जम्मू : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने रविवार को दो कश्मीरियों को गिरफ्तार किया। इन लोगों पर एक गंभीर आरोप है। आरोप है कि इन्होंने पहलगाम में हमला करने वाले तीन आतंकवादियों को अपने 'ढोक' (झोपड़ी) में छुपाया था। यह झोपड़ी बैसरन से लगभग 2 किलोमीटर दूर पहाड़ी इलाके में है। बैसरन, जहां 22 अप्रैल को 25 पर्यटकों की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
आतंकियों को छिपाकर की मदद सूत्रों के अनुसार, NIA की जांच में पता चला है कि परवाइज अहमद जोठार और बशीर अहमद जोठार ने तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों को 20 और 21 अप्रैल को अपनी झोपड़ी में शरण दी थी। ये आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए थे। NIA ने कहा कि आरोपियों ने जानबूझकर पाकिस्तानी आतंकवादियों को भोजन, आश्रय और अन्य सहायता प्रदान की। इसका मतलब है कि उन्होंने आतंकवादियों की मदद की, जबकि उन्हें पता था कि वे क्या करने वाले हैं।
एनआईए को हमलावर आतंकियों की तलाशसोमवार को परवाइज और बशीर को जम्मू में NIA कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें पांच दिनों के लिए NIA की हिरासत में भेज दिया। एजेंसी ने कहा कि आरोपियों ने तीनों हमलावरों की पहचान बताई है। लेकिन, NIA अभी भी बड़ी मात्रा में सबूत का विश्लेषण कर रही है। इन सबूतों में चश्मदीदों के बयान, वीडियो फुटेज, तकनीकी सबूत और J&K पुलिस के जारी किए गए स्केच शामिल हैं। NIA ने कहा है कि अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है। आतंकवादियों की पहचान और अन्य जानकारी सही समय आने पर सार्वजनिक की जाएगी।
आतंकियों के लिए की थी रेकीएक सूत्र ने बताया कि परवाइज और बशीर सिर्फ मददगार नहीं थे, बल्कि 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में सक्रिय रूप से शामिल थे। इस हमले में 25 पर्यटकों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर गोली मार दी गई थी। एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने इलाके में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया और बैसरन में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती के बारे में जानकारी हासिल की। फिर उन्होंने यह जानकारी पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ साझा की। इससे आतंकवादियों को हमले की योजना बनाने, हमला करने और भागने में मदद मिली।
टट्टू चलाने के कारण, सब जानते थे आरोपीसूत्रों के अनुसार, परवाइज और बशीर को पता था कि बैसरन में पर्यटकों पर हमला करने की योजना है। क्योंकि उस समय वहां बहुत सारे पर्यटक आए हुए थे। वे इलाके में टट्टू भी चलाते थे, इसलिए उन्हें पुलिस और सुरक्षा चौकियों के बारे में पूरी जानकारी थी। उन्हें यह भी पता था कि सुरक्षा गश्त कब होती है और सैनिकों की तैनाती का तरीका क्या है। आतंकवादियों के इरादे जानने के बावजूद, उन्होंने जानबूझकर यह जानकारी साझा की। इस तरह वे पहलगाम आतंकी हमले की साजिश में शामिल हो गए।
जानते थे आतंकी करने वाले हैं हमलाजब NIA ने परवाइज और बशीर से पूछताछ की, तो उन्होंने कहा कि उन्हें आतंकी हमले की योजना के बारे में पता था, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि बैसरन में पर्यटकों को निशाना बनाया जाएगा। हालांकि, उनकी इस बात पर किसी को विश्वास नहीं है। आरोपियों ने माना कि उन्होंने चंद हजार रुपये के लिए 26 निर्दोष लोगों की जान लेने में आतंकवादियों की मदद की।
NIA इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। वे हर पहलू पर ध्यान दे रहे हैं ताकि यह पता चल सके कि इस हमले में और कौन-कौन शामिल था। NIA का मकसद है कि इस घटना के सभी दोषियों को सजा मिले।
आतंकियों को छिपाकर की मदद सूत्रों के अनुसार, NIA की जांच में पता चला है कि परवाइज अहमद जोठार और बशीर अहमद जोठार ने तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों को 20 और 21 अप्रैल को अपनी झोपड़ी में शरण दी थी। ये आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए थे। NIA ने कहा कि आरोपियों ने जानबूझकर पाकिस्तानी आतंकवादियों को भोजन, आश्रय और अन्य सहायता प्रदान की। इसका मतलब है कि उन्होंने आतंकवादियों की मदद की, जबकि उन्हें पता था कि वे क्या करने वाले हैं।
एनआईए को हमलावर आतंकियों की तलाशसोमवार को परवाइज और बशीर को जम्मू में NIA कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें पांच दिनों के लिए NIA की हिरासत में भेज दिया। एजेंसी ने कहा कि आरोपियों ने तीनों हमलावरों की पहचान बताई है। लेकिन, NIA अभी भी बड़ी मात्रा में सबूत का विश्लेषण कर रही है। इन सबूतों में चश्मदीदों के बयान, वीडियो फुटेज, तकनीकी सबूत और J&K पुलिस के जारी किए गए स्केच शामिल हैं। NIA ने कहा है कि अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है। आतंकवादियों की पहचान और अन्य जानकारी सही समय आने पर सार्वजनिक की जाएगी।
आतंकियों के लिए की थी रेकीएक सूत्र ने बताया कि परवाइज और बशीर सिर्फ मददगार नहीं थे, बल्कि 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में सक्रिय रूप से शामिल थे। इस हमले में 25 पर्यटकों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर गोली मार दी गई थी। एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने इलाके में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया और बैसरन में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती के बारे में जानकारी हासिल की। फिर उन्होंने यह जानकारी पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ साझा की। इससे आतंकवादियों को हमले की योजना बनाने, हमला करने और भागने में मदद मिली।
टट्टू चलाने के कारण, सब जानते थे आरोपीसूत्रों के अनुसार, परवाइज और बशीर को पता था कि बैसरन में पर्यटकों पर हमला करने की योजना है। क्योंकि उस समय वहां बहुत सारे पर्यटक आए हुए थे। वे इलाके में टट्टू भी चलाते थे, इसलिए उन्हें पुलिस और सुरक्षा चौकियों के बारे में पूरी जानकारी थी। उन्हें यह भी पता था कि सुरक्षा गश्त कब होती है और सैनिकों की तैनाती का तरीका क्या है। आतंकवादियों के इरादे जानने के बावजूद, उन्होंने जानबूझकर यह जानकारी साझा की। इस तरह वे पहलगाम आतंकी हमले की साजिश में शामिल हो गए।
जानते थे आतंकी करने वाले हैं हमलाजब NIA ने परवाइज और बशीर से पूछताछ की, तो उन्होंने कहा कि उन्हें आतंकी हमले की योजना के बारे में पता था, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि बैसरन में पर्यटकों को निशाना बनाया जाएगा। हालांकि, उनकी इस बात पर किसी को विश्वास नहीं है। आरोपियों ने माना कि उन्होंने चंद हजार रुपये के लिए 26 निर्दोष लोगों की जान लेने में आतंकवादियों की मदद की।
NIA इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। वे हर पहलू पर ध्यान दे रहे हैं ताकि यह पता चल सके कि इस हमले में और कौन-कौन शामिल था। NIA का मकसद है कि इस घटना के सभी दोषियों को सजा मिले।
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