अंकारा: आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान एक दुर्लभ यात्रा पर अपने कट्टर शत्रु तुर्की की यात्रा पर पहुंचे हैं। पीएम निकोल ने तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन से मुलाकात की है। आर्मेनिया ने पीएम निकोल ने इस यात्रा को क्षेत्रीय शांति के लिए 'ऐतिहासिक कदम' करार दिया है। वहीं एर्दोगन के ऑफिस ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच अंकारा के दोलमाबहसे महल में लंबी बातचीत हुई। आर्मेनिया और तुर्की के बीच सीमा मिलती है लेकिन यह 1990 के दशक से ही बंद है। दोनों देशों ने कभी भी औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित नहीं किया। विश्लेषकों का कहना है कि पीएम निकोल इस यात्रा के दौरान तुर्की के साथ रिश्तों को सामान्य बनाने की दिशा में कदम उठाएंगे।
तुर्की और आर्मेनिया के बीच रिश्ते प्रथम विश्वयुद्ध के दिनों से ही बहुत खराब रहे हैं। तुर्की के ऑटोमन साम्राज्य के दौर में बहुत बड़ी तादाद में आर्मेनियाई लोगों की हत्या कर दी गई थी। आर्मेनिया का कहना है कि यह नरसंहार की तरह से था। तुर्की इस आरोप को खारिज करता है। इसके अलावा तुर्की आर्मेनिया के दुश्मन अजरबैजान की खुलकर सैन्य और राजनयिक मदद करता है। आर्मेनिया के साथ चली लड़ाई के दौरान तुर्की ने अजरबैजान को बायरकतार टीबी-2 ड्रोन और अन्य हथियार दिए थे। इन्हीं हथियारों की मदद से अजरबैजान को जीत मिली थी और नगर्नो कराबाख पर उसका कब्जा हो गया था।
शीतयुद्ध के बाद पहली यात्रा
शीतयुद्ध के बाद यह किसी आर्मेनियाई पीएम की पहली तुर्की यात्रा है। तुर्की ने साल 1993 में आर्मेनिया के नगर्नो कराबाख पर कब्जा करने के बाद उसके साथ राजनयिक रिश्ते को तोड़ लिया था। एर्दोगन के साथ मुलाकात से ठीक पहले आर्मेनियाई पीएम ने चर्च और ब्लू मस्जिद की यात्रा की और तुर्की मूल के आर्मेनियाई लोगों से मुलाकात की। वहीं इस मुलाकात के बाद आर्मेनिया में बवाल मच गया है। पुलिस ने बड़ी तादाद में विपक्षी दल के कार्यकर्ताओं को राजधानी येरेवान से अरेस्ट किया है। ये लोग इस यात्रा का विरोध कर रहे थे।
आर्मेनिया की संसद के स्पीकर अलेन सिमोनयान ने गुरुवार को कहा, 'यह एक ऐतिहासिक यात्रा है और ऐसा पहली बार है कि आर्मेनिया के पीएम इस स्तर पर तुर्की की यात्रा पर पहुंचे हैं। इस मुलाकात के दौरान सभी क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा होगी।' उन्होंने कहा, 'अजरबैजान के साथ युद्ध की आशंका अब बहुत कम है। हमें इसे कम करने पर काम करना ही होगा। पीएम निकोल की यह यात्रा इस दिशा में एक कदम है।' आर्मेनिया के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पीएम निकोल और एर्दोगन एक शांति समझौते पर बात करेंगे। खलीफा बनने की कोशिश में लगे एर्दोगन फिर से ऑटोमन साम्राज्य का ख्वाब देख रहे हैं और मुस्लिम देशों में अपना प्रभाव बढ़ा रहे हैं।
अजरबैजान के राष्ट्रपति भी तुर्की पहुंचे
इस यात्रा से ठीक एक दिन पहले अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलियेव ने भी तुर्की पहुंचकर एर्दोगन से मुलाकात की थी। इस दौरान एर्दोगन ने कहा था कि वह आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच शांति की स्थापना के समर्थक हैं। बता दें कि आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच तनाव अभी भी बना हुआ है। अजरबैजान जहां तुर्की और पाकिस्तान से हथियार लेता है, वहीं आर्मेनिया ने भारत से पिनाका से लेकर आकाश एयर डिफेंस सिस्टम को खरीदा है। आर्मेनिया भारत से जमकर घातक हथियार खरीद रहा है ताकि वह तुर्की और पाकिस्तान के समर्थन वाले अजरबैजान के हमले का करारा जवाब दे सके।
तुर्की और आर्मेनिया के बीच रिश्ते प्रथम विश्वयुद्ध के दिनों से ही बहुत खराब रहे हैं। तुर्की के ऑटोमन साम्राज्य के दौर में बहुत बड़ी तादाद में आर्मेनियाई लोगों की हत्या कर दी गई थी। आर्मेनिया का कहना है कि यह नरसंहार की तरह से था। तुर्की इस आरोप को खारिज करता है। इसके अलावा तुर्की आर्मेनिया के दुश्मन अजरबैजान की खुलकर सैन्य और राजनयिक मदद करता है। आर्मेनिया के साथ चली लड़ाई के दौरान तुर्की ने अजरबैजान को बायरकतार टीबी-2 ड्रोन और अन्य हथियार दिए थे। इन्हीं हथियारों की मदद से अजरबैजान को जीत मिली थी और नगर्नो कराबाख पर उसका कब्जा हो गया था।
शीतयुद्ध के बाद पहली यात्रा
शीतयुद्ध के बाद यह किसी आर्मेनियाई पीएम की पहली तुर्की यात्रा है। तुर्की ने साल 1993 में आर्मेनिया के नगर्नो कराबाख पर कब्जा करने के बाद उसके साथ राजनयिक रिश्ते को तोड़ लिया था। एर्दोगन के साथ मुलाकात से ठीक पहले आर्मेनियाई पीएम ने चर्च और ब्लू मस्जिद की यात्रा की और तुर्की मूल के आर्मेनियाई लोगों से मुलाकात की। वहीं इस मुलाकात के बाद आर्मेनिया में बवाल मच गया है। पुलिस ने बड़ी तादाद में विपक्षी दल के कार्यकर्ताओं को राजधानी येरेवान से अरेस्ट किया है। ये लोग इस यात्रा का विरोध कर रहे थे।
आर्मेनिया की संसद के स्पीकर अलेन सिमोनयान ने गुरुवार को कहा, 'यह एक ऐतिहासिक यात्रा है और ऐसा पहली बार है कि आर्मेनिया के पीएम इस स्तर पर तुर्की की यात्रा पर पहुंचे हैं। इस मुलाकात के दौरान सभी क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा होगी।' उन्होंने कहा, 'अजरबैजान के साथ युद्ध की आशंका अब बहुत कम है। हमें इसे कम करने पर काम करना ही होगा। पीएम निकोल की यह यात्रा इस दिशा में एक कदम है।' आर्मेनिया के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पीएम निकोल और एर्दोगन एक शांति समझौते पर बात करेंगे। खलीफा बनने की कोशिश में लगे एर्दोगन फिर से ऑटोमन साम्राज्य का ख्वाब देख रहे हैं और मुस्लिम देशों में अपना प्रभाव बढ़ा रहे हैं।
अजरबैजान के राष्ट्रपति भी तुर्की पहुंचे
इस यात्रा से ठीक एक दिन पहले अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलियेव ने भी तुर्की पहुंचकर एर्दोगन से मुलाकात की थी। इस दौरान एर्दोगन ने कहा था कि वह आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच शांति की स्थापना के समर्थक हैं। बता दें कि आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच तनाव अभी भी बना हुआ है। अजरबैजान जहां तुर्की और पाकिस्तान से हथियार लेता है, वहीं आर्मेनिया ने भारत से पिनाका से लेकर आकाश एयर डिफेंस सिस्टम को खरीदा है। आर्मेनिया भारत से जमकर घातक हथियार खरीद रहा है ताकि वह तुर्की और पाकिस्तान के समर्थन वाले अजरबैजान के हमले का करारा जवाब दे सके।
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