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अमेरिका ने रवाना किया ईरान का काल! व्हाइटमैन एयरबेस से B-2 परमाणु बॉम्बर्स ने भरी उड़ान, फोर्डो एटमी संयंत्र पर कभी भी हमला?

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वॉशिंगटन: ईरान और इजरायल के बीच जारी जंग में बड़ी खबर सामने आ रही है। रिपोर्ट है कि अमेरिका ने अपने बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स को हिंद महासागर में स्थिति द्वीप डिएगो गार्सिया एयरबेस के लिए रवाना कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक बी-2 बॉम्बर्स के साथ 8 एयरफोर्स टैंकर्स भी हैं, जो इसमें हवा में ईंधन भरने के लिए हैं। अमेरिका के मिसौरी स्थित व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से B-2 स्पिरिट स्टेल्थ बॉम्बर्स ने उड़ान भरी है और वे हिंद महासागर में स्थित डिएगो गार्सिया एयरबेस की तरफ जा रहे हैं। इनके साथ आठ KC-135 ईंधन भरने वाले टैंकर विमानों का दल भी रवाना हुआ है। यह मिशन सामान्य बॉम्बर रोटेशन से हटकर एक स्पेशल स्ट्रैटजिक संकेत देता है। माना जा रहा है कि ईरान का सबसे महत्वपूर्ण परमाणु स्थल फोर्डो, जो जमीन से करीब 90 मीटर नीचे है, उसे तबाह करने के लिए बी-2 बॉम्बर को भेजा गया है।



आपको बता दें कि फोर्डो यूरेनियम संवर्धन केंद्र, ईरान की सबसे सुरक्षित न्यूक्लियर स्थलों में से एक है। इसे ईरान का परमाणु किला भी कहा जाता है, जो एक पहाड़ी पर स्थित है। यह गहराई में बनी सुरंगों और चट्टानों के भीतर स्थित है, जिसे पारंपरिक बमों से तबाह करना लगभग असंभव है। कहा जाता है कि इसे सिर्फ अमेरिकी Massive Ordnance Penetrator (MOP) बम ही तबाह कर सकते हैं। वो भी सिर्फ एक बम नहीं, बल्कि कई बम गिराने होंगे, जिसे बी-2 बॉम्बर्स या बी-52 बॉम्बर्स से गिराया जा सकता है। बी-52 बॉम्बर्स में स्टील्थ क्षमता नहीं है, जिससे एक डर है कि ईरान उसे हवा में मार गिरा सकता है, जबकि बी-2 में स्टील्थ क्षमता है, जिसे ईरानी डिफेंस सिस्टम ट्रैक नहीं कर सकते हैं, इसीलिए बी-2 बॉम्बर को भेजे जाने की रिपोर्ट है।

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अमेरिका ने बी-2 बॉम्बर को किया रवाना

अमेरिका ने अगर बी-2 बॉम्बर्स को रवाना कर दिया है तो इसका मतलब है कि अमेरिका फोर्डो न्यूक्लियर सेंटर पर हमला करने की योजना बना रहा है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ईरान पर हमले की इजाजत दे चुके हैं, लेकिन अभी उन्होंने कुछ और ठहरने के लिए कहा हुआ है। B-2 बॉम्बर न सिर्फ रडार से बच निकलने में सक्षम है, बल्कि यह 30,000 पाउंड वजनी MOP बम गिराकर सैकड़ों फीट अंदर छिपे लक्ष्यों को ध्वस्त कर सकता है। इसका डिजाइन इतना गुप्त और एडवांस है, कि यह दुश्मन की सतह से हवा में मार करने वाले एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकता है। यह विमान अमेरिका की 'ग्लोबल स्ट्राइक कैपेबिलिटी' का सबसे अहम हिस्सा माना जाता है और इसे 'फर्स्ट स्ट्राइक' प्लेटफॉर्म के रूप में देखा जाता है।



B-2 स्पिरिट यूएस एयरफोर्स का सबसे एडवांस और घातक स्ट्रैटजिक बॉम्बर है, जिसे खास तौर पर गहरी मारक क्षमता और दुश्मन के वायु सुरक्षा घेरे को भेदने के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है इसकी स्टेल्थ तकनीक, जो इसे रडार की पकड़ से बचा ले जाती है। यह विमान दुनिया के सबसे सुरक्षित ठिकानों को निशाना बनाने की क्षमता रखता है। B-2 की अदृश्यता और उच्च-सटीकता इसे दुश्मन के कमांड सेंटर्स, न्यूक्लियर साइट्स और अन्य मजबूत ठिकानों पर हमला करने के लिए आदर्श बनाती है। इसमें Massive Ordnance Penetrator जैसे भारी बम ले जाने की क्षमता है, जिससे यह भूमिगत ठिकानों को भी तबाह कर सकता है। B-2 की बिना ईंधन भरे उड़ान रेंज करीब 9,600 किलोमीट है, जिससे यह दुनिया के किसी भी हिस्से में गुपचुप पहुंचकर मिशन को अंजाम देने में सक्षम होता है। यही वजह है कि B-2 को 21वीं सदी का सबसे घातक और भरोसेमंद रणनीतिक हथियार माना जाता है।

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डिएगो गार्सिया द्वीप क्यों आ रहा बी-2 बॉम्बर?

आपको बता दें कि डिएगो गार्सिया, ब्रिटिश इंडियन ओशन टेरिटरी में स्थित एक सामरिक अमेरिकी सैन्य अड्डा है जो फारस की खाड़ी, पश्चिम एशिया और दक्षिण एशिया के बीच स्थित है। यहां से B-2 जैसी लंबी दूरी की स्ट्रैटेजिक विमानों को बिना किसी ओवरफ्लाइट रेस्ट्रिक्शन के सीधे लक्ष्यों पर हमले के लिए भेजा जा सकता है। अमेरिका ने इराक, अफगानिस्तान और लीबिया जैसे अभियानों में इसी एयरबेस से हवाई हमले ऑपरेट किए हैं। 1990 के दशक के अंत में सेवा में शामिल हुए बी-2 का इस्तेमाल कोसोवो, अफगानिस्तान, इराक और लीबिया में युद्ध अभियानों में किया गया है। लंबी दूरी, स्टेल्थ और पेलोड क्षमता की वजह से इसके लिए मिशनों को अंजाम देना काफी आसान हो जाता है। अमेरिकी रक्षा सूत्रों के मुताबिक बी-2 बॉम्बर्स की तैनाती अमेरिका की एक ग्लोबल स्ट्रैटजिक रीस्ट्रक्चर का हिस्सा भी हो सकती है, जिसका मकसद इजराइल-ईरान संघर्ष की स्थिति में विकल्प तैयार रखना है। पेंटागन कई बार यह साफ कर चुका है कि B-2 जैसे विमानों की तैनाती सहयोगियों को आश्वस्त करने और संभावित संघर्षों में लचीलापन प्रदान करने के लिए होती है। लेकिन डिएगो गार्सिया जैसी फारवर्ड लोकेशन पर तैनाती सिर्फ तभी की जाती है, जब मामला अत्यंत संवेदनशील हो।

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