नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने प्रमुख सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे से बचाने और राजमार्गों से आवारा मवेशियों व अन्य जानवरों को हटाने के लिए कई निर्देश जारी किए। अब इस पर एक बार फिर हंगामा मच गया है। पशुप्रेमियों की और सुप्रीम कोर्ट फैसले का समर्थन करने वाले लोगों की सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही है।
आवारा कुत्तों व मवेशियों के सार्वजनिक स्थानों से हटाए जाने के आदेश पर बीजेपी की वरिष्ठ नेता मेनका गांधी ने सवाल उठाते हुए कहा है कि जब जस्टिस पारदीवाला की तरफ से आवारा कुत्तों को हटाने संबंधी फैसला दिया गया था, इसकी पूरे देश में आलोचना हुई थी। सभी ने फैसले पर सवाल उठाए थे। लेकिन, अब जिस तरह का फैसला आवारा कुत्तों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आया है, वो जस्टिस पारदीवाला से भी ज्यादा हास्यास्पद है।
आवारा कुत्तों को पशु प्रेमियों को आपस में बांट लें...
वहीं विदित शर्मा नाम के एक यूजर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का समर्थन करते हुए और पशु प्रेमियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जितने भी आवारा कुत्ते हैं पशु प्रेमी आपस में बांट ले और अच्छे से खाना खिलाएं और उन्हें घर में रखे। वहीं पीके मौर्य ने भी कहा, 'आवारा कुत्ते देश के लिए संकट उत्पन्न कर रहे हैं और इससे देश में बहुत सारे लोगों की जान जा रही है सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्वागत योग्य है।'
नरेश शर्मा नाम के एक एक्स यूजर ने लिखा, 'आवारा कुत्तों और मवेशियों पर सुप्रीम कोर्ट का सराहनीय आदेश है कि स्कूल , अस्पताल , हाईवे और रेलवे स्टेशनों से हटाए जाएं। लेकिन ले कहां जाएं , वाला सवाल भी बड़ा विकट है , क्यों न निर्यात आय बढ़ाने में आवारा कुत्तों की मदद ली जाए।'
क्या था सुप्रीम कोर्ट का आदेश?
शुक्रवार को देश भर में आवारा कुत्तों के प्रबंधन मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने सुनवाई की। इस दौरान उन्होंने आदेश दिया कि आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, सार्वजनिक खेल परिसर, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर उचित बाड़ लगाई जाए।
न्यायमूर्ति नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्थानीय नगर निकायों को ऐसे परिसरों की नियमित तौर पर निगरानी करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही उन्होंने पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2023 के तहत अनिवार्य टीकाकरण और नसबंदी के बाद जानवरों को निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया।
आवारा कुत्तों व मवेशियों के सार्वजनिक स्थानों से हटाए जाने के आदेश पर बीजेपी की वरिष्ठ नेता मेनका गांधी ने सवाल उठाते हुए कहा है कि जब जस्टिस पारदीवाला की तरफ से आवारा कुत्तों को हटाने संबंधी फैसला दिया गया था, इसकी पूरे देश में आलोचना हुई थी। सभी ने फैसले पर सवाल उठाए थे। लेकिन, अब जिस तरह का फैसला आवारा कुत्तों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आया है, वो जस्टिस पारदीवाला से भी ज्यादा हास्यास्पद है।
आवारा कुत्तों को पशु प्रेमियों को आपस में बांट लें...
वहीं विदित शर्मा नाम के एक यूजर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का समर्थन करते हुए और पशु प्रेमियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जितने भी आवारा कुत्ते हैं पशु प्रेमी आपस में बांट ले और अच्छे से खाना खिलाएं और उन्हें घर में रखे। वहीं पीके मौर्य ने भी कहा, 'आवारा कुत्ते देश के लिए संकट उत्पन्न कर रहे हैं और इससे देश में बहुत सारे लोगों की जान जा रही है सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्वागत योग्य है।'
सभी Dog lover से सविनय निवेदन है कि जितने भी आवारा कुत्ते हैं उन्हें आपस मे बांट ले, अच्छे से पालें, अच्छा खाना खिलाये, उन्हें घर मे रखें। ये एक करारा तमाचा होगा डॉग hater लोगों को और सुप्रीम कोर्ट को।
— पूर्व धर्मनिरपेक्ष 🇮🇳 (@suboo44) November 8, 2025
नरेश शर्मा नाम के एक एक्स यूजर ने लिखा, 'आवारा कुत्तों और मवेशियों पर सुप्रीम कोर्ट का सराहनीय आदेश है कि स्कूल , अस्पताल , हाईवे और रेलवे स्टेशनों से हटाए जाएं। लेकिन ले कहां जाएं , वाला सवाल भी बड़ा विकट है , क्यों न निर्यात आय बढ़ाने में आवारा कुत्तों की मदद ली जाए।'
सुप्रीम कोर्ट का सराहनीय आदेश है कि स्कूल , अस्पताल , हाईवे और रेलवे स्टेशनों से हटाए जाएं आवारा कुत्ते ........
— Naresh Sharma (@nareshsharma107) November 8, 2025
लेकिन ले कहां जाएं , वाला सवाल भी बड़ा विकट है , क्यों न निर्यात आय बढ़ाने में आवारा कुत्तों की मदद ली जाए 😅
क्या था सुप्रीम कोर्ट का आदेश?
शुक्रवार को देश भर में आवारा कुत्तों के प्रबंधन मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने सुनवाई की। इस दौरान उन्होंने आदेश दिया कि आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, सार्वजनिक खेल परिसर, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर उचित बाड़ लगाई जाए।
न्यायमूर्ति नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्थानीय नगर निकायों को ऐसे परिसरों की नियमित तौर पर निगरानी करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही उन्होंने पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2023 के तहत अनिवार्य टीकाकरण और नसबंदी के बाद जानवरों को निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया।
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