नई दिल्ली: अगर आप अपनी कार या कमर्शल गाड़ी का इंश्योरेंस कराने जा रहे है तो अलर्ट रहें। कहीं ऐसा ना हो कि एजेंट आपको चूना लगा दे। ऐसा एक बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। इसका खुलासा तब हुआ, जब देश भर के मोटर एक्सिडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (MACT) से इंश्योरेंस कंपनी को थर्ड पार्टी इंश्योर्ड शख्स के बीमा के लिए समन आए।
पता चला कि जिस गाड़ी से हादसा हुआ था, वो कमर्शल या कार थी। इसके लिए पॉलिसी टू-वीलर की ली गई थी। कुछ पॉलिसी जाली पाई गई, जिनका प्रीमियम ही नहीं भरा गया था। कस्टमर को फर्जी दस्तावेज दिए गए थे।
80 हजार गाड़ियों की पॉलिसी फर्जी निकली
रॉयल सुंदरम जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड का ऑफिस बाराखंभा रोड पर है। कंपनी ने पुलिस को बताया कि 80,014 गाड़ियों की इंश्योरेंस पॉलिसियां फर्जी या जाली निकली, जिनमें 5613 दिल्ली में रजिस्टर्ड गाड़ियों की थी। पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया तो कंपनी ने पटियाला हाउस कोर्ट में गुहार लगाई, जिसने 14 जुलाई 2025 को पुलिस को एफआईआर करने के निर्देश दिए।
लिहाजा क्राइम ब्रांच ने मंडे को ठगी, एजेंट का विश्वासघात करना, जालसाजी, जाली दस्तावेजों को असली के रूप में पेश करना और आपराधिक साजिश के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। कंपनी का दावा है कि वह अपनी डायरेक्ट सेलिंग वेबसाइट, पॉलिसी मास्टर वेबसाइट, ई-मोटर पोर्टल और अन्य ऑनलाइन पोर्टल्स के जरिए इंश्योरेंस पॉलिसी करती है। कुछ एजेंट्स इनके जरिए धोखाधड़ी कर रहे हैं। कस्टमर्स कार, बस, ट्रक, टैक्सी और ऑटो का इंश्योरेंस करवाते हैं। एजेंट इनसे प्रीमियम तो बड़ी गाड़ियों का वसूलते हैं, लेकिन कंपनी से टू-वीलर की पॉलिसी लेते है।
इस तरह किया जाता था खेल
इसका खुलासा ना हो, कंपनी में कस्टमर का पता, ई-मेल, फोन नंबर, गाड़ी का इंजन-चेसिस नंबर भी गलत दर्ज करवाया जाता है। कस्टमर को छेड़छाड़ कर पॉलिसी का दस्तावेज दिया जाता है। कंपनी ने पूरे मामले की जांच की तो सिर्फ 14 पॉलिसी धारकों की पहचान हो सकी, क्योंकि इनमें से किसी का फोन नंबर तो किसी का ई-मेल आईडी या फिर एड्रेस सही पाया गया था। इनसे गाड़ियों की पॉलिसी ली गई तो वह कंपनी के रिकॉर्ड से मेल नहीं खा रहे थे।
कहीं आपकी पॉलिसी तो नहीं है फर्जी
अगर कोई एजेंट सस्ते में गाड़ी का इंश्योरेंस कराने का दावा करता है या करवाता है तो कंपनी के बारे में अच्छी तरह जांच-पड़ताल कर ले। एजेंट की तरफ से मिले बीमा के दस्तावेज पर क्यूआर कोड को भी पुख्ता कर ले। आप अपनी बीमा पॉलिसी की प्रमाणिकता को ऐसे भी जांच सकते हैं।
1. इंश्योरेंस पॉलिसी का दस्तावेज मिलने पर बारीकी से नाम, पता, ई-मेल आईडी, एड्रेस, गाड़ी का विवरण और वैलिडिटी चेक करें।
2 अपनी इंश्योरेंस कंपनी की वेबसाइट पर जाकर पॉलिसी नंबर समेत अन्य विवरण डाल कर उसकी वैधता की जांच करें।
3. इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डिवेलपमेंट ऑफ इंडिया (IRDAI) की वेबसाइट https://irdai.gov.in पर जाकर भी चेक कर सकते है।
4 थोड़ा सा भी संदेह होने पर अपने बीमा एजेंट से तुरंत संपर्क करें और अपनी पॉलिसी के बारे में पूरी जानकारी हासिल करें।
5 अगर आपको लगता है कि आपके साथ जालसाजी हुई है तो बीमा कंपनी और स्थानीय पुलिस में तुरंत कंप्लेट दर्ज कराएं।
पता चला कि जिस गाड़ी से हादसा हुआ था, वो कमर्शल या कार थी। इसके लिए पॉलिसी टू-वीलर की ली गई थी। कुछ पॉलिसी जाली पाई गई, जिनका प्रीमियम ही नहीं भरा गया था। कस्टमर को फर्जी दस्तावेज दिए गए थे।
80 हजार गाड़ियों की पॉलिसी फर्जी निकली
रॉयल सुंदरम जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड का ऑफिस बाराखंभा रोड पर है। कंपनी ने पुलिस को बताया कि 80,014 गाड़ियों की इंश्योरेंस पॉलिसियां फर्जी या जाली निकली, जिनमें 5613 दिल्ली में रजिस्टर्ड गाड़ियों की थी। पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया तो कंपनी ने पटियाला हाउस कोर्ट में गुहार लगाई, जिसने 14 जुलाई 2025 को पुलिस को एफआईआर करने के निर्देश दिए।
लिहाजा क्राइम ब्रांच ने मंडे को ठगी, एजेंट का विश्वासघात करना, जालसाजी, जाली दस्तावेजों को असली के रूप में पेश करना और आपराधिक साजिश के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। कंपनी का दावा है कि वह अपनी डायरेक्ट सेलिंग वेबसाइट, पॉलिसी मास्टर वेबसाइट, ई-मोटर पोर्टल और अन्य ऑनलाइन पोर्टल्स के जरिए इंश्योरेंस पॉलिसी करती है। कुछ एजेंट्स इनके जरिए धोखाधड़ी कर रहे हैं। कस्टमर्स कार, बस, ट्रक, टैक्सी और ऑटो का इंश्योरेंस करवाते हैं। एजेंट इनसे प्रीमियम तो बड़ी गाड़ियों का वसूलते हैं, लेकिन कंपनी से टू-वीलर की पॉलिसी लेते है।
इस तरह किया जाता था खेल
इसका खुलासा ना हो, कंपनी में कस्टमर का पता, ई-मेल, फोन नंबर, गाड़ी का इंजन-चेसिस नंबर भी गलत दर्ज करवाया जाता है। कस्टमर को छेड़छाड़ कर पॉलिसी का दस्तावेज दिया जाता है। कंपनी ने पूरे मामले की जांच की तो सिर्फ 14 पॉलिसी धारकों की पहचान हो सकी, क्योंकि इनमें से किसी का फोन नंबर तो किसी का ई-मेल आईडी या फिर एड्रेस सही पाया गया था। इनसे गाड़ियों की पॉलिसी ली गई तो वह कंपनी के रिकॉर्ड से मेल नहीं खा रहे थे।
कहीं आपकी पॉलिसी तो नहीं है फर्जी
अगर कोई एजेंट सस्ते में गाड़ी का इंश्योरेंस कराने का दावा करता है या करवाता है तो कंपनी के बारे में अच्छी तरह जांच-पड़ताल कर ले। एजेंट की तरफ से मिले बीमा के दस्तावेज पर क्यूआर कोड को भी पुख्ता कर ले। आप अपनी बीमा पॉलिसी की प्रमाणिकता को ऐसे भी जांच सकते हैं।
1. इंश्योरेंस पॉलिसी का दस्तावेज मिलने पर बारीकी से नाम, पता, ई-मेल आईडी, एड्रेस, गाड़ी का विवरण और वैलिडिटी चेक करें।
2 अपनी इंश्योरेंस कंपनी की वेबसाइट पर जाकर पॉलिसी नंबर समेत अन्य विवरण डाल कर उसकी वैधता की जांच करें।
3. इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डिवेलपमेंट ऑफ इंडिया (IRDAI) की वेबसाइट https://irdai.gov.in पर जाकर भी चेक कर सकते है।
4 थोड़ा सा भी संदेह होने पर अपने बीमा एजेंट से तुरंत संपर्क करें और अपनी पॉलिसी के बारे में पूरी जानकारी हासिल करें।
5 अगर आपको लगता है कि आपके साथ जालसाजी हुई है तो बीमा कंपनी और स्थानीय पुलिस में तुरंत कंप्लेट दर्ज कराएं।
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