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भारत में पहली बार मानव त्वचा से बनी इम्प्लांट से कंधे की सफल सर्जरी, मरीज को मिला नया जीवन, जानें क्या है यह तकनीक

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भारत में पहली बार इंसान की स्किन से बनी जैविक इम्प्लांट (ह्यूमन डर्मल एलोग्राफ्ट-आर्थ्रोफ्लेक्स) की मदद से आर्थ्रोस्कोपिक सुपीरियर कैप्सुलर रिकंस्ट्रक्शन (SCR) सर्जरी सफलतापूर्वक की गई है। यह कारनामा बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने किया है।

यह एक आधुनिक और बेहद बारीक 'की-होल' तकनीक यानी छोटे चीरे वाली सर्जरी है, जिससे गंभीर कंधे की चोट यानी रोटेटर कफ टियर वाले मरीजों को नई उम्मीद मिली है। इस तकनीक से कंधे की मजबूती और स्टेबिलिटी वापस आती है, दर्द कम होता है और मरीज को जॉइंट रिप्लेसमेंट जैसी बड़ी सर्जरी से भी बचाया जा सकता है।

37 वर्षीय मरीज को मिला नया जीवन
दिल्ली के 37 वर्षीय एक व्यक्ति को कुछ महीने पहले गिरने से कंधे में गंभीर चोट लगी थी। लगातार दर्द और कमजोरी के कारण वह अपने रोजाना के कामकाज भी नहीं कर पा रहा था। कई इलाज के बाद भी आराम नहीं मिलने पर वो यहां पहंचा।

बुरी तरह फट चुका था रोटेटर कफ
जांच में पता चला कि मरीज का रोटेटर कफ इतनी गंभीर रूप से फट गया था कि उसे दोबारा सिलना संभव नहीं था। आम तौर पर ऐसे मामलों में कंधे की सफाई (Debridement), आंशिक मरम्मत या फिर शोल्डर रिप्लेसमेंट जैसी सर्जरी की जाती है। लेकिन मरीज की कम उम्र और एक्टिव लाइफस्टाइल को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों ने मानव त्वचा से बने ArthroFlex ग्राफ्ट की मदद से Arthroscopic SCR सर्जरी करने का फैसला लिया।

डॉ ने बताया रोटेटर कफ टियर और सर्जरी का महत्व
डॉ। दीपक चौधरी, प्रिंसिपल डायरेक्टर और एचओडी ने बताया कि रोटेटर कफ टियर तब होता है जब कंधे को सहारा देने वाली मांसपेशियां या टेंडन फट जाते हैं। यह चोट लगने या उम्र बढ़ने से भी हो सकता है। जब टेंडन पूरी तरह फट जाता है, तो कंधे की हड्डी अपनी जगह से खिसकने लगती है, जिससे दर्द और कमजोरी बढ़ जाती है।

ऐसे मामलों में Arthroscopic SCR टेक्निक बहुत प्रभावी साबित होती है। इस प्रोसेस में मानव त्वचा से बनी एक पतली परत कंधे के ऊपर लगाई जाती है, जो 'नई छत' की तरह काम करती है। यह कंधे के जोड़ को स्थिर रखती है, हड्डियों का संतुलन बनाए रखती है और हाथ की गति को नॉर्मल बनाती है। चूंकि यह सर्जरी छोटे चीरे से की जाती है इसलिए मरीज को जल्दी आराम मिलता है, दर्द कम होता है और शरीर पर निशान भी बहुत हल्के रहते हैं।

भारत में इस तरह की पहली सफल सर्जरी
डॉ। शिव चौकसे, सीनियर कंसल्टेंट, स्पोर्ट्स मेडिसिन विभाग ने बताया कि यह सर्जरी भारत में पहली बार की गई है। यह उन मरीजों के लिए एक बड़ी राहत है जिनके कंधे में गंभीर चोटें हैं। इस तकनीक की मदद से मरीज अपने नेचुरल कंधे को बचा सकते हैं और जल्दी स्वस्थ हो सकते हैं। डॉक्टर श्री पी सुंदरराजन ने कहा कि उनका उद्देश्य दुनिया की नई और सुरक्षित मेडिकल तकनीक को भारत में समय पर उपलब्ध कराना है ताकि भारतीय मरीजों को बढ़िया इलाज मिल सके।

मरीज की तेज रिकवरी
सर्जरी के अगले ही दिन मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अब वह पूरी तरह नॉर्मल जीवन जी रहा है।
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