नई दिल्ली: चीन के विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा से दोनों देशों के रिश्तों में नई सहजता देखने को मिल रही है। भारत के नजरिये से यह बेहद अहम है कि चीन ने रेयर अर्थ मिनरल्स और फर्टिलाइजर्स के निर्यात पर लगाई बंदिशों में छूट देने पर हामी भर दी है। इन दोनों ही चीजों के लिए देश आयात पर निर्भर करता है। व्यापार के लिए सीमा के कुछ रास्ते खोलने का फैसला भी स्वागत योग्य है।
रेयर अर्थ की जरूरत । वांग यी ऐसे वक्त में भारत आए, जब पूरी दुनिया में समीकरण तेजी से बन-बिगड़ रहे हैं। दोनों देशों पर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों का असर पड़ा है और इसी वजह से उम्मीद भी थी कि इस दौरे से कुछ सकारात्मक हासिल हो सकता है। रेयर अर्थ मिनरल्स आज की टेक्नॉलजी की जरूरत हैं और इन पर लगभग पूरी तरह से चीन का कब्जा है। दुनिया की जरूरत की 90% सप्लाई चीन से आती है। इसमें भी 60% वह खुद प्रोड्यूस करता है। भारत भी अपनी जरूरत के लगभग 80% रेयर अर्थ के लिए चीन पर निर्भर है।
चीन पर निर्भरता । इस साल अप्रैल में पेइचिंग ने अमेरिकी नीतियों के विरोध में रेयर अर्थ एलिमेंट्स के निर्यात पर कड़ाई कर दी थी। इससे पूरी दुनिया में ऑटोमोटिव और डिफेंस सेक्टर पर असर पड़ा। भारत भी इससे प्रभावित हुआ। इसी तरह, फर्टिलाइजर्स के मामले में भी चीन पर निर्भरता बहुत ज्यादा है। 2024-25 में देश ने कुल आयात का 19.17% डाई-अमोनियम फास्फेट (DAP) चीन से मंगाया था। भारतीय किसान यूरिया के बाद सबसे ज्यादा इस्तेमाल इसी खाद का करते हैं।
समझ बनी । इस दौरे की अच्छी बात यह रही कि दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की चिंताओं को समझा। जिन मुद्दों को लेकर हाल में आशंकाएं उठी हैं, उन पर खुलकर चर्चा हुई। भारत ने आतंकवाद और ब्रह्मपुत्र पर बन रहे बांध का मामला उठाया। वहीं, ताइवान पर चीन को आश्वस्त किया कि उसकी ‘वन चाइना पॉलिसी’ बदली नहीं है। बाकी दुनिया की तरह उसके भी ताइवान के साथ आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक संबंध हैं।
एक और मौका । भारत और चीन का रिश्ता ऐसा है, जिसके एकदम से गर्मजोशी से भर जाने की उम्मीद नहीं की जा सकती। दोनों के बीच सीमा विवाद का पुराना इतिहास है, बॉर्डर पर अब भी भारी संख्या में सैनिक आमने-सामने हैं, पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का मसला भी है। अच्छी बात यह है कि दोनों देशों में संवाद जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसी 31 तारीख को चीन जाना है। SCO समिट से इतर उनकी मुलाकात चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से भी होगी। तब एक बड़ा मौका होगा, जहां दोनों पड़ोसी आपसी सहयोग को नई दिशा दे सकते हैं।
रेयर अर्थ की जरूरत । वांग यी ऐसे वक्त में भारत आए, जब पूरी दुनिया में समीकरण तेजी से बन-बिगड़ रहे हैं। दोनों देशों पर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों का असर पड़ा है और इसी वजह से उम्मीद भी थी कि इस दौरे से कुछ सकारात्मक हासिल हो सकता है। रेयर अर्थ मिनरल्स आज की टेक्नॉलजी की जरूरत हैं और इन पर लगभग पूरी तरह से चीन का कब्जा है। दुनिया की जरूरत की 90% सप्लाई चीन से आती है। इसमें भी 60% वह खुद प्रोड्यूस करता है। भारत भी अपनी जरूरत के लगभग 80% रेयर अर्थ के लिए चीन पर निर्भर है।
चीन पर निर्भरता । इस साल अप्रैल में पेइचिंग ने अमेरिकी नीतियों के विरोध में रेयर अर्थ एलिमेंट्स के निर्यात पर कड़ाई कर दी थी। इससे पूरी दुनिया में ऑटोमोटिव और डिफेंस सेक्टर पर असर पड़ा। भारत भी इससे प्रभावित हुआ। इसी तरह, फर्टिलाइजर्स के मामले में भी चीन पर निर्भरता बहुत ज्यादा है। 2024-25 में देश ने कुल आयात का 19.17% डाई-अमोनियम फास्फेट (DAP) चीन से मंगाया था। भारतीय किसान यूरिया के बाद सबसे ज्यादा इस्तेमाल इसी खाद का करते हैं।
समझ बनी । इस दौरे की अच्छी बात यह रही कि दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की चिंताओं को समझा। जिन मुद्दों को लेकर हाल में आशंकाएं उठी हैं, उन पर खुलकर चर्चा हुई। भारत ने आतंकवाद और ब्रह्मपुत्र पर बन रहे बांध का मामला उठाया। वहीं, ताइवान पर चीन को आश्वस्त किया कि उसकी ‘वन चाइना पॉलिसी’ बदली नहीं है। बाकी दुनिया की तरह उसके भी ताइवान के साथ आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक संबंध हैं।
एक और मौका । भारत और चीन का रिश्ता ऐसा है, जिसके एकदम से गर्मजोशी से भर जाने की उम्मीद नहीं की जा सकती। दोनों के बीच सीमा विवाद का पुराना इतिहास है, बॉर्डर पर अब भी भारी संख्या में सैनिक आमने-सामने हैं, पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का मसला भी है। अच्छी बात यह है कि दोनों देशों में संवाद जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसी 31 तारीख को चीन जाना है। SCO समिट से इतर उनकी मुलाकात चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से भी होगी। तब एक बड़ा मौका होगा, जहां दोनों पड़ोसी आपसी सहयोग को नई दिशा दे सकते हैं।
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