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धमकी न दें ट्रंप....रूस से तेल खरीदने में अड़ंगा लगाया तो भी होगा इंतजाम...अमेरिकी धौंस के भरोसे नहीं भारत!

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नई दिल्ली: पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि अगर रूस से तेल की सप्लाई में कोई दिक्कत आती है, तो भारत के पास दूसरे विकल्प मौजूद हैं। गुरुवार (17 जुलाई, 2025) को उन्होंने यह बात कही है। उनका कहना है कि भारत अपनी तेल की जरूरतें पूरी करने के लिए दूसरे देशों से तेल खरीद सकता है। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर रूस 50 दिनों के अंदर यूक्रेन के साथ शांति समझौता नहीं करता है, तो रूस से सामान खरीदने वाले देशों पर सख्त पाबंदियां लगाई जा सकती हैं। इस वजह से भारत में बहुत ज्यादा चिंता छायी हुई है, क्योंकि आज की तारीख में भारत तेल के लिए रूस पर सबसे ज्यादा निर्भर है, जो तुलनात्मक रूप से काफी सस्ता भी है। भारत जितना कच्चा तेल आयात करता है, उसमें अभी लगभग 40% रूस से ही आता है।



मुझे चिंता नहीं, हम निपट लेंगे- पेट्रोलियम मंत्री

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार इस बारे में हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत को रूस से तेल खरीदने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। वे दूसरे देशों से भी तेल खरीद सकते हैं। उन्होंने बताया कि गुयाना जैसे कई नए देश तेल बेचने के लिए आगे आ रहे हैं। ब्राजील और कनाडा जैसे पुराने तेल उत्पादक देश भी तेल सप्लाई कर सकते हैं। इसके अलावा, भारत खुद भी तेल खोजने और निकालने का काम बढ़ा रहा है। नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में पुरी ने कहा, 'मुझे बिल्कुल भी चिंता नहीं है। अगर कुछ होता है, तो हम उससे निपट लेंगे।'



40 देशों से तेल आयात कर रहा है भारत-पुरी

उन्होंने कहा कि भारत ने तेल खरीदने के लिए कई देशों से बात की है। पहले भारत लगभग 27 देशों से तेल खरीदता था, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 40 हो गई है। इस साल के पहले छह महीनों में भारत ने रूस से थोड़ा ज्यादा तेल खरीदा है। प्राइवेट रिफाइनरी कंपनियां, जैसे कि रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी ने रूस से सबसे अधिक तेल खरीदा है। आंकड़ों के अनुसार, रूस भारत को तेल सप्लाई करने वाला सबसे बड़ा देश है। भारत जितना तेल खरीदता है, उससे एक-तिहाई से भी अधिक रूस से आता है। इसके बाद इराक, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) का नंबर आता है।



पहले रूस से 2% से भी कम तेल का था आयात

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के चेयरमैन एएस साहनी ने पत्रकारों को बताया कि 'अगर रूस से तेल की सप्लाई में कोई दिक्कत आती है, तो वे पहले की तरह ही तेल खरीदेंगे। यूक्रेन संकट से पहले भारत रूस से 2% से भी कम तेल खरीदता था।'मतलब, वे उसी तरीके से तेल खरीदेंगे जैसे पहले खरीदते थे।



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