वॉशिंगटन/तेल अवीव/तेहरान: अमेरिका आखिरकार ईरान के खिलाफ इजरायली हमले में शामिल हो गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ईरान पर हमले की पुष्टि की है। अमेरिका ने ईरान के तीन सबसे महत्वपूर्ण परमाणु स्थल फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर कुल 6 GBU-57 बंकर बस्टर बम गिराए हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है, 'फोर्डो खत्म हो गया।' राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस सैन्य ऑपरेशन की पुष्टि करते हुए कहा कि अमेरिका ने ईरान के "खतरनाक और सक्रिय" परमाणु इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया। आपको बता दें कि अमेरिका ने अपने B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से इन महा विशालकाय बमों को गिराए हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने अमेरिकी मीडिया को बताया है कि अमेरिका ने 30 हजार पाउंड यानि करीब साढ़े 13 हजार किलो के बंकर बस्टर GBU-57 Massive Ordnance Penetrator (MOP) बम ईरान के परमाणु स्थलों पर गिराए हैं।
GBU-57 को परमाणु बमों के बाद दुनिया के सबसे खतरनाक बम माना जाता है। ईरान के फोर्डो परमाणु स्थल के बारे में कहा जाता है कि वो पहाड़ी क्षेत्र में बना है और वो करीब 90 मीटर धरती के अंदर है। वहीं इस हमले से कुछ ही घंटे पहले इजरायल ने भी ईरान के एक अनुसंधान केंद्र पर भी हमला किया था, जिसमें तीन वरिष्ठ ईरानी सैन्य अधिकारी मारे गए थे। अमेरिका के हमले को अब इस बढ़ते क्षेत्रीय युद्ध में उसकी सीधी एंट्री के रूप में देखा जा रहा है।
महाविनाशक GBU-57 बम के बारे में जानिए
GBU-57A/B MOP बम एक 30,000 पाउंड (लगभग 13,600 किलोग्राम) वजनी बम है, जिसे खासतौर पर अत्यधिक सुरक्षित ठिकानों और भूमिगत परमाणु ठिकानों को नेस्तनाबूद करने के लिए बनाया गया है। इसे अमेरिका के B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स से गिराया जाता है, ताकि रडार सिस्टम इसे पकड़ न सके और बम सटीकता के साथ अपने गहरे लक्ष्य तक पहुंच जाए। इस बम की सबसे खास बात है इसकी गहराई तक घुसने की क्षमता है। कहा जाता है कि ये करीब धरती के 60 मीटर तक घुसता है और फिर अंदर विस्फोट करता है, जिससे कंक्रीट-से-सुरक्षित बंकर तक उड़ जाते हैं। इसका विस्फोटक भार लगभग 5300 पाउंड H6 (एक शक्तिशाली मिलिट्री ग्रेड विस्फोटक) यानि करीब 2500 किलो होता है। इस बम को बनाने का मकसद ही ईरान जैसे देशों के उन गुप्त ठिकानों को नष्ट करना था, जो जमीन के नीचे गहराई में बनाए गए हैं और सामान्य बम या मिसाइल उनसे टकराकर असर नहीं डाल सकते। अभी तक की जानकारी के मुताबिक नतांज, फोर्डो और इस्फहान... तीनों परमाणु स्थलों पर दो-दो GBU-57 बम गिराए गये हैं।
फोर्डो फ्यूल इनरिचमेंट प्लांट, ईरान का भूमिगत युरेनियम संवर्धन केंद्र जो पहाड़ों के नीचे स्थित है। नतांज, ईरान का मुख्य संवर्धन केंद्र है, जहां हजारों सेंट्रीफ्यूज काम करते हैं, जिससे परमाणु बम बनाने के स्तर तक यूरेनियन को संवर्द्धित किया जाता था और इस्फहान, यूरेनियम रूपांतरण संयंत्र है, जहां गैस रूपांतरण से लेकर ईंधन छड़ों का निर्माण होता था। अमेरिका ने तीनों परमाणु स्थलों के खत्म होने की बात कही है। ईरान ने हमले की पुष्टि की है, लेकिन अभी तक पता नहीं चल पाया है कि क्या तीनों स्थल पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं? बमबारी से पहले B-2 बॉम्बर्स को ईरान की वायु-सीमा के पास देखा गया था और सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि हमला अत्यंत सटीक और गहन तैयारी के बाद किया गया।
ईरानी सरकारी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ईरान के क्षेत्रीय अधिकारियों ने पुष्टि की है कि इस्फहान, नतांज और फोर्डो परमाणु सुविधाओं पर हमला किया गया है। दोनों सरकारी समाचार एजेंसियों फार्स और आईआरएनए के मुताबिक कोम क्षेत्र के संकट प्रबंधन केंद्र के प्रवक्ता ने कहा है कि "कुछ घंटे पहले, कोम एयर डिफेंस सिस्टम के एक्टिव होने और शत्रुतापूर्ण लक्ष्यों की पहचान के बाद, फोर्डो परमाणु स्थल के क्षेत्र के एक हिस्से पर दुश्मन की वायु सेनाओं द्वारा हमला किया गया।" रिपोर्ट के मुताबिक ईरान पर हमला करने के लिए बी-2 बॉम्बर्स ने हिंद महासागर के डिएगो गार्सिया एयरबेस से उड़ान भरे थे।
GBU-57 को परमाणु बमों के बाद दुनिया के सबसे खतरनाक बम माना जाता है। ईरान के फोर्डो परमाणु स्थल के बारे में कहा जाता है कि वो पहाड़ी क्षेत्र में बना है और वो करीब 90 मीटर धरती के अंदर है। वहीं इस हमले से कुछ ही घंटे पहले इजरायल ने भी ईरान के एक अनुसंधान केंद्र पर भी हमला किया था, जिसमें तीन वरिष्ठ ईरानी सैन्य अधिकारी मारे गए थे। अमेरिका के हमले को अब इस बढ़ते क्षेत्रीय युद्ध में उसकी सीधी एंट्री के रूप में देखा जा रहा है।
महाविनाशक GBU-57 बम के बारे में जानिए
GBU-57A/B MOP बम एक 30,000 पाउंड (लगभग 13,600 किलोग्राम) वजनी बम है, जिसे खासतौर पर अत्यधिक सुरक्षित ठिकानों और भूमिगत परमाणु ठिकानों को नेस्तनाबूद करने के लिए बनाया गया है। इसे अमेरिका के B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स से गिराया जाता है, ताकि रडार सिस्टम इसे पकड़ न सके और बम सटीकता के साथ अपने गहरे लक्ष्य तक पहुंच जाए। इस बम की सबसे खास बात है इसकी गहराई तक घुसने की क्षमता है। कहा जाता है कि ये करीब धरती के 60 मीटर तक घुसता है और फिर अंदर विस्फोट करता है, जिससे कंक्रीट-से-सुरक्षित बंकर तक उड़ जाते हैं। इसका विस्फोटक भार लगभग 5300 पाउंड H6 (एक शक्तिशाली मिलिट्री ग्रेड विस्फोटक) यानि करीब 2500 किलो होता है। इस बम को बनाने का मकसद ही ईरान जैसे देशों के उन गुप्त ठिकानों को नष्ट करना था, जो जमीन के नीचे गहराई में बनाए गए हैं और सामान्य बम या मिसाइल उनसे टकराकर असर नहीं डाल सकते। अभी तक की जानकारी के मुताबिक नतांज, फोर्डो और इस्फहान... तीनों परमाणु स्थलों पर दो-दो GBU-57 बम गिराए गये हैं।
फोर्डो फ्यूल इनरिचमेंट प्लांट, ईरान का भूमिगत युरेनियम संवर्धन केंद्र जो पहाड़ों के नीचे स्थित है। नतांज, ईरान का मुख्य संवर्धन केंद्र है, जहां हजारों सेंट्रीफ्यूज काम करते हैं, जिससे परमाणु बम बनाने के स्तर तक यूरेनियन को संवर्द्धित किया जाता था और इस्फहान, यूरेनियम रूपांतरण संयंत्र है, जहां गैस रूपांतरण से लेकर ईंधन छड़ों का निर्माण होता था। अमेरिका ने तीनों परमाणु स्थलों के खत्म होने की बात कही है। ईरान ने हमले की पुष्टि की है, लेकिन अभी तक पता नहीं चल पाया है कि क्या तीनों स्थल पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं? बमबारी से पहले B-2 बॉम्बर्स को ईरान की वायु-सीमा के पास देखा गया था और सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि हमला अत्यंत सटीक और गहन तैयारी के बाद किया गया।
ईरानी सरकारी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ईरान के क्षेत्रीय अधिकारियों ने पुष्टि की है कि इस्फहान, नतांज और फोर्डो परमाणु सुविधाओं पर हमला किया गया है। दोनों सरकारी समाचार एजेंसियों फार्स और आईआरएनए के मुताबिक कोम क्षेत्र के संकट प्रबंधन केंद्र के प्रवक्ता ने कहा है कि "कुछ घंटे पहले, कोम एयर डिफेंस सिस्टम के एक्टिव होने और शत्रुतापूर्ण लक्ष्यों की पहचान के बाद, फोर्डो परमाणु स्थल के क्षेत्र के एक हिस्से पर दुश्मन की वायु सेनाओं द्वारा हमला किया गया।" रिपोर्ट के मुताबिक ईरान पर हमला करने के लिए बी-2 बॉम्बर्स ने हिंद महासागर के डिएगो गार्सिया एयरबेस से उड़ान भरे थे।
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