हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन आजकल एक आम समस्या बन गई है, लेकिन इसकी दवाएं कितने लोग सही तरीके और सही समय पर ले रहे हैं? अक्सर लोग बीपी की दवा डॉक्टर की सलाह पर शुरू तो कर देते हैं, लेकिन यह नहीं समझते कि इसे कब लेना सबसे फायदेमंद रहेगा—सुबह या शाम?
डॉ पीयूष मिश्रा, जनरल फिजिशियन एंड इम्यूनाइजेशन ऑफिसर ,नॉर्थ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट, नई दिल्ली, के मुताबिक दरअसल, ब्लड प्रेशर का स्तर दिनभर बदलता रहता है। सुबह के समय यह अक्सर तेजी से बढ़ता है, जबकि रात को थोड़ा कम हो जाता है। ऐसे में दवा का समय इस पर असर डाल सकता है कि आपकी बॉडी दवा को कैसे प्रोसेस करती है और कितना लाभ पहुंचता है।
हम आपको बताएंगे कि हाई बीपी की दवा कब लेनी चाहिए, इसके क्या फायदे हैं, किस समय पर लेने से इसका असर ज़्यादा होता है और क्या एक्सपर्ट्स की राय है। साथ ही यह भी समझेंगे कि हर व्यक्ति के लिए एक ही समय काम नहीं करता, बल्कि यह उनकी जीवनशैली और हेल्थ कंडीशन पर निर्भर करता है।(Photo credit):Canva
सुबह बीपी की दवा लेने के फायदे
सुबह उठते ही दवा लेने से कई लोगों को फायदा होता है क्योंकि इस समय बीपी तेजी से बढ़ता है। ऐसे में सुबह की डोज़ ब्लड प्रेशर को स्टेबल बनाए रखने में मदद कर सकती है। इसके अलावा सुबह दवा लेने से दिनभर के तनाव, ऑफिस वर्क और फिजिकल एक्टिविटी के दौरान बीपी नियंत्रण में रहता है। साथ ही, यह दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है जिससे लोग दवा लेना नहीं भूलते। लेकिन कुछ मामलों में सुबह की दवा सभी के लिए उपयुक्त नहीं होती।
ब्लड प्रेशर पूरे दिन कैसे बदलता है?

ब्लड प्रेशर कोई स्थिर चीज़ नहीं है, यह दिनभर बदलता रहता है। सुबह उठते ही हमारा शरीर अलर्ट मोड में चला जाता है, जिससे बीपी थोड़ा बढ़ जाता है। दोपहर में यह सामान्य होता है और शाम के समय कुछ लोगों में फिर हल्का उतार-चढ़ाव देखा जाता है। रात को सोने के दौरान बीपी थोड़ा कम हो जाता है। इस प्राकृतिक साइकल को "सर्केडियन रिदम" कहते हैं, और इसी के आधार पर तय होता है कि दवा कब लेना सबसे असरदार रहेगा।
शाम को दवा लेने के संभावित लाभ
नई रिसर्च के अनुसार, अगर बीपी रात को भी हाई रहता है या नींद में बढ़ता है, तो शाम को दवा लेना ज्यादा कारगर हो सकता है। यह रात भर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है और हृदय संबंधी जोखिम को कम करता है। विशेष रूप से 'नॉन-डिपर' बीपी पेशेंट्स को यह तरीका अधिक फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा, जो लोग सुबह बहुत दवाएं लेते हैं, उनके लिए दवा को शाम में शिफ्ट करना सिस्टम पर दबाव कम करता है।
हर मरीज के लिए समय अलग क्यों होता है?
बीपी दवा का सही समय व्यक्ति की हेल्थ कंडीशन, उसकी दिनचर्या और अन्य दवाओं पर निर्भर करता है। जैसे अगर कोई डायबिटीज, किडनी डिज़ीज़ या थायरॉइड की दवा भी ले रहा है, तो समय तय करते समय डॉक्टर इन सबको ध्यान में रखते हैं। कुछ मरीजों को सुबह की दवा से नींद में खलल होता है, तो कुछ को शाम की दवा से दिन में सुस्ती आती है। इसलिए डॉक्टर से परामर्श लेकर ही सही समय तय करना जरूरी होता है।
क्या दवा का असर समय से जुड़ा है?
जी हां, दवा का असर सिर्फ उसकी खुराक से नहीं बल्कि समय से भी जुड़ा होता है। अगर आप दवा गलत समय पर ले रहे हैं तो वह शरीर में सही तरीके से अवशोषित नहीं होती और असर कम हो जाता है। उदाहरण के लिए, कुछ दवाएं खाली पेट बेहतर असर करती हैं जबकि कुछ खाने के बाद। बीपी की कुछ दवाएं लंबे समय तक असर करती हैं तो कुछ को दो बार लेना पड़ता है। इसलिए समय पर ध्यान देना दवा की प्रभावशीलता बढ़ा सकता है।
एक्सपर्ट की राय क्या कहती है?
मेडिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि बीपी की दवा का समय व्यक्ति की हालत के अनुसार तय होना चाहिए। कुछ अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि रात को दवा लेने से स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा कम हो सकता है। वहीं कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि अगर मरीज की लाइफस्टाइल सुबह जल्दी शुरू होती है, तो सुबह की डोज़ ज्यादा फायदेमंद होती है। अंततः, डॉक्टर ही आपके लिए सही समय तय कर सकते हैं—खुद से समय बदलना खतरनाक हो सकता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है । यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है।
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