न्यूयॉर्क : भारत ने गाजा में इजरायल और हमास के बीच हुए युद्धविराम के लिए डोनाल्ड ट्रंप को क्रेडिट दिया है। यूनाइटेड नेशंस में भारतीय दूत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के गाजा युद्धविराम समझौते को एक "ऐतिहासिक पहल" बताया है। इस दौरान उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस समझौते को कायम रखने के लिए "बातचीत जारी रहनी चाहिए"। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय दूत पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि "आज की खुली बहस 13 अक्टूबर 2025 को शर्म अल-शेख में होने वाले गाजा शांति शिखर सम्मेलन के बैकग्राउंड में हो रही है। भारत ने इस शिखर सम्मेलन में भाग लिया और हम इस ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर का स्वागत करते हैं।"
यूनाइटेड नेशंस में भारतीय दूत ने कहा कि "फिलिस्तीनी मोर्चे पर शांति और स्थिरता का बड़े क्षेत्र पर प्रभाव पड़ता है। भारत पूरे मध्य पूर्व में स्थायी शांति के पक्ष में है। यह जरूरी है कि समझौता कायम रहे, युद्धविराम लागू रहे और सभी पक्ष अपनी-अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करें। बातचीत जारी रहनी चाहिए और संवाद और कूटनीति की प्रभावशीलता में अटूट विश्वास होना चाहिए...।"
डोनाल्ड ट्रंप को गाजा युद्धविराम का क्रेटिड
भारतीय दूत पर्वतनेनी हरीश ने यूनाइटेड नेशंस में बोलते हुए समझौते को मूर्त रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सराहना की। उन्होंने आगे कहा कि "भारत इस लक्ष्य को हासिल करने में मिस्र और कतर की भूमिका की भी सराहना करता है। भारत अपने इस विचार पर अडिग है कि संवाद, कूटनीति और दो राज्य समाधान ही शांति प्राप्त करने के साधन हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका की इस ऐतिहासिक पहल ने शांति की दिशा में कूटनीतिक गति प्रदान की है और सभी पक्षों को अपने दायित्वों का पालन करना चाहिए। हम संबंधित पक्षों द्वारा किसी भी एकतरफा कदम का भी कड़ा विरोध करते हैं।"
इसके अलावा 7 अक्टूबर 2023 (इजरायल पर हमास का हमला) के बाद से हुए घटनाक्रमों पर भारत के अपने रुख पर कायम रहने की ओर इशारा करते हुए, भारतीय दूत ने कहा कि "भारत ने आतंकवाद की निंदा की है। नागरिकों के विनाश, निराशा और पीड़ा का अंत करने पर जोर दिया है और सभी बंधकों की तत्काल रिहाई की मांग की है। यह माना है कि गाजा में मानवीय सहायता निर्बाध रूप से प्रवाहित होनी चाहिए और युद्धविराम की आवश्यकता पर बल दिया है। भारत इस संबंध में शांति समझौते को एक उत्प्रेरक और सक्षमकर्ता के रूप में देखता है।" उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत "फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय स्वतंत्रता और संप्रभुता के अविभाज्य अधिकारों के प्रति अपने अटूट समर्थन" को रेखांकित करता है।
भारत ने फिलीस्तीन को कितनी मदद दी है?
भारत के दूत ने फिलीस्तीन के मुद्दे पर अपने लंबे समय से चले आ रहे रुख को भी दोहराया। उन्होंने कहा कि "भारत ने 1988 में फिलीस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दी थी और तब से लेकर आज तक उसका समर्थन जारी रखा है। भारत ने अब तक फिलिस्तीनी जनता को 170 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की सहायता दी है, जिसमें 40 मिलियन डॉलर से ज्यादा की परियोजनाएं विभिन्न चरणों में चल रही हैं। इसके अलावा, पिछले दो वर्षों में भारत ने 135 मीट्रिक टन दवाओं और राहत सामग्री गाजा को भेजी है।" हरीश ने कहा कि "फिलीस्तीनी जनता का पुनर्वास तभी संभव है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय एकजुट होकर उनकी मदद करे। हमें न सिर्फ मानवीय सहायता पर, बल्कि सामाजिक विकास, निवेश और रोजगार पर भी ध्यान देना होगा।"
यूनाइटेड नेशंस में भारतीय दूत ने कहा कि "फिलिस्तीनी मोर्चे पर शांति और स्थिरता का बड़े क्षेत्र पर प्रभाव पड़ता है। भारत पूरे मध्य पूर्व में स्थायी शांति के पक्ष में है। यह जरूरी है कि समझौता कायम रहे, युद्धविराम लागू रहे और सभी पक्ष अपनी-अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करें। बातचीत जारी रहनी चाहिए और संवाद और कूटनीति की प्रभावशीलता में अटूट विश्वास होना चाहिए...।"
डोनाल्ड ट्रंप को गाजा युद्धविराम का क्रेटिड
भारतीय दूत पर्वतनेनी हरीश ने यूनाइटेड नेशंस में बोलते हुए समझौते को मूर्त रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सराहना की। उन्होंने आगे कहा कि "भारत इस लक्ष्य को हासिल करने में मिस्र और कतर की भूमिका की भी सराहना करता है। भारत अपने इस विचार पर अडिग है कि संवाद, कूटनीति और दो राज्य समाधान ही शांति प्राप्त करने के साधन हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका की इस ऐतिहासिक पहल ने शांति की दिशा में कूटनीतिक गति प्रदान की है और सभी पक्षों को अपने दायित्वों का पालन करना चाहिए। हम संबंधित पक्षों द्वारा किसी भी एकतरफा कदम का भी कड़ा विरोध करते हैं।"
#WATCH | Permanent Representative of India to the UN, Parvathaneni Harish's complete address at the UNSC Open Debate on Situation in the Middle East, including the Palestinian Question
— ANI (@ANI) October 23, 2025
(Source: India at UN, NY/X) pic.twitter.com/6tALQ0MSJ5
इसके अलावा 7 अक्टूबर 2023 (इजरायल पर हमास का हमला) के बाद से हुए घटनाक्रमों पर भारत के अपने रुख पर कायम रहने की ओर इशारा करते हुए, भारतीय दूत ने कहा कि "भारत ने आतंकवाद की निंदा की है। नागरिकों के विनाश, निराशा और पीड़ा का अंत करने पर जोर दिया है और सभी बंधकों की तत्काल रिहाई की मांग की है। यह माना है कि गाजा में मानवीय सहायता निर्बाध रूप से प्रवाहित होनी चाहिए और युद्धविराम की आवश्यकता पर बल दिया है। भारत इस संबंध में शांति समझौते को एक उत्प्रेरक और सक्षमकर्ता के रूप में देखता है।" उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत "फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय स्वतंत्रता और संप्रभुता के अविभाज्य अधिकारों के प्रति अपने अटूट समर्थन" को रेखांकित करता है।
भारत ने फिलीस्तीन को कितनी मदद दी है?
भारत के दूत ने फिलीस्तीन के मुद्दे पर अपने लंबे समय से चले आ रहे रुख को भी दोहराया। उन्होंने कहा कि "भारत ने 1988 में फिलीस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दी थी और तब से लेकर आज तक उसका समर्थन जारी रखा है। भारत ने अब तक फिलिस्तीनी जनता को 170 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की सहायता दी है, जिसमें 40 मिलियन डॉलर से ज्यादा की परियोजनाएं विभिन्न चरणों में चल रही हैं। इसके अलावा, पिछले दो वर्षों में भारत ने 135 मीट्रिक टन दवाओं और राहत सामग्री गाजा को भेजी है।" हरीश ने कहा कि "फिलीस्तीनी जनता का पुनर्वास तभी संभव है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय एकजुट होकर उनकी मदद करे। हमें न सिर्फ मानवीय सहायता पर, बल्कि सामाजिक विकास, निवेश और रोजगार पर भी ध्यान देना होगा।"
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