लखनऊः लखनवी जायके की जयकार अब यूनेस्को तक होगी। लखनऊ ने यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क ( यूसीसीएन ) में रचनात्मक पाक कला वाले शहरों की फेहरिस्त में अपनी जगह बनाई है। लखनवी खानपान से जुड़े नवाबों के किस्से आज तक सुनाए जाते हैं। नवाबों के दौर में एक से बढ़कर एक लजीज व्यंजन तैयार किए गए, जो आज भी लखनऊ की पहचान हैं। यहां के व्यंजनों का स्वाद ही ऐसा है कि नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है।
गलौटी कबाब से लेकर अवधी बिरयानी, बॉस्केट चाट, पूरी-कचौरी, खस्ता, काले गाजर का हलवा, मलाई गिलौरी, मक्खन मलाई, मोतीचूर के लड्डू समेत तमाम व्यंजनों के आधार पर यूनेस्को ने लखनऊ को क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी घोषित किया है।
क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी के लिए उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने इसी साल 31 जनवरी को केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को लखनऊ का नाम भेजा था। विस्तृत समीक्षा के बाद केंद्र सरकार ने 3 मार्च को यूनेस्को को अंतिम डॉजियर भेजा।
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि 31 अक्टूबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में हुई यूनेस्को की 43वीं जनरल कॉन्फ्रेंस में लखनऊ को क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी घोषित किया गया। इसमें इस बार आठ नए शहर शामिल किए गए हैं। इस लिस्ट में हैदराबाद, अल-मदीना अल-मुनव्वरा (सऊदी अरब), केलोना (कनाडा), क्यानझोउ (चीन) और जरागोजा (स्पेन) जैसे शहर पहले से शामिल हैं।
शोध की बड़ी भूमिका
पर्यटन मंत्री ने बताया कि यूनेस्को को प्रस्ताव भेजने से पहले हेरिटेज आर्किटेक्ट आभा नारायण लांबा ने गहन शोध किया। उनकी टीम ने शाही रसोई से लेकर गली-मोहल्लों में लगने वाले स्टॉल तक अध्ययन किया। यूनेस्को को भेजे गए डॉजियर में रसोइयों, उस्तादों और स्थानीय परिवारों के व्यंजनों, पाककला परंपराओं और मौखिक इतिहास का पूरा ब्योरा शामिल है।
वैश्विक पहुंच होगी मजबूत
प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने कहा कि लखनऊ की खाद्य संस्कृति ने राज्य में आगंतुकों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वैश्विक मान्यता इसकी पहुंच को और बढ़ाएगी। लखनऊ में परोसी जाने वाली हर थाली शाही रसोईघरों, रेहड़ी-पटरी वालों और सांस्कृतिक एकता की कहानी कहती है। विशेष सचिव पर्यटन ईशा प्रिया ने बताया कि आने वाले समय में लखनऊ की इस अंतरराष्ट्रीय पहचान को उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग और मजबूत करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा।
गलौटी कबाब से लेकर अवधी बिरयानी, बॉस्केट चाट, पूरी-कचौरी, खस्ता, काले गाजर का हलवा, मलाई गिलौरी, मक्खन मलाई, मोतीचूर के लड्डू समेत तमाम व्यंजनों के आधार पर यूनेस्को ने लखनऊ को क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी घोषित किया है।
क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी के लिए उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने इसी साल 31 जनवरी को केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को लखनऊ का नाम भेजा था। विस्तृत समीक्षा के बाद केंद्र सरकार ने 3 मार्च को यूनेस्को को अंतिम डॉजियर भेजा।
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि 31 अक्टूबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में हुई यूनेस्को की 43वीं जनरल कॉन्फ्रेंस में लखनऊ को क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी घोषित किया गया। इसमें इस बार आठ नए शहर शामिल किए गए हैं। इस लिस्ट में हैदराबाद, अल-मदीना अल-मुनव्वरा (सऊदी अरब), केलोना (कनाडा), क्यानझोउ (चीन) और जरागोजा (स्पेन) जैसे शहर पहले से शामिल हैं।
शोध की बड़ी भूमिका
पर्यटन मंत्री ने बताया कि यूनेस्को को प्रस्ताव भेजने से पहले हेरिटेज आर्किटेक्ट आभा नारायण लांबा ने गहन शोध किया। उनकी टीम ने शाही रसोई से लेकर गली-मोहल्लों में लगने वाले स्टॉल तक अध्ययन किया। यूनेस्को को भेजे गए डॉजियर में रसोइयों, उस्तादों और स्थानीय परिवारों के व्यंजनों, पाककला परंपराओं और मौखिक इतिहास का पूरा ब्योरा शामिल है।
वैश्विक पहुंच होगी मजबूत
प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने कहा कि लखनऊ की खाद्य संस्कृति ने राज्य में आगंतुकों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वैश्विक मान्यता इसकी पहुंच को और बढ़ाएगी। लखनऊ में परोसी जाने वाली हर थाली शाही रसोईघरों, रेहड़ी-पटरी वालों और सांस्कृतिक एकता की कहानी कहती है। विशेष सचिव पर्यटन ईशा प्रिया ने बताया कि आने वाले समय में लखनऊ की इस अंतरराष्ट्रीय पहचान को उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग और मजबूत करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा।
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