सिद्धार्थ अग्रवाल, ग्रेनो वेस्ट: गौड़ सौंदर्यम सोसायटी की एओए ने फ्लैट मालिकों के साथ मिलकर तय किया है कि किसी भी बैचलर को किराये पर घर नहीं दिया जाएगा। अब इस सोसायटी में कोई भी बैचलर नहीं रह रहा है। एओए के वाइस प्रेजिडेंट मोनिष बंसल ने बताया कि यहां करीब 15 टावर है। इनमें करीब 2068 परिवार रह रहे हैं।
परिसर में अपार्टमेंट ओनर्स असोसिएशन की टीम और फ्लैट मालिकों के साथ समन्वय बैठाकर कार्य किया जा रहा है। यहां बैचलर्स के बजाय फैमिली को फ्लैट देने के लिए निवासियों ने सहमति जताई है। इसी को ध्यान में रखते हुए अगर फ्लैट को मालिक रेंट पर देना चाहता है तो मेटिनेंस टीम रेंट एग्रीमेंट को पूरी जांच करती है। इसके बाद ही उसे फ्लैट रेंट पर देने के लिए सहमति दी जाती है।
'बैचलर के रहने से होती है दिक्कत'
अगर कोई फ्लैट मालिक बैचलर्स को घर देने के लिए कहता है, तो मेटिनेंस टीम इससे तत्काल इनकार करती है। एओए का दावा है कि उनकी सोसायटी के किसी भी फ्लैट में बैचलर्स नहीं हैं। ग्रेटर नोएडा की पूर्वाचल सिल्वर सिटी 2 के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष विशाल शर्मा ने बताया कि पूर्व में कई फ्लैट मालिकों ने रेट के चक्कर में अपना फ्लैट लिवइन में रहने वाले युवक-युवती को दिया था।
परिसर के अधिकतर फ्लैटों में फैमिली रहती है। ऐसे में बैचलर्स के रहने से दिक्कत होती थी। रात को कई बार निवासियों ने शिकायत की। इसके बाद आरडब्ल्यूए और निवासियों ने खुद से फ्लैट बैचलर्स को न देने का निर्णय लिया है। परिसर में करीब 624 परिवार रह रहे हैं। एक बैचलर की शिकायत मिलने पर कुछ दिन पहले ही उसे बाहर किया है।
पहले भी लगी हैं ऐसी पाबंदियां
नोएडा-ग्रेटर नोएडा में इस तरह की पाबंदिया पहले भी लग चुकी है। कई मामलों में विरोध के बाद फैसला वापस लेना पड़ा था। सेक्टर 99 की सुप्रीम टावर सोसायटी में किरायेदारों के यहां बैचलर मेहमान न रुकने देने का नियम बनाया गया था। लोगो ने इसका विरोध किया। एमराल्ड कोर्ट सोसायटी में भी दिसबर 2022 में बैचलर्स को किराये पर फ्लैट देने पर पाबंदी लगा दी थी। विरोध के बाद इसे वापस लिया गया।
परिसर में अपार्टमेंट ओनर्स असोसिएशन की टीम और फ्लैट मालिकों के साथ समन्वय बैठाकर कार्य किया जा रहा है। यहां बैचलर्स के बजाय फैमिली को फ्लैट देने के लिए निवासियों ने सहमति जताई है। इसी को ध्यान में रखते हुए अगर फ्लैट को मालिक रेंट पर देना चाहता है तो मेटिनेंस टीम रेंट एग्रीमेंट को पूरी जांच करती है। इसके बाद ही उसे फ्लैट रेंट पर देने के लिए सहमति दी जाती है।
'बैचलर के रहने से होती है दिक्कत'
अगर कोई फ्लैट मालिक बैचलर्स को घर देने के लिए कहता है, तो मेटिनेंस टीम इससे तत्काल इनकार करती है। एओए का दावा है कि उनकी सोसायटी के किसी भी फ्लैट में बैचलर्स नहीं हैं। ग्रेटर नोएडा की पूर्वाचल सिल्वर सिटी 2 के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष विशाल शर्मा ने बताया कि पूर्व में कई फ्लैट मालिकों ने रेट के चक्कर में अपना फ्लैट लिवइन में रहने वाले युवक-युवती को दिया था।
परिसर के अधिकतर फ्लैटों में फैमिली रहती है। ऐसे में बैचलर्स के रहने से दिक्कत होती थी। रात को कई बार निवासियों ने शिकायत की। इसके बाद आरडब्ल्यूए और निवासियों ने खुद से फ्लैट बैचलर्स को न देने का निर्णय लिया है। परिसर में करीब 624 परिवार रह रहे हैं। एक बैचलर की शिकायत मिलने पर कुछ दिन पहले ही उसे बाहर किया है।
पहले भी लगी हैं ऐसी पाबंदियां
नोएडा-ग्रेटर नोएडा में इस तरह की पाबंदिया पहले भी लग चुकी है। कई मामलों में विरोध के बाद फैसला वापस लेना पड़ा था। सेक्टर 99 की सुप्रीम टावर सोसायटी में किरायेदारों के यहां बैचलर मेहमान न रुकने देने का नियम बनाया गया था। लोगो ने इसका विरोध किया। एमराल्ड कोर्ट सोसायटी में भी दिसबर 2022 में बैचलर्स को किराये पर फ्लैट देने पर पाबंदी लगा दी थी। विरोध के बाद इसे वापस लिया गया।
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