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जवानों की 70% ट्रेनिंग रात में... आतंकियों को भारी पड़ेगी भारतीय सेना की नई रणनीति, जानें UN वाला कनेक्शन

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नई दिल्ली : देश में आतंकी हमलों को लेकर भारतीय सेना की रुख को लेकर अहम जानकारी सामने आई है। आतंकी हमलों को लेकर इंडियन आर्मी ने एक अधिक सख्त, अधिक असर्टिव काउंटर-टेररिज्म डॉक्ट्रिन अपनाया है जो देश की रेड लाइन्स को फिर से तय करता है। सेना की तरफ से इस अब 'न्यू नॉर्मल' कहा जा रहा है। इसके तहत भारत के खिलाफ किसी भी आतंकवादी हमले को अब युद्ध की कार्रवाई (War Act) माना जाएगा। ऐसे में, इसके लिए संतुलित प्रतिक्रिया की बजाय निर्णायक मिलिट्री जवाब देने की जरूरत होगी।

पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले करने वाले ऑपरेशन सिंदूर के सफल लॉन्च के बाद, भारतीय सेना ने और भी मजबूत आतंकवाद विरोधी सिद्धांत अपनाया है। मीडिया से बात करते हुए, दक्षिण पश्चिमी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह ने कहा कि भारत के न्यू नॉर्मल में देश 'किसी भी आतंकवादी हरकत' को बर्दाश्त नहीं करेगा और इसे 'युद्ध की कार्रवाई' माना जाएगा।


न्यू नॉर्मल की पॉलिटिकल डायरेक्शन
लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह ने कहा कि भारतीय सेना 'न्यू नॉर्मल' की पॉलिटिकल डायरेक्शन को फॉलो कर रही है, जिसके तहत देश पर किसी भी आतंकी हमले को 'जंग का काम' माना जाएगा। साथ ही, सेना को ऐसी किसी भी एक्टिविटी के लिए तैयार रहना होगा... इसके लिए बहुत सारी टेक्नोलॉजी और कैपेबिलिटीज लाई गई हैं।


उन्होंने कहा कि हमारा फोकस अधिक से अधिक रात की ट्रेनिंग पर है, इसलिए हम 70% ट्रेनिंग रात में और 30% दिन में कर रहे हैं। यह ऑपरेशनल बदलाव डिफेंस प्रोक्योरमेंट की एक लहर का हिस्सा है, जिसे आर्मी की रात में लड़ने की काबिलियत को बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है।

सेना का नया डॉक्ट्रिन
यह नया तरीका पॉलिसी, पोज़िशन और प्रोक्योरमेंट को असरदार तरीके से जोड़ता है। इसमें पॉलिटिकल इरादे को टेक्नोलॉजिकल ताकत के साथ मिलाया जाता है। इंटरनेशनल कानून के तहत, एक आतंकवादी हमले को 'युद्ध का काम' मानने से भारत को UN चार्टर के आर्टिकल 51 का इस्तेमाल करने की इजाजत मिलती है, जो आत्मरक्षा के जन्मजात अधिकार को मानता है। स्ट्रेटेजिक तौर पर, यह संकेत देता है कि नई दिल्ली आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन और पारंपरिक युद्ध के बीच की लाइन को धुंधला करने को तैयार है - खासकर पाकिस्तान स्थित ग्रुप से जुड़े मामलों में।
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