नई दिल्ली : भारत ने हाल ही में नोटिस टू एयरमैन ( NOTAM ) जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि थल सेना, वायुसेना और नौसेना एक युद्धाभ्यास करने जा रही हैं, जो 30 अक्टूबर से 10 नवंबर तक चलेगा। इस युद्धाभ्यास को एक्स त्रिशूल नाम दिया गया है। इस युद्धाभ्यास के दौरान बॉर्डर के इलाके में नो फ्लाई जोन रहेगा। यह एक्सरसाइज जैसलमेर के एरिया से लेकर गुजरात के सर क्रीक इलाके तक होगी। वायुसेना की ओर से जारी नोटम में 30 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच पश्चिमी एयर कॉरिडोर में उड़ानों के लिए यह चेतावनी दी गई है। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि अभ्यास के दौरान नागरिक विमानों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इस दौरान कुछ सीमित सेक्टरों में फ्लाइट पाथ अस्थायी रूप से बदले जा सकते हैं। हालांकि, इस युद्धाभ्यास के ऐलान से पहले ही पाकिस्तान खौफ में आ गया है। घबराए पाकिस्तानी जनरल असीम मुनीर ने कई कमांड और ठिकानों को हाई अलर्ट पर रख दिया है। वहीं, भारतीय सेना के इन्फैंट्री डे के अवसर पर तीनों सेनाओं की सोशल मीडिया पर तारीफ की जा रही है।
ऑपरेशन 'सिंदूर' के बाद क्या है यह युद्धाभ्यास
पश्चिमी सीमा पर हाल ही में हुए ऑपरेशन 'सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान की ओर से ड्रोन गतिविधियों और घुसपैठ के प्रयासों में वृद्धि देखी गई थी। इसी पृष्ठभूमि में 'त्रिशूल' अभ्यास की अहमियत और बढ़ गई है। इसमें काउंटर-ड्रोन सिस्टम, संचार बाधा (जैमिंग) और ऑटोमैटिक स्पेक्ट्रम मॉनिटरिंग सिस्टम जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का परीक्षण किया जाएगा। अभ्यास का उद्देश्य केवल हथियारों का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि तीनों सेनाओं की संयुक्त प्रतिक्रिया क्षमता को वास्तविक परिस्थितियों में परखना भी है। इसके साथ ही इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता और संचार बाधा तकनीक को भी परखा जाएगा। साथ ही, यह अभ्यास नवीनतम युद्ध प्रौद्योगिकियों जैसे मानव रहित हवाई वाहन, सटीक निर्देशित मिसाइल और लोइटर म्यूनिशन की क्षमताओं का परीक्षण भी करेगा।
नए हथियारों, टैंकों और मारक हेलिकॉप्टरों का टेस्ट
पाकिस्तान और चीन की टेंशन बढ़ने के पीछे असल वजह यह है कि 'त्रिशूल' में तीनों सेनाएं एक साथ यूनिफाइड ऑपरेशन, डीप स्ट्राइक और मल्टी-डोमेन वॉरफेयर का अभ्यास करेंगी। इस दौरान भारतीय सेना अपने कई नए स्वदेशी हथियारों और हाईटेक सिस्टमों की टेस्टिंग भी करेगी। इनमें टी-90 एस और अर्जुन टैंक, हॉवित्जर तोपें, अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर, हेवी लिफ्ट हेलिकॉप्टर शामिल होंगे। यह अभ्यास जैसलमेर से शुरू होकर कच्छ तक होगा। कच्छ का इलाका समुद्र के पास है, इसलिए वायुसेना और नेवी के विशेष विमान इस इलाके में मिलकर काम करेंगी।
इस युद्धाभ्यास के दौरान और क्या क्या होगा
हाल ही में पश्चिमी सीमा पर हुए ऑपरेशन 'सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान की ओर से ड्रोन गतिविधियों और घुसपैठ के प्रयासों में इजाफा दर्ज हुआ था। इसी पृष्ठभूमि में यह त्रि-सेना अभ्यास और भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसमें विशेष रूप से काउंटर-ड्रोन सिस्टम, संचार बाधा (जैमिंग) और ऑटोमैटिक स्पेक्ट्रम मॉनिटरिंग सिस्टम जैसी मॉडर्न तकनीकों का परीक्षण किया जाएगा। इसके अलावा वायुसेना प्रिसिशन स्ट्राइक, एयर डिफेंस इंटरसेप्शन और मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस पर विशेष ध्यान देगी।
NOTAM क्यों जारी किया जाता है, जानिए
इंडिया डिफेंस न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह NOTAM इसलिए जारी किया जाता है, क्योंकि निर्धारित परीक्षण समय मानक प्रक्षेपण-पूर्व प्रोटोकॉल को दर्शाता है, जो परीक्षण के दौरान क्षेत्र में संभावित खतरों के बारे में जहाजों और विमानों को सचेत करता है।
ऑपरेशन 'सिंदूर' के बाद क्या है यह युद्धाभ्यास
पश्चिमी सीमा पर हाल ही में हुए ऑपरेशन 'सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान की ओर से ड्रोन गतिविधियों और घुसपैठ के प्रयासों में वृद्धि देखी गई थी। इसी पृष्ठभूमि में 'त्रिशूल' अभ्यास की अहमियत और बढ़ गई है। इसमें काउंटर-ड्रोन सिस्टम, संचार बाधा (जैमिंग) और ऑटोमैटिक स्पेक्ट्रम मॉनिटरिंग सिस्टम जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का परीक्षण किया जाएगा। अभ्यास का उद्देश्य केवल हथियारों का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि तीनों सेनाओं की संयुक्त प्रतिक्रिया क्षमता को वास्तविक परिस्थितियों में परखना भी है। इसके साथ ही इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता और संचार बाधा तकनीक को भी परखा जाएगा। साथ ही, यह अभ्यास नवीनतम युद्ध प्रौद्योगिकियों जैसे मानव रहित हवाई वाहन, सटीक निर्देशित मिसाइल और लोइटर म्यूनिशन की क्षमताओं का परीक्षण भी करेगा।
#𝐄𝐱𝐓𝐑𝐈𝐍𝐄𝐓𝐑𝐀𝟐𝟎𝟐𝟓 – 𝐏𝐨𝐰𝐞𝐫𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐒𝐩𝐞𝐜𝐭𝐫𝐮𝐦 𝐃𝐨𝐦𝐢𝐧𝐚𝐧𝐜𝐞
— Southern Command INDIAN ARMY (@IaSouthern) October 21, 2025
Exercise TRINETRA 2025, a part of the overall Tri-Service Exercise Trishul, underway in the Southern Deserts under the aegis of #SouthernCommand, is sharpening joint synergy and refining… pic.twitter.com/EWYxg4Jg9y
नए हथियारों, टैंकों और मारक हेलिकॉप्टरों का टेस्ट
पाकिस्तान और चीन की टेंशन बढ़ने के पीछे असल वजह यह है कि 'त्रिशूल' में तीनों सेनाएं एक साथ यूनिफाइड ऑपरेशन, डीप स्ट्राइक और मल्टी-डोमेन वॉरफेयर का अभ्यास करेंगी। इस दौरान भारतीय सेना अपने कई नए स्वदेशी हथियारों और हाईटेक सिस्टमों की टेस्टिंग भी करेगी। इनमें टी-90 एस और अर्जुन टैंक, हॉवित्जर तोपें, अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर, हेवी लिफ्ट हेलिकॉप्टर शामिल होंगे। यह अभ्यास जैसलमेर से शुरू होकर कच्छ तक होगा। कच्छ का इलाका समुद्र के पास है, इसलिए वायुसेना और नेवी के विशेष विमान इस इलाके में मिलकर काम करेंगी।
इस युद्धाभ्यास के दौरान और क्या क्या होगा
हाल ही में पश्चिमी सीमा पर हुए ऑपरेशन 'सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान की ओर से ड्रोन गतिविधियों और घुसपैठ के प्रयासों में इजाफा दर्ज हुआ था। इसी पृष्ठभूमि में यह त्रि-सेना अभ्यास और भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसमें विशेष रूप से काउंटर-ड्रोन सिस्टम, संचार बाधा (जैमिंग) और ऑटोमैटिक स्पेक्ट्रम मॉनिटरिंग सिस्टम जैसी मॉडर्न तकनीकों का परीक्षण किया जाएगा। इसके अलावा वायुसेना प्रिसिशन स्ट्राइक, एयर डिफेंस इंटरसेप्शन और मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस पर विशेष ध्यान देगी।
इससे चीन को दिया जाएगा बड़ा संदेशयह अभ्यास सिर्फ पश्चिमी मोर्चे तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका रणनीतिक संदेश पूर्वी सीमा की ओर भी है। पाकिस्तान के साथ जारी तनाव के बीच भारत यह दिखाना चाहता है कि वह दोनों मोर्चों पर एकसाथ संचालन करने में सक्षम है। 'महागुजराज' को रणनीतिक गहराई और परिचालन तत्परता को सशक्त करने वाला अभ्यास माना जा रहा है। अभ्यास के दौरान यूएवी (ड्रोन सटीक-निर्देशित मिसाइलें, लोइटर म्यूनिशन और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम की क्षमताओं का परीक्षण किया जाएगा। यह अभ्यास दक्षिण-पश्चिमी वायुसेना कमान की रेडिनेस और कोऑर्डिनेशन को परखने का भी बड़ा मंच बनेगा।🚨 BREAKING: Indian Army conducts high-level tri-services war exercise #ExTrishul along the Western border, testing joint capabilities of Army, Navy, and Air Force. Pakistan is highly concerned about the display. ⚔️🇮🇳#IndianArmy #ExTrishul #TriServices #BorderSecurity… pic.twitter.com/Ow2ekBHUT0
— Rajeev 🚨 (@Rajeev_IA) October 26, 2025
NOTAM क्यों जारी किया जाता है, जानिए
इंडिया डिफेंस न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह NOTAM इसलिए जारी किया जाता है, क्योंकि निर्धारित परीक्षण समय मानक प्रक्षेपण-पूर्व प्रोटोकॉल को दर्शाता है, जो परीक्षण के दौरान क्षेत्र में संभावित खतरों के बारे में जहाजों और विमानों को सचेत करता है।
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