उच्च शिक्षा के लिए भारतीय भाषाओं की पुस्तकों को डिजिटल रूप में उपलब्ध कराने के लिए ‘भारतीय भाषा पुस्तक’ स्कीम शुरू की गई है। शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग ने देश की प्रमुख यूनिवर्सिटीज व उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ाए जाने वाले कोर्सेज की मैपिंग कर ली है और सूत्र बता रहे हैं कि करीब 4 से 5 हजार कोर्सेज की किताबें भारतीय भाषाओं में तैयार की जाएंगी। भारतीय भाषाओं में अनुवाद के साथ-साथ मूल लेखन भी होगा। अगले 3 सालों में इन हजारों ग्रेजुएशन व पीजी लेवल के कोर्सेज की किताबें भारतीय भाषाओं में होंगी।
मकसद यही है कि जो छात्र अपनी स्थानीय भाषाओं में पढ़ना चाहे, उसे कोई परेशानी न हो। शिक्षा मंत्रालय ने 22 भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें तैयार करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन हर राज्य की जरूरतों के हिसाब से भाषाओं में किताबें होंगी। जिस- जिस राज्य की जो जरूरतें होंगी, उस हिसाब से किताबें होंगी। अगर दक्षिण का कोई राज्य है तो अंग्रेजी के साथ- साथ उस राज्य की भाषा में पहले किताबें तैयार होंगी।
सरकार की ओर से अब इंजीनियरिंग- मेडिकल की पढ़ाई स्थानीय भाषाओं में करने का विकल्प भी छात्रों को दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश में एमबीबीएस की किताबें हिंदी में उपलब्ध करवाई जा रही है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप कई भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की किताबें तैयार की जा रही है।
हिंदी के साथ-साथ तमिल, तेलुगु, उर्दू, मलयालम, बंगाली, असमिया, मराठी, कन्नड़, उड़िया, गुजराती और पंजाबी में बीटेक और बीई कोर्सेज की किताबें लिखी जा रही हैं। इंजीनियरिंग कोर्सेज में एडमिशन के लिए होने वाले जॉइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (JEE Main) 13 क्षेत्रीय भाषाओं में हो रही है, हालांकि अभी 90 प्रतिशत से ज्यादा इंग्लिश मीडियम को ही चुन रहे हैं। कई भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें तैयार करने के मिशन में यूनिवर्सिटीज के विशेषज्ञों को शामिल किया जा रहा है।
IITs में सीटें बढ़ेंगी:शिक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि मौजूदा सत्र में IITs में करीब 1600 सीटों का इजाफा हुआ है। पांच वर्षों तक हर वर्ष करीब 1600 सीटें बढ़ाई जाएंगी। AI सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन एजुकेशन को शुरू करने की भी तैयारी की जा रही है। इस सेंटर में प्री प्राइमरी से लेकर प्रफेशनल और रिसर्च लेवल तक नये प्रयोग किए जाएंगे। अब आईआईटी समेत देश की कई यूनिवर्सिटीज में बहुविषयक अप्रोच को अपनाया जा रहा है, जिसमें मल्टीपल एंट्री और एग्जिट का प्रावधान किया गया है। आईआईटी बीएचयू, आईआईटी दिल्ली ने अपने करिकुलम में बदलाव किए हैं। डीयू ने भी करिकुलम में बदलाव किया है।
मकसद यही है कि जो छात्र अपनी स्थानीय भाषाओं में पढ़ना चाहे, उसे कोई परेशानी न हो। शिक्षा मंत्रालय ने 22 भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें तैयार करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन हर राज्य की जरूरतों के हिसाब से भाषाओं में किताबें होंगी। जिस- जिस राज्य की जो जरूरतें होंगी, उस हिसाब से किताबें होंगी। अगर दक्षिण का कोई राज्य है तो अंग्रेजी के साथ- साथ उस राज्य की भाषा में पहले किताबें तैयार होंगी।
सरकार की ओर से अब इंजीनियरिंग- मेडिकल की पढ़ाई स्थानीय भाषाओं में करने का विकल्प भी छात्रों को दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश में एमबीबीएस की किताबें हिंदी में उपलब्ध करवाई जा रही है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप कई भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की किताबें तैयार की जा रही है।
हिंदी के साथ-साथ तमिल, तेलुगु, उर्दू, मलयालम, बंगाली, असमिया, मराठी, कन्नड़, उड़िया, गुजराती और पंजाबी में बीटेक और बीई कोर्सेज की किताबें लिखी जा रही हैं। इंजीनियरिंग कोर्सेज में एडमिशन के लिए होने वाले जॉइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (JEE Main) 13 क्षेत्रीय भाषाओं में हो रही है, हालांकि अभी 90 प्रतिशत से ज्यादा इंग्लिश मीडियम को ही चुन रहे हैं। कई भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें तैयार करने के मिशन में यूनिवर्सिटीज के विशेषज्ञों को शामिल किया जा रहा है।
IITs में सीटें बढ़ेंगी:शिक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि मौजूदा सत्र में IITs में करीब 1600 सीटों का इजाफा हुआ है। पांच वर्षों तक हर वर्ष करीब 1600 सीटें बढ़ाई जाएंगी। AI सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन एजुकेशन को शुरू करने की भी तैयारी की जा रही है। इस सेंटर में प्री प्राइमरी से लेकर प्रफेशनल और रिसर्च लेवल तक नये प्रयोग किए जाएंगे। अब आईआईटी समेत देश की कई यूनिवर्सिटीज में बहुविषयक अप्रोच को अपनाया जा रहा है, जिसमें मल्टीपल एंट्री और एग्जिट का प्रावधान किया गया है। आईआईटी बीएचयू, आईआईटी दिल्ली ने अपने करिकुलम में बदलाव किए हैं। डीयू ने भी करिकुलम में बदलाव किया है।
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