Kendriya Vidyalayas Enrolment Decline: केंद्रीय विद्यालय, जवाहर नवोदय विद्यालय आदि देश के प्रमुख सरकारी स्कूल हैं। एक समय ऐसा था जब देश के प्रतिष्ठित सरकारी स्कूलो में एडमिशन के लिए मारामारी देखने को मिलती थी। हालांकि, नवोदय स्कूलों में अपने बच्चों को दाखिला दिलाने के लिए तो आज भी अभिभावकों में होड़ देखने को मिलती है। लेकिन क्रेंदीय विद्यालय की पॉपुलैरिटी पहले जैसी नहीं रही। जी हां, देशभर में केंद्रीय विद्यालयों (KVs) में छात्रों के नामांकन में लगातार गिरावट देखी जा रही है। यह हम नहीं कर रहे, बल्कि सरकार ने खुद बताया है।
शिक्षा मंत्रालय ने जारी की रिपोर्ट
शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने संसद में जानकारी देते हुए कुछ आंकड़े साझा किए हैं। इसके मुताबिक 2020-21 की तुलना में 2024-25 में करीब 2.86% कम छात्रों ने यहां दाखिला लिया है। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने 85 नए केंद्रीय विद्यालय खोलने की योजना को मंजूरी दी है, जिसकी लागत लगभग 5,872 करोड़ रुपये बताई गई है। हालांकि, मंत्रालय का कहना है कि नए विद्यालय खोलने की प्रक्रिया सतत रूप से जारी है और नए स्कूल खोलने के प्रस्ताव तय मानदंडों के अनुसार ही एक्सेप्ट किए जाते हैं।
केंद्रीय विद्यालयों में कम हो गए छात्र
मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, इस समय में देश भर में 1,280 केंद्रीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। इनमें शैक्षणिक सत्र 2024-25 में कुल 13,50,518 छात्रों का नामांकन हुआ। यह 2020-21 की अपेक्षा कम है, जिसमें 13,87,763 स्टूडेंट्स इनरोल थे। इस तरह 5 सालों में 37,245 छात्रों (लगभग 2.86 प्रतिशत) की घटती संख्या को दिखाता है। यह आंकड़ा तेलुगु देशम पार्टी के बीके पार्थसारथी और कांग्रेस की सुधा आर द्वारा संसद में उठाए गए एक सवाल के जवाब में दिया गया।
एडमिशन लेने वाले छात्रों की संख्या
इस रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय विद्यालयों में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में भारी कमी आई है। आंकड़े कहते हैं कि पिछले 5 वर्षों में सबसे ज्यादा प्रवेश दर एकेडमिक सेशन 2021-22 में दर्ज की गई, जब केंद्रीय विद्यालयों में 14,29,434 छात्रों ने एडमिशन लिया था। एकेडमिक सेशन 2024-25 और 2023-24 की तुलना करने पर, देश भर में 39,042 छात्रों की गिरावट देखी गई है।
केंद्रीय विद्यालयों में छात्रों का डेटा
खुलेंगे 85 नए केंद्रीय विद्यालय
मंत्रालय ने यह भी बताया कि साल-दर-साल छात्रों के स्कूल ड्रॉपआउट करने और एडमिशन में कमी के बाद भी भारत सरकार ने दिसंबर 2024 में नागरिक और रक्षा क्षेत्रों में 85 नए केंद्रीय विद्यालय खोलने की मंजूरी दे दी है। इसके अलावा कर्नाटक के शिवमोग्गा के एक मौजूदा केंद्रीय विद्यालय का विस्तार होगा और हर क्लास में दो और सेक्शन बढ़ाए जाएंगे। इन प्रोजेक्ट्स कीकुल अनुमानित लागत लगभग 5,872.08 करोड़ रुपये बताई गई है। हालांकि, नए केंद्रीय विद्यालय खोलने का फैसला शिक्षा को ज्यादा सुलभ और व्यापक बनाने की दिशा में सकारात्मक कदम है।
मंत्रालय का कहना है कि नए केंद्रीय विद्यालयों का निर्माण और अप्रूवल एक सतत प्रक्रिया है। नए प्रपोजल भारत सरकार के मंत्रालयों या विभागों, स्टेट गवर्नमेंट या यूटी एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा पेश किए जा सकते हैं।
फिर बढ़ाना होगा छात्रों और अभिभावकों का भरोसा
पिछले 5 वर्षों में केंद्रीय विद्यालयों में नामांकन में आई गिरावट शिक्षा व्यवस्था में बदलते रुझानों को दिखाती है। इन आंकड़ों से यह अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है कि केंद्रीय विद्यालयों में बच्चों का दाखिला कराने में पैरेंट्स की दिलचस्पी कम हो रही है। लेकिन इसकी वजह क्या है यह जानकर उस दिशा में काम करना होगा। जरूरत इस बात की है कि इन स्कूलों की गुणवत्ता, संसाधनों और शिक्षकों की उपलब्धता पर ध्यान दिया जाए। जिससे छात्रों और अभिभावकों का भरोसा फिर से बढ़ सके और इस गिरावट को सुधारा जा सके।
शिक्षा मंत्रालय ने जारी की रिपोर्ट
शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने संसद में जानकारी देते हुए कुछ आंकड़े साझा किए हैं। इसके मुताबिक 2020-21 की तुलना में 2024-25 में करीब 2.86% कम छात्रों ने यहां दाखिला लिया है। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने 85 नए केंद्रीय विद्यालय खोलने की योजना को मंजूरी दी है, जिसकी लागत लगभग 5,872 करोड़ रुपये बताई गई है। हालांकि, मंत्रालय का कहना है कि नए विद्यालय खोलने की प्रक्रिया सतत रूप से जारी है और नए स्कूल खोलने के प्रस्ताव तय मानदंडों के अनुसार ही एक्सेप्ट किए जाते हैं।
केंद्रीय विद्यालयों में कम हो गए छात्र
मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, इस समय में देश भर में 1,280 केंद्रीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। इनमें शैक्षणिक सत्र 2024-25 में कुल 13,50,518 छात्रों का नामांकन हुआ। यह 2020-21 की अपेक्षा कम है, जिसमें 13,87,763 स्टूडेंट्स इनरोल थे। इस तरह 5 सालों में 37,245 छात्रों (लगभग 2.86 प्रतिशत) की घटती संख्या को दिखाता है। यह आंकड़ा तेलुगु देशम पार्टी के बीके पार्थसारथी और कांग्रेस की सुधा आर द्वारा संसद में उठाए गए एक सवाल के जवाब में दिया गया।
एडमिशन लेने वाले छात्रों की संख्या
इस रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय विद्यालयों में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में भारी कमी आई है। आंकड़े कहते हैं कि पिछले 5 वर्षों में सबसे ज्यादा प्रवेश दर एकेडमिक सेशन 2021-22 में दर्ज की गई, जब केंद्रीय विद्यालयों में 14,29,434 छात्रों ने एडमिशन लिया था। एकेडमिक सेशन 2024-25 और 2023-24 की तुलना करने पर, देश भर में 39,042 छात्रों की गिरावट देखी गई है।
केंद्रीय विद्यालयों में छात्रों का डेटा
खुलेंगे 85 नए केंद्रीय विद्यालय
मंत्रालय ने यह भी बताया कि साल-दर-साल छात्रों के स्कूल ड्रॉपआउट करने और एडमिशन में कमी के बाद भी भारत सरकार ने दिसंबर 2024 में नागरिक और रक्षा क्षेत्रों में 85 नए केंद्रीय विद्यालय खोलने की मंजूरी दे दी है। इसके अलावा कर्नाटक के शिवमोग्गा के एक मौजूदा केंद्रीय विद्यालय का विस्तार होगा और हर क्लास में दो और सेक्शन बढ़ाए जाएंगे। इन प्रोजेक्ट्स कीकुल अनुमानित लागत लगभग 5,872.08 करोड़ रुपये बताई गई है। हालांकि, नए केंद्रीय विद्यालय खोलने का फैसला शिक्षा को ज्यादा सुलभ और व्यापक बनाने की दिशा में सकारात्मक कदम है।
मंत्रालय का कहना है कि नए केंद्रीय विद्यालयों का निर्माण और अप्रूवल एक सतत प्रक्रिया है। नए प्रपोजल भारत सरकार के मंत्रालयों या विभागों, स्टेट गवर्नमेंट या यूटी एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा पेश किए जा सकते हैं।
फिर बढ़ाना होगा छात्रों और अभिभावकों का भरोसा
पिछले 5 वर्षों में केंद्रीय विद्यालयों में नामांकन में आई गिरावट शिक्षा व्यवस्था में बदलते रुझानों को दिखाती है। इन आंकड़ों से यह अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है कि केंद्रीय विद्यालयों में बच्चों का दाखिला कराने में पैरेंट्स की दिलचस्पी कम हो रही है। लेकिन इसकी वजह क्या है यह जानकर उस दिशा में काम करना होगा। जरूरत इस बात की है कि इन स्कूलों की गुणवत्ता, संसाधनों और शिक्षकों की उपलब्धता पर ध्यान दिया जाए। जिससे छात्रों और अभिभावकों का भरोसा फिर से बढ़ सके और इस गिरावट को सुधारा जा सके।
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