था। इसी वजह से पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने टारगेट किलिंग कर देश में सांप्रदायिक उन्माद फैलाने की कोशिश की। आर्थिक झटका: पहलगाम के बाद जम्मू-कश्मीर के तमाम पर्यटक स्थलों को बंद कर दिया गया था और होटल-टैक्सी वगैरह की 90% तक बुकिंग कैंसल हो गई थीं। यह झटका केवल उनके लिए नहीं है, जिनका रोजगार सीधे पर्यटन से जुड़ा हुआ है, यह चोट पूरे राज्य की आर्थिक सेहत और टूरिज्म बढ़ाने के लिए हाल के बरसों में किए गए तमाम प्रयासों पर है। अकेला नहीं छोड़ना: सीएम उमर अब्दुल्ला ने ठीक कहा कि अगर हम इन जगहों पर नहीं जाएंगे तो कौन जाएगा। अगर बंदूकों से डरकर घाटी को अकेला छोड़ दिया जाता है, तो यह आतंकी मंसूबों की जीत होगी। यही तो वे चाहते हैं। उनकी गोलियों का जवाब देने के साथ-साथ यह संदेश भी पहुंचना चाहिए कि हिंदुस्तान के किसी कोने में आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं है। प्रयास बढ़ाए जाएं: उमर अब्दुल्ला ने नीति आयोग की बैठक में यह सुझाव भी दिया था कि PSUs के लिए कश्मीर में बैठक करना अनिवार्य होना चाहिए। साथ ही, संसदीय समितियों को भी घाटी में जाकर मीटिंग करनी चाहिए। ये कदम छोटे-छोटे ही सही, पर स्थानीय लोगों में सुरक्षित होने का अहसास पैदा करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इस कड़ी में पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला की यह बात भी गौर करने लायक है कि केवल टूरिज्म पर निर्भर न रहकर इंडस्ट्री लाई जाए। इससे तमाम दूसरे रास्ते अपने आप खुल जाएंगे।
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