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Kargil Day: 'शहादत' नहीं 'वीरगति' कहिए, दोनों शब्दों में बड़ा अंतर, 'शहीद' नहीं हैं कारगिल में बलिदान सैनिक

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साल 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल का युद्ध लड़ा गया। पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ के खिलाफ भारतीय सेना ने LOC पर ऑपरेशन विजय चलाया और 26 जुलाई 1999 को यह सैन्य अभियान सफलता के साथ पूरा हुआ। इस लड़ाई में भारत के 527 सैनिकों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, जिसके लिए देश सदा उनका ऋणी रहेगा।



अक्सर सेना की ओर से देश की रक्षा करते हुए बलिदान देने वाले सैनिकों को 'शहीद' शब्द से पुकारा जाता है जिसे अंग्रेजी में 'Martyr' कहते हैं लेकिन जान कुर्बान करने वाले सैनिकों के लिए यह शब्द सही नहीं है। भारतीय सेना या रक्षा मंत्रालय की ओर से भी आधिकारिक तौर पर युद्ध में प्राण गंवाने वाले सैनिकों के लिए इन शब्दों का उपयोग नहीं किया जाता है। ऐसे में कारगिल विजय दिवस पर 'शहीद' की जगह 'वीरगति' शब्द का उपयोग करना ज्यादा उपयुक्त होगा। यहां समझिए दोनों शब्दों का अंतर।



'शहीद' का मतलब क्या होता है?शहीद एक अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'गवाही देने वाला'। इसका उपयोग अक्सर किसी ऐसे व्यक्ति के लिए किया जाता है जो धार्मिक या राजनीतिक कारणों से अपने विश्वासों के लिए बलिदान देता है। खासकर ऐसे मामलों में जब वह उत्पीड़न या मृत्युदंड का सामना करता है। भारतीय सेना ऐसे सैनिकों के लिए 'शहीद' शब्द का उपयोग नहीं करती जो कर्तव्य निभाते हुए अपनी जान का बलिदान देते हैं।



वीरगति शब्द का मतलब:संस्कृत और हिंदी भाषाओं में उपयोग होने वाला वीरगति शब्द किसी ऐसे व्यक्ति के लिए किया जाता है जो वीरतापूर्वक मृत्यु को प्राप्त हुआ हो। इसका उपयोग अक्सर उन सैनिकों के लिए किया जाता है जो बहादुरी से लड़ते हुए अपने प्राण गंवाते हैं। वीरगति का बलिदान अक्सर राष्ट्र के प्रति समर्पण और वीरता से जुड़ा हुआ होता है। भारतीय सेना अक्सर वीरगति शब्द का उपयोग उन सैनिकों के लिए करती है जो सैन्य कार्रवाई में जान गंवाते हैं।



शहीद शब्द पर सरकार का आधिकारिक जवाब: image

संसद के अंदर राज्य सभा में जब रक्षा मंत्रालय से शहीद या Martyr शब्द के उपयोग के बारे में सवाल किया गया तो रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने जवाब दिया कि भारतीय सेनाओं की ओर से इस शब्द का उपयोग नहीं किया जाता है।
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