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चीन में 12 दिनों तक क्या कर रहा था बांग्लादेश का पूर्व खुफिया चीफ, यूनुस राज में मौत की सजा से बचा, भारत के लिए समझें खतरा

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ढाका: बांग्लादेश में चीन की बढ़ती गतिविधियों से भारत की चिंता बढ़ गई है। हाल ही में बांग्लादेश के पूर्व सैन्य खुफिया चीफ की चीन की 12 दिवसीय यात्रा ने नई दिल्ली को अलर्ट कर दिया है। मेजर जनरल रजाकुल हैदर चौधरी (रिटायर्ड) 6 जून को चीन के लिए रवाना हुए थे और 18 जून को ढाका लौट आए। सूत्रों के मुताबिक, चौधरी की यात्रा के दौरान यूनुस सरकार के एक वरिष्ठ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी भी चीन पहुंचा था। रजाकुल हैदर चौधरी के संदिग्ध इतिहास को देखते हुए उनकी चीन यात्रा को गंभीरता से देखा जा रहा है।



रजाकुल हैदर चौधरी बांग्लादेश के डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फोर्सेज इंटेलिजेंस और नेशनल सिक्योरिटी इंटेलिजेंस, दोनों के महानिदेशक के रूप में काम कर चुके हैं। उन्हें साल 2004 में चटगांव बंदरगाह के माध्यम से पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश में विद्रोही समूहों के लिए हथियारों की एक बड़ी खेप की तस्करी में शामिल होने के लिए अवामी लीग शासन के दौरान जेल में डाल दिया गया था।



चौधरी को मिली थी मौत की सजा

चटगांव में हथियार जब्त किए जाने के तीन महीने के भीतर 2004 में ही तत्कालीन विपक्षी नेता और बाद में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की हत्या के प्रयास के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। ढाका में अवामी लीग की रैली पर ग्रेनेड हमले में 24 लोग मारे गए थे। इस हमले में शेख हसीना बच गई थीं। चौधरी को बांग्लादेश में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के आदमी के रूप में देखा जाता है। आईएसआई ने पूर्वोत्तर भारत में विद्रोही समूहों का समर्थन किया है।



सबसे बड़ी हथियार जब्ती

बांग्लादेश पुलिस ने साल 2004 में चटगांव में 10 ट्रक हथियार जब्त कि थे, जिनमें 4930 बंदूकें (ज्यादातर असॉल्ट राइफलें), 27000 ग्रेनेड, 840 रॉकेट लॉन्चर, 2000 ग्रेनेड लॉन्चिंग ट्यूब, 300 रॉकेट, 6392 मैगजीन और 11,40,520 राउंड गोलियां थीं। बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर एक जेटी पर जब दो जहाजों से ये खेप उतारी जा रही थी, उसी समय इसे जब्त कर लिया गया। इसमें अधिकांश हथियार चीनी कंपनी ने बनाए थे। इन हथियारों को उल्फा और पूर्वोत्तर भारत के अन्य विद्रोही समूहों के साथ-साथ जमात-उल-मुजाहिदीन जैसे इस्लामी आतंकवादी समूहों के लिए थे।



चटगांव हथियार मामले में उल्फा के सैन्य प्रमुख परेश बरुआ को भी दोषी ठहराया गया और आजीवन कैद की सजा सुनाई गई। पिछले साल अगस्त में शेख हसीना के पतन के बाद आई मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने हथियार तस्करी के दोषी लोगों को रिहा कर दिया था। इस साल 16 जनवरी को बांग्लादेश हाई कोर्ट ने दोषी ठहराए गए छह लोगों को बरी कर दिया, जिनमें चौधरी और पूर्व गृह राज्य मंत्री लुत्फुर जमान बाबर शामिल थे। राज्य ने इस फैसले को चुनौती नहीं दी। हाई कोर्ट ने उल्फा नेता बरुआ समेत पांच अन्य लोगों की सजा भी कम कर दी। परेश बरुआ की सजा भी घटाकर 14 साल कर दी गई।



भारत के लिए क्यों है चिंता की बात?

वरिष्ठ पत्रकार सुबीर भौमिक ने इंडिया टुडे में लिखे एक लेख में बताया है कि भारतीय सुरक्षा हलकों में इन दोषियों के बरी किए जाने और कई इस्लामिक आतंकवादियों की रिहाई को लेकर चिंता है। उन्होंने एक अनाम भारतीय खुफिया अधिकारी के हवाले से बताया कि ये तत्व पाकिस्तान की आईएसआई के करीबी हैं और अब इनका इस्तेमाल भारत के पूर्वी राज्यों में गड़बड़ी फैलाने के लिए किया जा सकता है। ऑपरेशन सिंदूर में भारत के हाथों मात खाने के बाद आईएसआई और पाकिस्तानी सेना बांग्लादेश में मौजूद अपने एसेट का इस्तेमाल पूर्वोत्तर में हिंसा बढ़ाने के लिए कर सकती हैं।

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