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भारत के मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में ड्रैगन बना रोड़ा, चीन की वजह से अटकी योजना, जानिए कैसे

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मुंबई : भारत की बुलेट ट्रेन परियोजना अटक सकती है। मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में समस्या आ गई है। समस्या यह है कि तीन बड़ी-बड़ी सुरंग बनाने वाली मशीनें चीन में फंसी हुई हैं। ये मशीनें जर्मनी की कंपनी Herrenknecht से मंगवाई गई हैं। पर बनी ये चीन के ग्वांगझू शहर (Guangzhou) में हैं। दो मशीनें अक्टूबर 2024 तक भारत आनी थीं। एक मशीन पहले आनी थी। लेकिन चीन के अधिकारियों ने इन्हें रोक दिया है। उन्होंने कोई वजह भी नहीं बताई है।



इस मामले से राजनयिक चिंता बढ़ गई है। रेल मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय से बात की है। खबर है कि राजनयिक रास्ते से मशीनों को छुड़ाने की कोशिश की जा रही है। इन मशीनों के साथ कुछ और जरूरी सामान भी फंसा हुआ है। ये सामान दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए भी जरूरी है।



सुरंग बनाने का काम अटकानेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) इन मशीनों को बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) और सांवली (घणसोली) के बीच सुरंग बनाने के लिए इस्तेमाल करने वाला था। अगर मशीनें आने में देर होती है, तो बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की सुरंग बनाने का काम लेट हो सकता है। खासकर BKC से शिलफाटा तक का 21 किलोमीटर का हिस्सा। इसमें ठाणे क्रीक के नीचे 7 किलोमीटर की सुरंग भी शामिल है। सूत्रों का कहना है कि NHSRCL के अधिकारी इस बारे में कुछ नहीं बोल रहे हैं। लेकिन प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करने का लक्ष्य अभी भी वही है।



अक्टूबर 2024 तक आ जानी थीं मशीनेंNHSRCL इस पूरे प्रोजेक्ट को देख रही है। ये प्रोजेक्ट 1.08 लाख करोड़ रुपये का है। NHSRCL ने तीन TBM मशीनें मंगाई थीं। TBM-1 और TBM-2 सांवली (घणसोली) से विखरोली और विखरोली से BKC के बीच सुरंग बनाएंगी। TBM-3 विखरोली से सांवली के बीच सुरंग बनाएगी। पहली दो मशीनें अक्टूबर 2024 में आनी थीं। TBM-3 को इस साल की शुरुआत में आना था।



गलवान गाटी झड़प के बाद बढ़ा विवादजून 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। इसके बाद से भारत ने चीन से आने वाले निवेश पर कड़ी नजर रखनी शुरू कर दी है। इससे चीन से जुड़े कई कॉन्ट्रैक्ट और सामान में देरी हुई है। कुछ तो रद्द भी हो गए हैं। उस साल, MMRDA ने मुंबई मोनोरेल प्रोजेक्ट के लिए दो चीनी कंपनियों के टेंडर रद्द कर दिए थे। महाराष्ट्र सरकार ने भी चीन की कंपनियों के साथ 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के तीन MoU रोक दिए थे।



कोस्टल रोड प्रोजेक्ट के लिए आई थीं मशीनेंमुंबई मेट्रो और कोस्टल रोड प्रोजेक्ट के लिए भी TBM मशीनें चीन से आई थीं। लेकिन ये 2020 की झड़प से पहले की बात है। ठाणे-बोरिवली सुरंग प्रोजेक्ट के लिए TBM मशीन हेरेनक्नेcht के तमिलनाडु के अलिंजिवक्कम प्लांट में बनी थी। ये सुरंग संजय गांधी नेशनल पार्क से होकर गुजरेगी।



टीबीएम मशीनों की खासियतबुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की TBM मशीनें आम मशीनें नहीं हैं। इनमें से एक मशीन भारत में इस्तेमाल होने वाली सबसे बड़ी मशीन है। इसका कटर हेड 13.56 मीटर का है। जबकि मेट्रो की TBM मशीनों का डायमीटर 6.45 से 6.68 मीटर होता है। मुंबई कोस्टल रोड प्रोजेक्ट में इस्तेमाल हुई 'मावला' TBM मशीन भी 12.19 मीटर की थी, जो इससे छोटी है।



अलग-अलग तरह की मिट्टी खोदने में एक्सपर्टये मशीन Herrenknecht के ग्वांगझू प्लांट में बनी है। इसमें मिक्सशील्ड कॉन्फ़िगरेशन है। इससे ये अलग-अलग तरह की मिट्टी में आसानी से काम कर सकती है। अफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड इस मशीन को BKC स्टेशन से शिलफाटा रैंप तक 20.377 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने के लिए इस्तेमाल करेगी। इस सुरंग में ठाणे क्रीक के नीचे 7 किलोमीटर का हिस्सा भी शामिल है।



अफसरों ने साधी चुप्पीअफकॉन्स को यह कॉन्ट्रैक्ट जून 2023 में 6,397 करोड़ रुपये में मिला था। इसे 5 साल में पूरा करना है। कंपनी BKC (36 मीटर गहरी), विखरोली (56 मीटर) और सांवली (39 मीटर) में तीन वर्टिकल शाफ्ट बना रही है। ये शाफ्ट TBM मशीनों को लॉन्च और निकालने के लिए इस्तेमाल होंगे। घणसोली (42 मीटर) में एक इंक्लाइंड शाफ्ट और शिलफाटा में एक टनल पोर्टल भी बनाया जा रहा है। इससे 5 किलोमीटर की NATM (न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड) टनलिंग में मदद मिलेगी। अफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के अधिकारियों ने इस बारे में कुछ भी कहने से मना कर दिया है।



यह सुरंग जमीन से 25 से 65 मीटर नीचे होगी। शिलफाटा के पास पारसिक हिल के नीचे यह 114 मीटर तक गहरी होगी। मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों का कहना है कि NHSRCL, Herrenknecht, अफकॉन्स और संबंधित मंत्रालय मिलकर इस समस्या को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। सब मिलकर काम कर रहे हैं ताकि मशीनों को जल्द से जल्द छुड़ाया जा सके और प्रोजेक्ट में देरी न हो।

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