ढाका/इस्लामाबाद: भारत को घेरने के लिए बांग्लादेश अब पाकिस्तान के साथ एक खतरनाक गठबंधन करने जा रहा है। ये गठबंझन 1971 के क्रूर नरसंहार के भूतों को फिर से जिंदा करता है और पूरे दक्षिण एशिया को अस्थिर करने का रास्ता खोलता है। भारत ने जिस बांग्लादेश को पाकिस्तान की सेना के क्रूर चुंगल से आजाद करवाया था, वो फिर से पाकिस्तान को ही गले लगाने के लिए आतुर है। पाकिस्तान नौसेना के प्रमुख एडमिरल नवीद अशरफ 8 नवंबर को ढाका की यात्रा पर जा रहे हैं, जो सिर्फ कूटनीति नहीं है।
पाकिस्तान नौसेना प्रमुख का ढाका दौरा जिहादी नेटवर्क के फिर से बनने और भारत का उलझन बढ़ाने वाला दौरा है। इसका साफ मतलब है कि आने वाले वक्त में बांग्लादेश में ISI का बोलबाला होगा और बांग्लादेश, भारत के खिलाफ जिहादियों के घुसने का एक रास्ता बन जाएगा। न्यूज-18 की एक रिपोर्ट में लिखते हुए सीनियर जर्नलिस्ट मनोज गुप्ता लिखते हैं कि यह "गठबंधन" एक साझेदारी के रूप में नहीं, बल्कि बांग्लादेश की संप्रभुता को नष्ट करने और भारत के पूर्वी किनारों पर अस्थिरता की आग को हवा देने की एक भयावह साजिश के रूप में उभर रहा है।
बांग्लादेश जाएंगे पाकिस्तान के नेवी चीफ
बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच काफी तेजी से ये नापाक गठबंधन बन रहा है। मनोज गुप्ता ओपिनियन पीस में लिखते हैं कि कुछ हफ्ते पहले ही पाकिस्तान के ज्वाइंट चीफ़्स ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन, जनरल साहिर शमशाद मिर्जा चार दिनों के लिए ढाका गये थे। जिसमें उन्होंने बांग्लादेश के अंतरिम मुख्य सलाहकार, मुहम्मद यूनुस और सैन्य अधिकारियों की तिकड़ी, जैसे सेना प्रमुख जनरल वकर-उज़-जमान, नौसेना प्रमुख एडमिरल मोहम्मद नजमुल हसन और एयर चीफ मार्शल हसन महमूद खान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बातचीत की।
पाकिस्तान और बांग्लादेश के लीडर्स के बीच हुई ये बातचीत, कोई खाली गपशप नहीं थी। शमशाद मिर्जा की टीम में इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के एक मेजर जनरल सहित आठ उच्च-रैंकिंग अधिकारी शामिल थे। इन लोगों ने बांग्लादेश के साथ एक संयुक्त खुफिया-साझाकरण ढांचे को लेकर बात की है। जिसमें सबसे खास बात ये है कि ढाका स्थित पाकिस्तान के उच्चायोग में एक ISI सेल की स्थापना की जाएगा। जिसमें एक ब्रिगेडियर, दो कर्नल, चार मेजर और वायु सेना, नौसेना के सहायक कर्मचारी शामिल होंगे। मनोज गुप्ता के मुताबिक, यह सिर्फ सहयोग नहीं है, बल्कि एक सीक्रेट समझौता है, जो इस्लामाबाद के जासूसों को बांग्लादेश की राष्ट्रीय सुरक्षा खुफिया एजेंसी (एनएसआई) और सेना खुफिया महानिदेशालय (डीजीएफआई) तक अभूतपूर्व पहुंच प्रदान करता है।
बांग्लादेश में पाकिस्तान के जिहादी
पाकिस्तानी जिहादी, जिन्हें लंबे समय से राज्य प्रायोजित आतंकवादी करार दिया जाता रहा है, वो अब बांग्लादेश की सड़कों पर बेखौफ घूम रहे हैं। 2008 के मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के करीबी सहयोगी, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के गुर्गों को भारत के पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा जैसे सीमावर्ती जिलों में भड़काऊ भाषण देते देखा गया है। ये कोई मामूली बात नहीं हैं। मनोज गुप्ता के मुताबिक, ये उस पाकिस्तान के सिपाही हैं जिसने "रणनीतिक गहराई" की आड़ में आतंक फैलाने की कला में महारत हासिल कर ली है। बांग्लादेश अब धीरे धीरे पाकिस्तान की तरह जिहादी देश में बदल रहा है। बांग्लादेश ने पाकिस्तान के उन जिहादियों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं, जो आतंकवाद फैलाने में माहिर हैं।
इसीलिए पाकिस्तान और बांग्लादेश के नौसेना के बीच होने वाला खुफिया समझौता एक बड़े पैटर्न का हिस्सा है। मोहम्मद यूनुस ने 1971 की दर्दनाक कहानियों को ठोकर मारते हुए भारत के खिलाफ मोर्चा खोलने का मन बना लिया है। मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने पाकिस्तान के साथ संबंधों को फिर से बनाने के लिए तेजी से कदम उठाए हैं। ऐसा कई दशकों में नहीं हुआ है। पाकिस्तान और बांग्लादेश के नेताओं के बीच हर दूसरे दिन होने वाली मुलाकात को लेकर भारत को काफी सतर्क रहना होगा।
पाकिस्तान नौसेना प्रमुख का ढाका दौरा जिहादी नेटवर्क के फिर से बनने और भारत का उलझन बढ़ाने वाला दौरा है। इसका साफ मतलब है कि आने वाले वक्त में बांग्लादेश में ISI का बोलबाला होगा और बांग्लादेश, भारत के खिलाफ जिहादियों के घुसने का एक रास्ता बन जाएगा। न्यूज-18 की एक रिपोर्ट में लिखते हुए सीनियर जर्नलिस्ट मनोज गुप्ता लिखते हैं कि यह "गठबंधन" एक साझेदारी के रूप में नहीं, बल्कि बांग्लादेश की संप्रभुता को नष्ट करने और भारत के पूर्वी किनारों पर अस्थिरता की आग को हवा देने की एक भयावह साजिश के रूप में उभर रहा है।
बांग्लादेश जाएंगे पाकिस्तान के नेवी चीफ
बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच काफी तेजी से ये नापाक गठबंधन बन रहा है। मनोज गुप्ता ओपिनियन पीस में लिखते हैं कि कुछ हफ्ते पहले ही पाकिस्तान के ज्वाइंट चीफ़्स ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन, जनरल साहिर शमशाद मिर्जा चार दिनों के लिए ढाका गये थे। जिसमें उन्होंने बांग्लादेश के अंतरिम मुख्य सलाहकार, मुहम्मद यूनुस और सैन्य अधिकारियों की तिकड़ी, जैसे सेना प्रमुख जनरल वकर-उज़-जमान, नौसेना प्रमुख एडमिरल मोहम्मद नजमुल हसन और एयर चीफ मार्शल हसन महमूद खान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बातचीत की।
पाकिस्तान और बांग्लादेश के लीडर्स के बीच हुई ये बातचीत, कोई खाली गपशप नहीं थी। शमशाद मिर्जा की टीम में इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के एक मेजर जनरल सहित आठ उच्च-रैंकिंग अधिकारी शामिल थे। इन लोगों ने बांग्लादेश के साथ एक संयुक्त खुफिया-साझाकरण ढांचे को लेकर बात की है। जिसमें सबसे खास बात ये है कि ढाका स्थित पाकिस्तान के उच्चायोग में एक ISI सेल की स्थापना की जाएगा। जिसमें एक ब्रिगेडियर, दो कर्नल, चार मेजर और वायु सेना, नौसेना के सहायक कर्मचारी शामिल होंगे। मनोज गुप्ता के मुताबिक, यह सिर्फ सहयोग नहीं है, बल्कि एक सीक्रेट समझौता है, जो इस्लामाबाद के जासूसों को बांग्लादेश की राष्ट्रीय सुरक्षा खुफिया एजेंसी (एनएसआई) और सेना खुफिया महानिदेशालय (डीजीएफआई) तक अभूतपूर्व पहुंच प्रदान करता है।
बांग्लादेश में पाकिस्तान के जिहादी
पाकिस्तानी जिहादी, जिन्हें लंबे समय से राज्य प्रायोजित आतंकवादी करार दिया जाता रहा है, वो अब बांग्लादेश की सड़कों पर बेखौफ घूम रहे हैं। 2008 के मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के करीबी सहयोगी, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के गुर्गों को भारत के पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा जैसे सीमावर्ती जिलों में भड़काऊ भाषण देते देखा गया है। ये कोई मामूली बात नहीं हैं। मनोज गुप्ता के मुताबिक, ये उस पाकिस्तान के सिपाही हैं जिसने "रणनीतिक गहराई" की आड़ में आतंक फैलाने की कला में महारत हासिल कर ली है। बांग्लादेश अब धीरे धीरे पाकिस्तान की तरह जिहादी देश में बदल रहा है। बांग्लादेश ने पाकिस्तान के उन जिहादियों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं, जो आतंकवाद फैलाने में माहिर हैं।
इसीलिए पाकिस्तान और बांग्लादेश के नौसेना के बीच होने वाला खुफिया समझौता एक बड़े पैटर्न का हिस्सा है। मोहम्मद यूनुस ने 1971 की दर्दनाक कहानियों को ठोकर मारते हुए भारत के खिलाफ मोर्चा खोलने का मन बना लिया है। मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने पाकिस्तान के साथ संबंधों को फिर से बनाने के लिए तेजी से कदम उठाए हैं। ऐसा कई दशकों में नहीं हुआ है। पाकिस्तान और बांग्लादेश के नेताओं के बीच हर दूसरे दिन होने वाली मुलाकात को लेकर भारत को काफी सतर्क रहना होगा।
You may also like

सीजीटीएन सर्वे : वैश्विक शासन में 'वैश्विक दक्षिण' देशों की भागीदारी बढ़ी

आठवां सीआईआईई शांगहाई में उद्घाटित

बिहार चुनाव: पहले चरण में इन 121 सीटों पर वोट कल, सम्राट-विजय, तेजस्वी और मैथिली-खेसारी जैसे चर्चित चेहरे मैदान में

सुंदरता हीˈ नहीं सेहत में भी चार चांद लगाती है बिंदी जानिए बिंदी लगाने के 6 बड़े फायदे﹒

इस राज्य में अब ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों की खैर नहीं! 15 दिनों तक पूरे प्रदेश में रोड सेफ्टी कैंपेन




